1. सरकारी आदमी जहां प्रोबेशन पर होता है वहां अपन मकान बनवाना शुरु नहीं करता।
2. अलग-अलग रँडापा भोगते जब दस रँडुए इकट्ठे होते हैं तो वे सब अपने को बीबी वाले समझते हैं।
3. शोभा-यात्रा उनकी निकलती है जो भभूत रमाने वाले शिव के पत्थर के लिंग पर सोना मढ़ते हैं। शोभा यात्रा उनकी निकलती है जो दसवीं शताब्दी के बाद दुनिया में क्या हुआ, यह नहीं जानते और आधुनिक समाज को उपदेश देते हैं।
4. यश का उन्माद बहुत बुरा होता है। नार्मल यशोकामना रहे और नार्मल तरीके से यश मिले तो ठीक है। सब यश चाहते हैं। मगर कुछ लोग ज्यादा उस्ताद होते हैं। वे जानते हैं कि साधारण तरीके से हमारी सीमित यश फ़ैलेगा। इसलिये वे ऐसे तरीके अपनाते हैं, जिनसे उनकी हंसी उड़े। उपहास प्रसंशा से ज्यादा फ़ैलता है और नगर-नगर, गांव-गांव लोग चर्चा करते हैं कि उसने ऐसा किया।
5. राजनैतिक दोमुंहापन कोई बुरी बात नहीं मानी जाती।
6. हर गुरु का यह दुर्भाग्य है कि उसके सच्चे चेले बननेवाले बन्दर उसकी लंगोटी उड़ाकर उसे नंगा कर देते हैं।
7. एक धर्म हिन्दू और इस्लाम दोनों धर्मों से बड़ा होता है- वह है काले धन्धे का धर्म।
8. शराबबन्दी का शुभ परिणाम यह होता है कि अवैध शराब का धन्धा चलता है। ब्लैक में शराब मिलती है। शराबबन्दी के क्षेत्र में शराब ज्यादा आसानी से मिलती है, खुले क्षेत्र की अपेक्षा।
9. धर्म कोई भी हो, भगवान या खुदा का निवास काले धन की तिजोड़ी में और गैरकानूनी शराब की बोतल में रहता है। भगवान क्षीर सागर में नहीं, गैरकानूनी मदिरा सागर में विश्राम करते हैं।
10. कबीरदास हिन्दू और मुसलमान दोनों के ढोंग की पिटाई करते थे। मरने के बाद ढोंगियों ने कबीरदास के सत्य की पिटाई कर दी। सत्य को हिन्दू और मुसलमान दो टुकड़ों में तोड़कर समाधि और मजार में गाड़ दिया। बीच में दीवार खड़ी कर दी अपनी मूर्खता के ईंट-गारे से।
11. कोई भी विभाग हो, कोई अकेला पैसा नहीं खाता। खा ले तो संग्रहणी हो जाये। महामानवों की श्रंखला खाती है।
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