1. अब छात्र अपने गुरु की सारी कमजोरियां जानते हैं, इसलिये स्वाभाविक है कि जो अध्यापक जैसा होगा उसकी इज्जत वैसी ही होगी।
2. हर क्षेत्र में गैरजिम्मेदारी आ गयी है और बिना काम किये पैसा पाने की प्रवृत्ति बढी है, वैसी ही शिक्षा के क्षेत्र में आ गयी है।
3. साल भर सांप दिखे तो उसे भगाते हैं। मारते हैं। मगर नागपंचमी को सांप की तलाश होती है, दूध पिलाने के लिये और पूजा करने के लिये। सांप की तरह ही शिक्षक दिवस पर रिटायर्ड शिक्षक की तलाश होती है, सम्मान करने के लिये।
4. शिक्षक दिवस तो इसलिये चल रहा है जबरदस्ती कि डॉ राधाकृष्णन राष्ट्रपति रहे। अगर वे सिर्फ़ महान अध्यापक मात्र रहते, तो शिक्षक दिवस नहीं मनाया जाता।
5. जिस अवस्था में बेईमानी को उत्तम गुण मान लिया गया हो, उसमें आचार्य वृहस्पति भी किसी को ईमानदार नहीं बना सकते। 5 सितम्बर शिक्षकों का अपमान दिवस है। झूठ है। पाखण्ड है। गरीब अध्यापक का उपहास है। प्रहसन है। वेतन ठीक नहीं देंगे। सुभीते नहीं देंगे। सम्मान करके उल्लू बनायेंगे। यह शिक्षक दिवस उपहास दिवस है। इस देश के शिक्षकों को 5 सितम्बर को सम्मान कराने से इन्कार कर देना चाहिये।
6. यह नाटक जो जनता को प्रभावित करने के लिये किया जा रहा है, उस पर जनता हंस रही है। जिस पर जनता हंसती है उसे अगर वोट देती होती, तो दुनिया में कई जोकर प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति हो जाते।
7. सच्चा परोपकारी वह होता है जो अपना नुकसान करके भी दूसरों की मदद करता है।
8. दिमाग खराब होने पर कोई आदमी अपने को कभी बहादुर समझने लगता है।
9. सत्य की साधना में असत्य के घर जाना पड़ता है।
10. भगवान की भक्ति से डाकू तक सन्त हो जाते हैं।
11. कुकर्मों का एक खाता बन्द करके नया खाता खोलना ही संन्यास है।
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