Sunday, August 30, 2020

परसाई के पंच- 23

 1. बड़ा नेता जब पार्टीवालों को सावधान करता है कि खबरदार, तुम्हें खरीदने की कोशिश हो रही है ,वह अपनी पार्टीवालों को आदमी नहीं, कद्दू, बैंगन, लौकी समझता होगा। बैगन और लौकी नहीं जानते कि वे बिकने वाले हैं।

2. क्रांति आखिर क्या है? प्याऊ है जिसे पैसेवाला खोल देता है और हम उनका खैराती पानी पीते हैं?
3. राजनैतिक सत्ता हो, सुभीते हों, पैसा हो, आसपास चापलूस और फ़ायदा उठाने वाले हों, तो मन्त्री का वह लड़का कट्टर मूर्ख होगा जो पैसा,दारू, औरत न करे। कोई राजनीतिज्ञ ऐसा नालायक बेटा पैदा नहीं करता।
4. बेचारा आदमी वह होता है जो समझता है कि मेरे कारण तमाम हलचल हो रही है, पर वास्तव में उसके कारण छिपकली भी कीड़ा नहीं पकड़ रही है।
5. बेचारा आदमी वह होता है, जो समझता है कि सब उसके दुश्मन हैं, पर सही यह है कि कोई उस पर ध्यान नहीं देता।
6. बेचारा आदमी वह वह होता है जो समझता है कि मैं वैचारिक क्रांति कर रहा हूं और लोग उससे सिर्फ़ मनोरंजन करते हैं। वह आदमी सचमुच बड़ा दयनीय होता है जो अपने को केन्द्र बनाकर सोचता है।
7. गांधी जयन्ती पर जितना झूठ बोला जाता है, उतना कुल मिलाकर साल भर में नहीं बोला जाता। दूसरे दिन झूठ बोलने में थोड़ा खटका लगता है। २ अक्टूबर को बेखटके झूठ बोला जाता है।
8. धोखों का आविष्कार करने में यह देश बहुत आगे है। विश्व औद्योगिक मेलों में अगर धोखे भी भेजे दिये जायें तो पहला इनाम मिल जाये।
9. बड़े-बड़े लोग रेडियो पर बोलते हैं, भाषण देते हैं कि शिक्षा से चरित्र निर्माण होता है। सुनकर सोचता हूं कि फ़िर इस शिक्षा ने बोलनेवाले को चरित्रहीन क्यों बना दिया?
ये राजनीतिक पदों, शासकीय पदों पर आसीन लोग, खाते-पीते सुखी लोग कहते हैं- शिक्षा का उद्देश्य जीविकोपार्जन या नौकरी पाना नहीं। शिक्षा का उद्देश्य मनुष्य को चरित्रवान बनाना है- याने हमें इस शिक्षा से चरित्रवान बेकार, चरित्रवान भुखमरे, चरित्रवान चोर, चरित्रवान जेबकतरे मिलेंगे, चरित्रवान जीविका कमाने वाला नहीं मिलेगा। यही शिक्षा का सही उद्देश्य है।
10. राजनीति से सन्यास उससे बड़ी राजनीति के लिये लिया जाता है।
11. दस गरीबों को दाना बांटा जाता है, हजारों गरीबों को लूटने के लिये भभूत रमाकर नदी किनारे बैठा साधू नहाती स्त्रियों को देखता है। धूनी लगाये हुये महात्मा डाकुओं को पुलिस हलचल की जानकारी देते हैं। बम भोले के नाद के साथ अग्नि तपते साधु की धूनी में चोरी से सोना गलाया जाता है। बड़े-बड़े काम होते हैं संन्यास से।

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