Tuesday, October 06, 2020

परसाई के पंच-62

 

1. आसपास से गंवार सम्पन्नता जब तमाचे जड़ रही हो, तब उचटकर तमाचा जड़ने को जी चाहता है। पर उसकी अपेक्षा यह ज्यादा सम्मानपूर्ण लगता है कि तमाचा मारने वालों की तरफ़ से हम भी किसी को एक चांटा मार दें।
2. भारत में जिस हिसाब से बच्चे पैदा हो रहे हैं, उस हिसाब से मकान नहीं बन रहे हैं। सरकार को कानून बना देना चाहिये कि हर बच्चा पैदा होने पर बाप को एक मकान बनवाकर देना होगा। इससे सन्तति-नियमन एकदम हो जायेगा और कुछ मकान भी बन जायेंगे।
3. बम्बई में अनुशासन है। वहां चोरी भी अनुशासन से होती है, स्मगलिंग भी अनुशासन से।
4. दिल्ली खींचती जरूर है। पुराने जमाने में आक्रमणकारियों को खींचती रही है । अभी भी जो दिल्ली है, उसे जीतने के इरादे से ही आता है। पर दिल्ली उसे जीतकर एक कोने में डाल देती है।
5. हमारी इस सारी व्यवस्था को मिल लेने वाले ही चला रहे हैं। बड़ी कम्पनियां हजारों रुपये वेतन पर राजधानियों में मिल लेने वाले रखती हैं, जिनका काम सिर्फ़ मिल लेना है। मगर मैंने सुना है कि असली सरकार यही मिल लेने वाले चलाते हैं, यही बजट बनाते हैं; यही मन्त्रिमण्डल बनवाते हैं, यही नीतियां तय करते हैं। युद्ध और शान्ति भी, सुना है इन्हीं मिल लेने वालों के इशारे पर होती हैं।
6. सूखे मरुस्थल में रहने वाले की इच्छा कभी-कभी समुद्र में डूब मरने की होती है।
7. प्रेम जोड़ने में लोक कर्म विभाग और इम्प्रूवमेंट ट्रस्ट के योगदान का अध्ययन होना भी जरूरी है। सड़कें जहां जाती हैं, वहां से न जातीं, तो कितने वर्तमान प्रेम-सम्बन्ध कहीं और जुड़ते? जिस प्रेम को आत्मा का सम्बन्ध कहते हैं, वह किस हद तक सड़क का संयोग है?
8. रिटायर्ड फ़ादर से निभाना तलवार की धार पर चलना है। गैर-रिटायर्ड फ़ादर ’पार्ट-टाइम’ फ़ादर होता है, जबकि रिटायर्ड फ़ादर के पास बात करने का वक्त नहीं होता, मगर रिटायर्ड फ़ादर के पास बात करने वालों का टोटा पड़ जाता है।
9. कितने प्रेम इस कारण असफ़ल हो जाते हैं कि प्रेमी ’फ़ादर’ को ’स्टैण्ड’ नहीं कर सका। कितनी अच्छी-अच्छी तरुणियां इसलिये अच्छे प्रेमी प्राप्त नहीं कर पातीं कि ’फ़ादर’ की छाया से अच्छे नवजवान बचते हैं।
10. अच्छी आत्मा ’फ़ोल्डिंग’ कुर्सी की तरह होनी चाहिये। जरूरत पड़ी तब फ़ैलाकर उस पर बैठ गये; नहीं तो मोड़कर कोने में टिका दिया।
11. मैंने ऐसे आदमी देखे हैं, जिसमें किसी ने अपनी आत्मा कुत्ते में रख दी है, किसी ने सुअर में। अब तो ऐसे जानवरों ने भी यह विद्या सीख ली है और कुछ कुत्ते और सुअर अपनी आत्मा किसी-किसी आदमी में रख देते हैं।

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