Thursday, August 13, 2020

परसाई के पंच- 10

 1. अगर अकालग्रस्त आदमी सडक पर पडा अखबार उठाकर उतने पन्ने खा ले, तो महीने भर भूख नहीं लगे। पर देश का आदमी मूर्ख है। अन्न खाना चाहता है। भुखमरी के समाचार नहीं खाना चाहता।

2. अकाल हमारी महान भारतीय संस्कृति का एक प्रमुख तत्व है। द्रोणाचार्य जैसे वीर तक भूखे मरते थे।
3. जीने की इच्छा गोंद होती है जो शरीर जोड़े रहती है। मरने की इच्छा में पोषक तत्व होते हैं।
4. मैं सपनों से परेशान हूं। वे कितने सुखी हैं , जिन्हें सपने नहीं आते। मुझे लगने लगा है कि वही सुख की गहरी नींद सोता है, जिसे सपने नहीं आते।
5. सुअर और कुत्ता ऐसे प्राणी हैं जिन्हें सपने नहीं आते। पर अब अन्न का दाना न मिलने से चूहे को भी सपने आते हैं।
6. इन परोपकारी आदमियों से भगवान बचाये ! जो करेंगे, उसका दस गुना किस्सा दसों बार सुनायेंगे।
7. परोपकारी आदमी भी क्या मुसीबत है ! आप उपकार न करना चाहें, तो भी वह आपका भला करने पर हमेशा उतारू रहेगा।
8. भगवान को भारत से हर वर्ष एक निश्चित मात्रा में पूजा मिलती है। तीन चौथाई पूजा-स्तुति उन सरकारी नौकरों की तरफ़ से मिलती है, जो सस्पेण्ड हो जाते हैं, जिनकी तरक्की रोक ली जाती है या जिन पर घूस आदि के मामले चलते हैं।
9. भगवान की सत्ता नौकरों के ’कण्डक्ट रूल्स’ और ’इन्डियन पेनल कोड’ पर टिकी हुई है।
10. यदि भारत सरकार अपने कर्मचारियों के खिलाफ़ कार्रवाई न करे तो मध्यम वर्ग से भगवान का नाम उठ ही जाये।
11. असन्तुष्ट कर्मचारी सरकारी दल के लिये खतरनाक होते हैं।
12. जिसके हाथ में फ़िल्मी पत्रिका है, वह बगल में बैठे भगवान से भी बात नहीं करेगा।
13. धरमचन्द बहुत ईमानदार था क्योंकि ग्राहक से बात करते हुये वह ’ईमान से’ कहता जाता था। वह सच्चा आदमी था क्योंकि वह कपड़े की दर और उधारी का हिसाब ’भगवान की कसम’ खाकर बताता था।
14. ये साहब लोग ही आज की द्रौपदी हैं, मंहगाई के दु:शासन ने जिनके कपड़े छीन लिये हैं।
15. निठल्लों को दूसरे की विजय पर जय बोलने और फ़ूल बरसाने के अतिरिक्त और काम ही क्या है?
16. धर्म, धन के हिसाब से टीमटाम धारण कर लेता है।
17. तरुण-तरुणी के मिलने के उचित कारण बेवकूफ़ ही खोजते हैं।
18. मैं रात-दिन हर सफ़ल लेखक के प्रति ईर्ष्या से जलता रहता हूं। ईर्ष्या से बढकर कोई तप नहीं है।
19. राज्य का आधार धन है। राजा को प्रजा से धन वसूल करने की विद्या आनी चाहिये। प्रजा से प्रसन्नापूर्वक धन खींच लेना, राजा का आवश्यक गुण है।
20. शोध का प्रयोजन ही ही यह है कि जिसमें जो चीज न हो , उसे खोजा जाये।
21. प्रजातन्त्र इस वक्त ऐसा पक गया है कि एक आदमी के मर जाने या भूखा रह जाने की धमकी से 50 करोड़ आदमियों के भाग्य का फ़ैसला हो रहा है।

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