Sunday, November 01, 2020

परसाई के पंच-90

 

1. ब्राह्मण ने समाज के एक बड़े हिस्से को शूद्र बनाकर, अछूत बनाकर, शिक्षा-संस्कृति से वंचित करके जो पाप किया, उसका फ़ल वह अभी भी भोग रहा है। शारीरिक श्रम नहीं करने से और कोई उत्पादन नहीं करने से ब्राह्मण पूज्य से घटकर दीन, भिखमंगा हो गया। भिक्षा को अपना धंधा मानने लगा। सुदामा पत्नी से कहते हैं—औरन को धन चाहिये बावरी, ब्राह्मन को धन केवल भिक्षा।
2. शासन को कुछ मलहमनुमा भाषा का प्रयोग करना चाहिये या जिस रूमाल से गला घोंटे उस पर खूब इत्र छिड़क ले।
3. वह नेता कितना मूर्ख होगा जो यह समझे कि लोग यह मान रहे हैं कि मुझे पद से मोह नहीं है। पद से मोह नहीं है तो इतना झख क्यों मारते हैं यह?
4. हमारे भोले नेता ’रघुपति राघव राजाराम’ की धुन , भाषण , उपदेश आदि से नशाबन्दी कर देना चाहते हैं। इस देश में शहर-शहर और गांव-गांव भट्टियां हैं। पुलिस और आबकारी विभाग के सहयोग से ये बढ़ती ही जाती हैं। ये गृह उद्योग सारे देश को नशा सप्लाई कर देंगे। मौका आया तो गांधी दर्शन केन्द्र में भी भट्टी खुल जायेगी। काली राजनीति, काला धन, काली व्यवस्था को बदले बिना ऊपर से गांधी के नाम से सफ़ेदी पोतने की कोशिश में लगे हैं सब।
5. लड़के-लड़की अगर न पढ़ें तो सरकार का क्या नुकसान है। जितने अपढ़ लोग होंगे उतनी ही स्थायी सरकार होगी।
6. वह सरकार बहुत निकम्मी, बेशर्म और पतित होती है जो शिक्षकों को तोड़ने और कुचलने की कोशिश करती है।
7. मन्दिर से जूतों की चोरी तो सनातन धार्मिक प्रक्रिया है। उस पर अंगुली उठानेवाले नर्क जायेंगे और वहां भी उन्हें जूते बाहर उतारने पड़ेंगे।
8. आदमी प्यासा मरने से बच जायेगा तो बगीचे बहुत बन जायेंगे। बंगले और बगीचेवाले सोचते हैं कि बगीचा बच जाये। आदमी का क्या है, मर जायेंगे तो और पैदा हो जायेंगे।
9. फ़ासिज्म विरोधी से बहस नहीं करता, उसका मुंह तोड़ देता है।
10. राजनेता में अपार जीवनी शक्ति और अपार लालसा होती है। अन्त समय उसके मुंह में गंगाजल डालो तो वह कहता है –गंगाजल नहीं पोर्टफ़ोलियो डालो।
11. हिंसा और अपराध के तनाव , सनसनी, उत्तेजना के साथ ही देश के मानस को चाहिये –धर्मान्धता। धर्मान्धता इस देश के आदमी की जरूरत बनायी गयी है। एक योजना से , विदेशी साम्राज्यवाद तथा देशी पूंजीवाद और फ़ासिस्टवाद ने इसे बढ़ाया है। यह सामाजिक परिवर्तन को रोकने का षडयन्त्र है, मगर साधारण आदमी फ़ंसा है इसमें।

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