Saturday, September 19, 2020

परसाई के पंच-38

 1. इस देश के ज्ञानी या अज्ञानी सबकी यह विडम्बना है कि वह क्रोध से फ़ौरन किस्मत पर आ जाता है।

2. वर्तमान सभ्यता जेबकटी की सभ्यता है। हर आदमी दूसरे की जेब काट रहा है। इस सभ्यता में अपनी जेब बचाने का तरीका यह है कि दूसरे की जेब काटो। सिर्फ़ उसकी जेब सुरक्षित है, जो दूसरे की जेब पर नजर रखता है।
3. मैंने कभी लिखा था कि आदमी कचहरी जाने वाला जानवर है। आज कहता हूं – आदमी वह जानवर है जिसकी जेब कटती है।
4. आदमी को लिफ़ाफ़े के बारे में बहुत सावधान रहना चाहिये। लिफ़ाफ़ा दुरुस्त है तो सब ठीक है।
5. भरम टूटने से आदमी मर जाता है।
6. निष्क्रिय ईमानदार और सक्रिय बेईमान मिलकर एक षड्यन्त्र-सा बना लेते हैं।
7. मजे की बात यह है कि प्रगतिवादी सत्ता प्रतिष्ठान के नेता भी , जिन्हें ’प्रतिक्रियावादी’ कहते थे, उन्हीं की चिरौरी करके उन्हें अपने बीच सम्मान से बिठाकर ’रिस्पेक्टेबिलिटी’ प्राप्त करते हैं, मगर जो अपना था उसे अवहेलित करते थे।
8. खुशफ़हमी से नेता पनपता है, मगर जनता नष्ट होती है। यही इस देश में हो रहा है।
9. भैयाजी लज्जावान आदमी हैं। उनसे जनता का भला नहीं हुआ तो वे हयादार आदमी की तरह मुंह छिपाकर बैठे रहे। निर्लज्ज तो है नहीं कि बाहर निकल पड़ें। वे बैठे-बैठे जनता के कष्टों के लिये रोते रहते थे। पांच साल जनता के लिये वे छिपकर रोये हैं।
10. चुनाव के वक्त हंसकर ही टालना चाहिये। जो हंसकर नहीं टाल सकता, वह हार जाता है।
11. जो आदमी महंगाई से लेकर मौसम तक ठीक कर सकता है, वह सर्वशक्तिमान से एकाध इंच ही छोटा पड़ेगा।

https://www.facebook.com/anup.shukla.14/posts/10220768345851960

No comments:

Post a Comment