Friday, November 08, 2019

पूरे प्लेटफार्म पर अकेला इंसान

 

जिस दिन पहुंचे अमेरिका उसी घनश्याम गुप्ता जी Ghanshyam C. Guptaका सन्देश मिला मैसेंजर पर:
"अनूप, फुरसत मिलते ही मुझे फोन करो।"
घनश्याम जी फिलाडेल्फिया में रहते हैं। पहले भी बात हुई है। आते ही उनका सन्देश मिला तो देखते ही बिना फुरसत का इंतजार किये मैने लगा दिया फोन। उठा नहीं। लेकिन कुछ ही देर में आ गया फोन।काफ़ी देर बात हुई।
उन्होंने कहा -'फिलाडेल्फिया आकर मिलोगे तो अच्छा लगेगा।'
हमारे टूर प्रोग्राम में पहले शामिल नहीं था फिलाडेलफिया। लेकिन बात होने के बाद मन किया घूमकर आना चाहिए। ऐतिहासिक शहर है।
फिर क्या ट्रेन का पता किया और निकल लिए। न्यूजर्सी स्टेशन से दो स्टेशन बाद ट्रेनटन सेंटर । वहां से गाड़ी बदलकर5 स्टेशन दूर टोरेसडेल।वहां से 6 मील दूर गुप्ता जी।
स्टेशन आकर देखा एक भी इंसान नहीं यहां। खाली प्लेटफार्म पर हम अकेले। टिकट देने के लिए भी कोई इंसान नहीं। खुद टिकट निकालो। चल दो।
टिकट वेंडिंग मशीन से ट्रेन टेन सेंटर का आने जाने का टिकट निकाला। तीन स्टेशन के आने जाने के $18.50।ट्रेन आने का समय 12.43 है। ट्रेन का इंतजार करते हुए हम पोस्ट लिख रहे।
इस बीच तमाम गाड़ियां बहुत तेज स्पीड से आती-जाती निकल गईं।
धूप पूरी खिली है। लेकिन बहुत ठंडी हवा चल रही। हाथ ठिठुर रहे। तेज हवा चलने वाली सर्दी से बचने के लिए छोटे
आड़ वाले केबिन बने हैं। उसमें ही बैठे ट्रेन का इंतजार कर रहे।
बाहर गाड़ियों की भीड़ है। आसपास वाले लोग यहां गाड़ियां खड़ी करके आफिस ट्रेन से निकल जाते हैं।
अभी सूचना प्रसारित हुई कि गाड़ी 3 मिनट लेट है। गाड़ी आने वाली है लेकिन अभी तक कोई दूसरा यात्री आया नहीं। केवल सूरज भाई साथ हैं। उनका साथ हमेशा का है। वो हमारे सच्चे साथी हैं।

https://www.facebook.com/anup.shukla.14/posts/10218042633630858

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