1. बेइज्जती में अगर दूसरे को शामिल कर लो, तो अपनी आधी इज्जत बच जाती है।
2. इज्जत बड़ी मशक्कत लेती है। न जाने क्या-क्या करवाती है। अपनी इज्जत जब जमती दिखती है, तब हम चौराहे के ठेले पर पकौड़े खाते दिख जाते हैं या कोई नोटिस बुलवा लेते हैं।
3. मैदान से भागकर शिविर में आ बैठने की सुखद मजबूरी का नाम इज्जत है। इज्जतदार ऊंचे झाड़ की ऊंची टहनी पर दूसरे के बनाये घोंसले में अण्डे देता है।
4. गरीब की लुगाई, कहावत के मुताबिक सबकी भौजाई होती है। उस कोई भी बेखटके छेड़ लेता है, कोई भी उससे चुहल कर लेता है।
5. सरकार के मंसूबे रहस्यमय होते हैं। हिन्दी अध्यापक को प्रिया से दूर रखकर शायद वह वियोग श्रंगार का काव्य लिखवाना चाहती है।
6. अकविताओं के कारण श्रंगार रस का दिवाला पिट गया है। श्रंगार रस को स्टेट सेक्टर में ही लेना पडेगा। वीभत्स रस अभी प्राइवेट सेक्टर में पड़ा रहने दो। उसका उत्पादन लक्ष्य से ऊपर ही जा रहा है।
7. लेखक लड़की से प्रेम करते हैं और फ़िर उसके प्रेम पत्र छ्पवाकर ’ब्लैकमेल’ करते हैं। ब्लैकमेल को आजकल विद्रोह भी कहते हैं।
8. यह क्या बात है कि जायज काम भी कराने जाओ तो भी लगता है नाजायज काम है, जो बिना ’सोर्स’ नहीं होगा। जायज और नाजायज का भेज मिटा दिया गया है। जिस देश में जायज काम भी न हो सकें, उसमें सारे काम ही नाजायज हैं। उनके लिये ’सोर्स’ चाहिये। इतनी सोर्सप्रेमी जाति दुनिया में और कोई नहीं है।
9. निन्दा में विटामिन और प्रोटीन होते हैं। निन्दा खून साफ़ करती है, पाचन-क्रिया ठीक करती है, बल और स्फ़ूर्ति देती है। निन्दा से मांसपेशियां पुष्ट होती हैं। निन्दा पायरिया का तो शर्तिया इलाज है।
10. सन्तों को परनिन्दा की मनाही होती है, इसलिये वे स्वनिन्दा करके स्वास्थ्य अच्छा रखते हैं, ’मो सम कौन कुटिल खल कामी’ – यह सन्त की विनय और आत्मग्लानि नहीं है, टॉनिक है। सन्त बड़ा काइयां होता है। हम समझते हैं, वह आत्मस्वीकृति कर रहा है, पर वह वास्तव में विटामिन और प्रोटीन खा रहा है।
11. स्त्री सम्बन्धी निन्दा में प्रोटीन बड़ी मात्रा में होता है और शराब सम्बन्धी निन्दा में विटामिन बहुत होते हैं।
https://www.facebook.com/anup.shukla.14/posts/10220848072365073
No comments:
Post a Comment