Saturday, November 07, 2020

परसाई के पंच-96

 

1. फ़ासिस्ट संगठन की विशेषता होती है कि दिमाग सिर्फ़ नेता के पास होता है, बाकी सब कार्यकर्ताओं के पास सिर्फ़ शरीर होता है।
2. किसी प्रधानमंत्री को बेटा रखने का शौक नहीं करना चाहिये। यह बड़ा खर्चीला शौक है। एक तरह की ऐयाशी है। संविधान में संशोधन हो कि सन्तानहीन ही प्रधानमंत्री हो सकता है, क्योंकि बेटा मिटाऊ होता है।
3. सत्य एक लचीली बेल की तरह है। बेल अपने आप तो चढ़ नहीं सकती। तो वह मिथ्या के खम्भे के सहारे चढ़ती।
4. यहां मिनिस्टर हौआ होता है। साधारण जन नहीं अखबारनवीस तक उसे देवता समझते हैं – कि वे उससे दूर , नीचे बैठते हैं, उसे ’हीरो’ बना डालते हैं और जब अगर वह कोई काम उनके साथ करता है, या उनके साथ मिलकर करता है तो वे उसकी जय बोलते हैं। यह संकेत है प्रजातंत्र की असफ़लता का।
5. प्रजातन्त्र में अखबारनवीस अभिभूत हुये कि प्रजातन्त्र गया।
6. अखबार मंत्रियों के अभिनय, उछलकूद सबको खूब छापकर उन्हें ’हीरो’ बनाते रहते हैं। आम जनता इनसे बेवकूफ़ बनती है। वह ’हीरो’ की जय बोलती है, उसकी कमी की ओर नहीं देखती।
7. अखबारनवीस प्रजातन्त्र का ’वाचडॉग’ होता है। वह रखवाली करता है, दुम नहीं हिलाता।
8. यहां तो ’मिडलची’ अखबार निकलते हैं, 420 के उस्ताद अखबार निकलते हैं, 10-5 में बिक जाने वाले अखबार निकलते हैं। दन्तनिपोर , घोंघाबसन्त, पोंगानाथ आदि-आदि- हर कोई अखबारनवीस बन जाते हैं।
9. दकियानूसी मार्क्सवादी उतना ही खतरनाक होता है जितना बुर्जुआ।
10. अफ़सर और राज्य एक ही वस्तु है। अफ़सर राज्य के लिये और राज्य अफ़सर के लिये। अफ़सर अपने माल और राज्य के माल में कोई भेद नहीं करता –अद्वैत इसी को कहते हैं।
11. अफ़सर के यहां की शादी ’स्टेट वेडिंग’ होती है। जैसे मन्त्री की शवयात्रा ’स्टेट फ़्यूनरल’ होती है। ऐसा इसलिये होता है कि जब जनम-जनम के पुण्य़ उदय होते हैं, तब आदमी अफ़सर के यहां जन्म लेता है।

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