Friday, September 25, 2020

झूठ बोलने का मन

 आज थोड़ा झूठ लिखने का मन हुआ। एक से बढ़कर एक झूठ हल्ला मचाने लगे- 'हम पर लिखो, हम पर कहो।'

हमने सब झूठ को हड़काते हुए कहा -'अनुशासन में रहो। लाइन लगाकर आओ। सबका नम्बर आएगा। हल्ला मत मचाओ।'
सारे झूठ बमकने लगे। हमको सच समझ लिया है क्या ?
एक झूठ हल्ला मचाते हुए बोला-'हम लाइन लगाकर आएंगे तो हमारा तो वजूद ही निपट जाएगा। हम तो एक के ऊपर एक लदफद कर आते हैं। इसीलिए जब तक पहचाने जाते हैं, तब तक अपना काम करके निकल जाते हैं।'
हम जब तक उसकों कुछ कहें तब तक वह पलटकर फूट लिया। भागते हुए दिखा उसकी शर्ट पर 'सत्यमेव जयते लिखा' था।
हमको झूठ की कमीज पर लिखे लिखे 'सत्यमेव जयते' से आश्चर्य नहीं हुआ क्योंकि आजकल झूठ बोलने का यही फैशन चलन में है। बड़े झूठ सच के लिबास में ही बोले जाते हैं। देश सेवा के नाम पर स्वयंसेवा का चलन है। हमको अचरज उसकी स्पीड पर था। जितनी तेज वह भागा उतनी तेज ओलंपिक में भागता तो गोल्ड मेडल मिल जाता ।
हमने उसकी स्पीड पर ताज्जुब किया तो उसकी जगह ले चुके झूठ ने बताया -'उसकी 'सत्यमेव जयते' वाली ड्रेस किराए की है। घण्टे भर के लिए लाया था। देर करता तो अगले घण्टे का किराया भी ठुक जाता। बहुत मंहगा होता जा रहा है झूठ बोलना भी आजकल। आप समझते हो सिर्फ पेट्रोल ही ऊपर जा रहा है।'
हम कुछ और कहें तब कुछ और झूठ हल्ला मचाने लगे। हल्ला मचाने वाले 'मूक विरोध' की कमीज पहने थे। हमें लगा कि कुछ देर और ठहरे यहां तो सब मिलकर हमको पीट देंगे। हमारे शक की वजह उनकी कमीजों पर लिखा नारा था। सबकी छाती पर लिखा था -'अहिंसा परमों धर्म:। '
हम फूट लिए कहकर कि अभी आते हैं। सारे झूठ हमारी बात सुनकर खुश हो गए। वे आपस में धौल धप्पा करते हुए बोले -'ये तो अपना ही आदमी निकला। हमारी ही तरह झूठ बोलता है। इसको अब लौटकर आना नहीं। चलो फालतू टाइम क्या खोटी करना।'
हमको लगा कि समय सही में कीमती है। झूठ बोलने वाले तक इसको बर्बाद नहीं करते। बिना समय बर्बाद किये झूठ बोलते रहते हैं।

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