Wednesday, October 07, 2020

परसाई के पंच-63

 

1. पहले देवता आदमी बनकर ठगते थे, अब आदमी देवता बनकर ठगते हैं।
2. हर सत्य के हाथ में झूठ का प्रमाणपत्र है। ईमान के पास बेईमानी की सिफ़ारिशी चिट्ठी न हो , तो उसे कोई दो कौड़ी को न पूछे।
3. सुना है विरहिन को बरसात में प्रिय की बड़ी याद सताती है। परीक्षा के मौसम में भी कुछ लोगों का विरह जाग उठता है और उन्हें किन्हीं विशेष परिचितों की याद सताने लगती है।
4. सफ़लता के महल का सामने का आम दरवाजा बन्द हो गया है। कई लोग भीतर घुस गये हैं और उन्होंने कुंडी लगा दी है। जिसे उसमें घुसना है, वह रूमाल नाक पर रखकर नाबदान में घुस जाता है। आसपास सुगन्धित रूमालों की दूकाने लगी हैं। लोग रूमाल खरीदकर उसे नाक पर रखकर नाबदान में से घुस रहे हैं। जिन्हें बदबू ज्यादा आती है और जो सिर्फ़ मुख्य द्वार से घुसना चाहते हैं, वे दरवाजे पर सिर मार रहे हैं और उनके कपालों से खून बह रहा है।
5. यौवन सिर्फ़ काले बालों का नाम नहीं है। यौवन नवीन भाव, नवीन विचार ग्रहण करने की तात्परता का नाम है; यौवन साहस, उत्साह, निर्भयता और खतरे-भरी जिन्दगी का नाम हैं,; यौवन लीक से बच निकलने की इच्छा का नाम है। और सबसे ऊपर, बेहिचक बेवकूफ़ी करने का नाम यौवन है।
6. काम बन्द करने और मरने का क्षण एक ही होता है।
7. राजा के पीछे और साहूकार के आगे रहना चाहिये। राजा सनकी माना जाता है और साहूकार समझदार।
8. बड़ा-से-बड़ा सूरमा जो घमासान युद्ध में दुश्मन के बीच बेखटके घुस जाता है, साहूकार के सामने पत्ते सा कांपने लगता है।
9. सहनशील साहूकार ज्यादा खतरनाक होता है। एक अर्से तक वह आपको ढाल देता रहेगा और जब आप समझ रहे होंगे कि वह भूल गया है, वह गर्दन अचानक पकड़ लेगा।
10. ’ब्लैंक लुक’ देना भी एक कला है। अगर साहूकार की सड़क दे निकलना है तो अच्छे कद्दावर दोस्तों के बीच चलिये, ताकि साहूकार की दृष्टि से बचने के लिये उसके कन्धे ढाल बन सकें। अगर मित्र छ: फ़ुटा नहीं है तो उससे बातचीत में इतने मशगूल हो जाइये लो आसपास देखना ही न पड़े, मानो आप किसी गम्भीर अन्तर्राष्ट्रीय समस्या पर विचार कर रहे हों और छेड़ने से विश्व शान्ति को खतरा हो जायेगा।
11. कर्जदार और फ़िलासफ़र में विशेष अन्तर भी नहीं है। दोनों दुनिया से मुंह छिपाते हैं।

https://www.facebook.com/anup.shukla.14/posts/10220876700440757

No comments:

Post a Comment