Monday, November 09, 2020

परसाई के पंच-99

 

1. ’बिग पावर’ का यह कर्तव्य है कि वह कहीं शान्ति न रहने दे। सब डर के साये में जिन्दा रहें।
2. हर मिशन एक खूबसूरत धोखा होता है।
3. राजनीति में सबकुछ होता है। आपस में तय करके भी लड़ाई होती है।
4. कुछ लोग ऐसे भी होते हैं , जिनका हृदय तलुवे में होता है। वे हृदय को कुचलते हुये चलते हैं।
5. क्रान्ति और भ्रान्ति में थोड़ा-सा अन्तर होता है। कभी-कभी भ्रान्ति को भी क्रान्ति समझ लिया जाता है।
6. सन्त एक नैतिकता अपने लिये रखता है, दूसरी दूसरों के लिए।
7. शीर्षासन का राजनीतिक फ़ायदा यह है कि इसमें हर चीज उलटी दिखती है। और सफ़ल राजनीति के लिये चीजें उलटी दिखना जरूरी है।
8. आम कवि सम्मेलनों में या तो गाना जमता है, या गाली, क्योंकि ये दोनों सहज ही समझ आते हैं; इन दोनों के परे जो कविता नाम की चीज है, वह अगर सुनायी जाये, तो कवि को हूट कर दिया जायेगा।
9. विज्ञापनबाजों ने जिस तरह नारी का उपयोग किया है, उसी तरह हमारे कुछ कवि कर रहे हैं। नारीछाप साबुन और नारीछाप कविता- एक ही टाइप है।
10. कवि पर जिम्मेदारी है कि वह जन-रुचि का परिष्कार करे। यह कहना गलत है कि जनता समझती नहीं है। हम ही जनता को नहीं समझते। हमने अपने ऊपर नट, गायक और मेमने का ’रोल’ ले लिया है।
11. हमारी आधी कविता का स्रोत तो यह है कि ’उसका’ पिता उसे हमसे मिलने नहीं देता –इसलिये हम घुट रहे हैं ! और आधी का विषय है, उस न मिल सकने वाली के सलमासितारे ! बस प्रेम-गीत हो गया। नर भी प्रसन्न, नारी भी प्रसन्न ! ताली, ’वंसमोर’ और फ़िर एक प्याला काव्य-वारुणी !

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