Wednesday, November 13, 2019

हवाई और अंतरिक्ष म्यूजियम में



स्पेस म्यूजियम में घुसने से पहले बाहर बरामदे में ही तमाम स्वयमसेवक जैसे लोग दूरबीन लगाए मौजूद थे।वे लोगों को दूरबीन की सहायता से विभिन्न आकाशीय पिंडो के बारे में बता रहे थे। दूरबीन की सहायता से दिखा भी रहे थे।
हमने भी दूरबीन की सहायता से अंतरिक्ष में बुध ग्रह को देखा। बाकी के ग्रह नक्षत्र दूसरे लोगों के लिए देखने के लिए छोड़कर हम अंदर आ गए।
अंदर पहुंचते ही विनय जैन का फोन आ गया। विनय हिंदी ब्लागिग के सबसे शुरुआती ब्लागरों में से हैं। जब भी हिंदी ब्लागिंग के शुरुआती दिनों की बात चलती है, विनय का जिक्र जरूर आता है। हमारे अमेरिका आने के बारे में पता चलते ही विनय का फोन आया। फिर वाशिंगटन डीसी का प्लान पता चला तो नियमित बात हुई। हमारे वाशिंगटन डीसी पहुंचते उन्होंने 12 बजे करीब आने की बात कही। जब हम म्यूजियम पहुंचे तब विनय वहीं मिल गए।
विनय से हमारी यह पहली मुलाकात थी लेकिन इतनी यादें जुड़ी हैं ब्लागिंग की कि मिलने लगा नहीं कि पहली मुलाकात है। मिलने के बारे विनय हमारे गाइड, फोटॉग्राफर और मेजबान सब बन गए। दोपहर से लेकर शाम को स्टेशन छोड़ने तक घुमाया, फिराया, खिलाया, पिलाया। घर से 12000 किलोमीटर दूर घर के सदस्य के साथ का होने का एहसास हुआ।


आकाश और अंतरिक्ष के क्षेत्र में मानव जीवन की उपलब्धियों का संक्षिप्त मुजाहिरा किया गया है इस म्यूजियम में।
म्यूजियम में घुसते ही अमेरिका के पहले चन्द्र यान मॉडल दिखा। उसके ऊपर छत पर टँगे हुए सबसे पहले के बने जहाज दिखे। सभी विमान मूल रूप में मौजूद हैं। राइट ब्रदर्स द्वारा बनाया उड़ने का पहला मॉडल मूल रूप में मौजूद है।इस मॉडल में राइट बन्धु में से एक पेट के बल लेटे हुये उड़ान भरते दिख रहे हैं।
वहीं स्काई लैब का एक मॉडल भी रखा दिखा। अंतरिक्ष यात्री किस तरह रहते अंतरिक्ष मे यह देखा।
चन्द्र यात्रा में जाने वाले यात्रियों के कपड़े भी दिखे। अंतरिक्ष शूट में आर्मस्ट्रांग का कथन भी लिखा हुआ है-'that's one small step of man, one giant leap for mankind'इंसान का छोटा कदम, मानवता की बड़ी छलांग।


एक घड़ी ऐसी दिखी जिसमें 12 की जगह 24 घण्टे थे। दिन भर में दो चक्कर की बजाय एक ही चक्कर में निपटा देती दिन-रात।
बिना ड्रॉइवर वाली ऑटोमैटिक कार भी मौजूद थी वहां। इसके चलाने के लिए ड्रॉइवर नहीं चाहिए होगा। कार का परीक्षण चल रहा है। तकनीकी रुप से सफल हो जाने के बाद भी इसके सामाजिक और क़ानूनी पहलू पर विचार होना है। कार से कोई दुर्घटना होने की स्थिति में कौन जिम्मेदार होगा ? कार का मालिक या कार ? सामने अचानक कोई बच्चा आ जाने पर कार किसी पेड़ से भिड़ाकर बच्चे को बचाएगी या बच्चे की चिंता छोड़कर अपने मालिक की जान की चिंता ही करेगी। मालिक मानो न भी हो, कल को ओला , उबर की तरह चलेंगी ऐसी स्थितियां इन सवालों के क्या जबाब होंगें। अभी इस पर बहस होनी है, निर्णय होना है।


इस मामले में हमारी राय कोई पूछे तो हम तो यही कहेंगे कि भाई कानूनी पहलू आप देख लेव लेकिन वो 'बुरी नजर वाले तेरा मुंह काला' घराने की शायरी इन कारों पर भी खुदाई जानी चाहिए। यह जन साहित्य कब तक केवल ट्रकों तक ही सिमटा रहेगा।
अंतरिक्ष यान में यात्री कैसे रहते , खाते, पीते हैं इसका वीडियो वहां चल रहा था। पहली मिसाइल , राकेट और दुनिया भर की न जाने कितनी चीजें दिखाई गई थीं।
अंतरिक्ष के बारे में पहले मान्यता थी कि पृथ्वी के चारों तरफ सूर्य और बाकी ग्रह परिक्रमा करते हैं। बाद में तय हुआ पृथ्वी नहीं वरन सूर्य के चारों तरफ ग्रह परिक्रमा करते हैं। दोनों के मॉडल इस म्यूजियम में दिखे।


म्यूजियम के एक हिस्से में विज्ञान से जुड़ी सामान्य चीजों की जानकारी देते हुए सरल मॉडल भी मौजूद थे। जमीन पर हवा का दबाब कितना है, पहाड़ पर कितना। यह सब समझाया गया था।
म्यूजियम को अच्छे से देखने के लिए कम पूरा दिन चाहिए। लेकिन हमारे पास पूरा वाशिंगटन देखने के लिए ही चंद घण्टे थे। इस लिए मजबूरन घण्टे भर में बाहर आ गए म्यूजियम से।
म्यूजियम के बाहर एक होमलेस व्यक्ति कुर्सी पर बैठा लोगों से सहायता की अपील की तख्ती लगाए हुए था। कुछ लोग उसको कुछ देते भी जा रहे थे। आदमी चांद और मंगल पर जाने की सोच रहा है। हम सोच रहे थे कि जब आदमी चांद पर चला जायेगा तो क्या ये होमलेस लोग साथ जाएंगे या आदमी वहीं पर इंतजाम करेगा होमलेस लोगों का।


बाहर निकलकर फिर कुछ फोटोबाजी हुई। विनय के साथ ने इसे और सुगम कर दिया। हमने वह रास्ता भी देखा जहां राष्ट्रपति चुने जाने के बाद उसकी सवारी निकलती है।
वहीं मौजूद आर्ट म्यूजियम का भी कुछ हिस्सा हमने देखा। इसके बाद व्हाइट हाउस की तरफ चल दिये।

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