Sunday, November 01, 2020

परसाई के पंच-91

 

1. असल में हमारी जाति मुर्दे को अरसे तक चिपकाये रहती है। रूढि को छोड़ने में बहुत समय लेती है और बरबाद होती है।
2. सबसे सुभीते की शादी तो अदालती होती है। मगर अदालती शादी सिर्फ़ घर से भागे लड़के-लड़की करते हैं। उधर लड़की का बाप पुलिस में रिपोर्ट कराता है, इधर दूर किसी शहर में लड़के-लड़की अदालत में मैरिज सर्टिफ़िकेट लेते हैं।
3. सामन्ती युग में बारात, याने फ़ौज होती थी। युद्ध करके कन्या प्राप्त की जाती थी और उस घर की सम्पत्ति लूटी जाती थी। यह बड़े-बड़े सामन्त करते थे। पर उनकी नकल साधारण आदमी भी करने लगे। दूल्हा घोड़े पर बैठा है, बगल में तलवार है, बाराती हमलावर की तरह व्यवहार करते हैं। लड़की के घर को शत्रु राज्य मानते हैं। दूल्हा घड़ा फ़ोड़ता है, तलवार से रस्सी काटता है। दहेज के रूप में लूट का माल और लड़की लेकर बारात लौट जाती है।
4. विवाह योग्य लड़का एक जरूरी जिन्स, माल हो गया जो लड़की के लिये पति के रूप में जरूरी है। जाति, उपजाति के कारण ’वर’ नाम की चीज की सप्लाई सीमित हो गयी तो मुनाफ़ाखोरी और कालाबाजारी चालू हो गयी।
5. घर में रोशनी के लिये तेल हर हालत में जरूरी है, जो ब्लैक में किसी भी कीमत पर खरीदा जायेगा। लड़की के लिये पति जरूरी है, वह चाहे किसी भी कीमत पर ब्लैक में मिले। यह कीमत ’दहेज’ हुई।
6. आगे तो पति की बिक्री के लिये टेण्डर मंगाये जायेंगे या मवेशी बाजार की तरह वरों के बाजार भरेंगे। जैसे बछड़े के दांत देखते हैं वैसे लड़के का वेतन पूछा जायेगा। बछड़ों की तरह नीलामी होगी लड़कों की। हर क्षेत्र में जब हराम का पैसा न्यायपूर्ण अधिकार हो गया है, तो विवाह के मामले में भी बिना कमाया यह हराम का दहेज लिया जाता है। यह अभी चलेगा। यह पूंजीवाद की एक रस्म है।
7. सच्चा सन्त वह होता है जो किसी को चैन न लेने दे।
8. राष्ट्रपति, प्रधानमन्त्री या मुख्यमन्त्री का ’कुटी’ में रहना सादगी और त्याग का एक घोर मूर्खतापूर्ण दिखावा है। आपको लोगों ने मुख्यमन्त्री बनकर काम करने के लिये चुना है कि कुटी में रहकर साधुपना करने के लिये। कुटी में रहकर मुख्यमंत्री तो क्या, कलेक्टर भी काम नहीं कर सकता।
9. सबसे ज्यादा लड़ाइयां देवताओं में ही होती थीं और इनकी लड़ाई के तरीके भी बहुत नीच होते थे।
10. अज्ञान और अन्धविश्वास का राज लम्बा चलता है।
11. जो भैंस को डण्डा मारने को भी क्रान्ति कहते हैं, उनके साथ कोई बुद्धिजीवी कैसे रह सकता है।

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