Monday, November 04, 2019

ढपली वाला ढपली बजा




पैंगोंग से लेह वापस लौटने के निर्णय के बाद हम वहां चाय पीने को रुके। चाय की दुकान पर एक स्थानीय महिला से बातचीत करने लगे। पास के गांव में रहने वाली महिला ने बताया कि यहां पर्यटक आते हैं। उनको देखने , मिलने चली आती है। अच्छा लगता है उसे।
हम लोगों से बात करते-करते उसने गाना शुरू कर दिया। जुलु-जुलु कहते हुए शुरू किया। जुलु-जुलु लद्दाख की तरफ का अभिवादन है। राम-राम सरीखा शायद। हम दोनों को गाना सुनाया उसने, यह कहते हुए कि इन दोनों को मैं एक गाना सुनाएगा। गाने के बोल थे - 'ढपली वाला ढपली बजा।'
गाने को अपने हिसाब से तोड़ते-मरोड़ते-लहराते हुए पूरे मन से सुनाया महिला ने।
एक और गाना सुनाया उसने। बात की। मन खुश हो गया। चलते हुए हमने कुछ देना चाहा उसे। उसने पहले तो लिया नहीं । जिद करने पर लिया भी तो लेकर सब कुछ हमारे ड्रॉइवर लखपा को दे दिया कहते हुए -' ये तुम्हारे लिए।' और भी कुछ कहा स्तानीय बोली में। लेकिन हम उसे समझ नहीं पाए। लेकिन हमारे ड्रॉइवर को उस महिला से कुछ लिया नहीं। उसकी भेंट उसके ही पास रहने दी। हम चल दिए।
लौटते हुए महिला द्वारा उसको दिए पैसे बिना गिने हुए ड्रॉइवर को देने की पेशकश और ड्रॉइवर द्वारा भी उसे बिना किसी हिचक के उसको लेने से मना करने की बात याद करते रहे। स्थानीय लोग आर्थिक रूप से उतने मजबूत भले न हों लेकिन लालच से ग्रस्त नहीं हैं।
वापसी यात्रा में एक बार फिर बर्फ के रास्ते से गुजरते हुये आये। एक जगह एक गाड़ी खराब होकर खड़ी थी। लेह से आने वाले मैकेनिक का इंतजार कर रही थी।
एक जगह सड़क पर अवरोध था। उसको हटाने का काम हो रहा था। इतनी ऊंचाई पर इतना जटिल काम। बीच-बीच में सड़क बर्फ के पानी से कट गई थी।
बर्फ का दर्रा चारों तरफ से बर्फ से ढंका हुआ था। आते समय ख़र-दुंग-ला दर्रा मिला था। लौटते हुए चांग-ला दर्रा। इस दर्रे की सड़क को भी दुनिया की सबसे ऊंची सड़क बताते हुये बोर्ड लगे थे। शायद खर-दुंग-ला दर्रा और चांग-ला दर्रा एक ही घराने के दर्रे हों। लिहाजा दोनों के पास सबसे ऊंची सड़क के पास होने का खिताब हो।
दर्रे के आगे-पीछे के पहाड़ भी सफेद चादर ओढ़े हुये थे। दर्रा पार करने के बाद पहाड़ खत्म हुए। सभी जगहों से गुजरते हुए हम छोटे-छोटे वीडियो बनाते गए ताकि सनद रहे। वीडियो के लिंक नीचे पोस्ट में देखिये।
लौटते हुये सूरज भाई साथ रहे। गुनगुनाते हुये आहिस्ते-आहिस्ते हमको वापस जाते देखते रहे। जगह बहते पानी के सोते भी किल-किल करते हुये टाटा-बॉय-बॉय करते रहे।
धीरे - धीरे सड़क समतल होती गयी। शाम होते -होते हम लेह वापस पहुंच गए।
1.https://www.facebook.com/anup.shukla.14/videos/10218007827600729/?t=5 ढपली वाला ढपली बजा वीडियो
2.https://www.facebook.com/anup.shukla.14/videos/10218007823200619/?t=4 चांग-ला दर्रे पर वीडियो
3. https://www.facebook.com/anup.shukla.14/videos/10218007832040840/?t=4 रास्ते की सड़क का वीडियो
4. https://www.facebook.com/anup.shukla.14/videos/10218007820400549/?t=3 रास्ते की एक और सड़क का वीडियो

https://www.facebook.com/anup.shukla.14/posts/10218007905322672

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