Tuesday, November 05, 2019

निकल्लिये घूमने अमरीका

 

#लेहलद्दाख के किस्से लिखते हुये एक पोस्ट में अपन ने लिखा था - ’मन करता है गुरु निकल्लें घूमने के लिये। जो होगा देखा जायेगा।’
पोस्ट लिखने के बाद मन सही में कर गया। सो निकल्लिये अमरीका के लिये । अब जो होगा देखा जायेगा।
हमारे घर में सब बच्चे बारी-बारी से अमरीका टहल आये। सबसे पहले बिटिया स्वाती Swati गयीं। ह्यूस्टन आदि जगहों पर रहीं। वहां के आंखो देखे किस्से सुनाये।
इसके बाद बड़े सुपुत्र सौमित्र Saumitra पहुंचे अमेरिका । मार्च 2011 में। उसकी यात्रा का भी बड़ा रोचक अनुभव रहा। अपने कालेज के एयरोमाडलिंग ग्रुप के दोस्तों के साथ गये। अपने ग्रुप फ़ाल्कन के जिस जहाज के मॉडल को अमेरिका के डलास में प्रदर्शनी के लिये ले जाना था वह तब पहुंचा जब प्रदर्शनी खत्म हो गयी थी। लेकिन उसके लिए और उसके दोस्तों के लिये वह यादगार यात्रा रही। उस दौरे का काफ़ी बड़ा योगदान है कि आज सौमित्र सैनफ़्रान्सिस्को में हैं।
बड़े भाई के बाद नम्बर लगा छोटे भाई Anany का। पिछले साल गोल्डमैन सैक्स कम्पनी में ज्वाइन करने गये तो कम्पनी ने दो सप्ताह के लिये ट्रनिग पर भेजा अमेरिका। हवाई जहाज से पैराशूट से उतरने का रोचक अनुभव रहा उनका।
घर में सब लोग जब घूम आये तो हमने सोचा हम भी टहल आयें। वीसा- फीसा बनवाकर निकल लिये आज हम भी। देश में तो घूमते-टहलते रहते ही हैं। थोड़ा विदेश भ्रमण भी हो जाये। सो हम मियां-बीबी निकल ही लिये।
हमारी इस यात्रा में जितना योगदान हम लोगों का है उससे कहीं ज्यादा योगदान हमारे बच्चों और उन कुछ मित्रों का भी है जो हमको लगातार उकसाते रहे कि घूमने में देरी और कंजूसी करना ठीक नहीं। तो बिना देर किए हम चल ही दिए।

अभी यह पोस्ट हवाई अड्डे से ही जहाज के इंतजार में लिख रहे हैं। एयरइंडिया फ्लाइट में एक घण्टे की देरी के लिए माफी मांग चुकी है। हमारे पास माफ करने के सिवा और कोई चारा तो नहीं फिलहाल। आगे देखते हैं कितना और देर होगी।
कल शाम को न्यूयार्क पहुंचेंगे। वहां से न्यूजर्सी। हफ़्ते भर न्यूजर्सी रहेंगे। वहां बाद पोर्टलैंड होते हुये सैनफ़्रांसिस्को जायेंगे। इतने दिन में जितना घूम पायेंगे घूमेंगे अमरीका। बाकी का अमेरिका अगली बार देखने के लिये छोड़ आयेंगे। साथ मे लाद के लाना सम्भव भी नहीं। फ्लाइट में 25 किलो से ज्यादा लाने नहीं देंगे।
जो साथी हमारे लेह-लद्धाख के किस्सों से काम भर का बोर हो चुके हैं इस यात्रा से उनकी शिकायत दूर करने का भी मौका मिलेगा। कुछ दिनों तक अमेरिका के किस्से सुनाये-दिखाये जायेंगे।
हमारे अमेरिका के न्यूयार्क, न्यूजर्सी, पोर्टलैंड , सैंनफ़्रांसिस्को में रहने वाले दोस्त अगर मिल सकेंगे तो हम खुशी-खुशी मिलना चाहेंगे।
अगले किस्से अब अमरीका से ही। ठीक !

https://www.facebook.com/anup.shukla.14/posts/10218012051066313

No comments:

Post a Comment