1. सूखा,बाढ़ और दंगा – ये सबसे सुन्दर प्राकृतिक दृश्य इस देश में हैं, जिन्हें प्रदेश के मन्त्री , प्रधानमन्त्री और विदेशी अतिथियों को दिखाते रहते हैं।
2. फ़ोटो का मोह अद्भुत है। कैमरा आदमी से बड़ा कौतुक कराता है। जब कैमरा ईजाद नहीं हुआ, नरसीसस पानी के कैमरे में अपनी फ़ोटो देखता था। वह अपने पर इतना रीझ गया कि मर गया।
3. अपने पर रीझने वाले अक्सर मरते देखे गये हैं। राजनीति में, साहित्य में कितने ही मैंने देखे हैं जो अपने पर रीझते-रीझते मृत्यु को प्राप्त हो गये।
4. बड़ा आदमी भी एक तरह का लैण्डस्केप है, जिसके साथ फ़ोटो-प्रेमी खिंचना चाहता है। बड़ा आदमी सिर्फ़ सुन्दर ही नहीं होता, कुछ फ़ायदा करनेवाला भी होता है।
5. ताजमहल परमिट नहीं दे सकता, पर कलेक्टर दे सकता है। समझदार आदमी ताजमहल को छोड़, कलेक्टर के साथ फ़ोटो खिंचवाने की कोशिश करेगा।
6. सद्गुरु का कहना है –बेटा जो भी करना है –’लार्ज स्केल’ पर कर, चाहे उद्योग हो, चाहे बेईमानी और हमेशा किसी की छाया में कर।
7. शासन का घूंसा किसी बड़ी और पुष्ट पीठ पर उठता तो है, पर न जाने किस चमत्कार से बड़ी पीठ खिसक जाती है और किसी दुर्बल पीठ पर घूंसा पड़ जाता है।
8. तन्त्र कोई भी हो, अपनी पीठ पर हमेशा वेसलीन चुपड़े रहो। घूंसा तुम्हारी पीठ से फ़िसलकर किसी सूखी पीठ पर पड़ जायेगा।
9. पैसे कम हों , तो आदमी परमहंस हो जाता है। सच्चा संन्यासी पैसे की तंगी का शुभ परिणाम है।
10. अपनी इज्जत की क्या रखवाली करूं? किसकी इज्जत इस देश में सुरक्षित है? साहित्य, कला, संगीत के परकोटे इज्जत के आसपास उठा दो, तो उसमें भी सुरंग लग जाती है।
11. बेइज्जती को खोल दो तो वह इज्जत हो जाती है। जूते पड़ गये हैं, इस बात को छिपाओगे तो बदनामी फ़ैलेगी। खुद ही कहते फ़िरोगे, तो बदनामी करनेवालों की सेवा की जरूरत नहीं पड़ेगी और इज्जत रह जायेगी।
No comments:
Post a Comment