ब्लाग क्या है?इसपर विद्घानों में कई मत होंगे.चूंकि हम भी इस पाप
में शरीक हैं अत: जरूरी है कि बात साफ कर ली जाये.हंस के
संपादकाचार्य राजेन्द्र यादव जीकहते हैं कि ब्लाग लोगों की छपास
पीङा की तात्कालिक मुक्ति का समाधान है.खुद लिखो-छाप दो.मतलब
आत्मनिर्भरता की तरफ कदम.
हमारे ठलुहा .
मित्र फरमाते हैं कि ब्लागरोग से ग्रस्त प्राणी की स्थिति
मानसिक दस्त से ग्रस्त होती है लिहाजा इसे "मानसिक डायरिया"कहा
जा सकता है.मध्यमार्गी लोग 'डायरिया'का मतलब डायरी लिखने से
भी लगा सकते हैं.
कुछ विचारक .
ऐसी बातें तक पूंछते हैं ब्लाग में मानो कोई मास्टर साहब बच्चों से वो सवाल पूंछे जो उनको
खुद नहीं आते.
यह कालेज की मेस के दरवाजे का नोटिसबोर्ड है जिस पर
कोई भी बेवकूफी की (जिसे लिखने वाला हमेशा समझदारी की
बात समझने की गलतफहमी पालता है)बात चस्पां की जा सकती है
बिना किसी की परवाह किये-क्योंकि एक तो कोई इसे पढेगा नहीं
और अगर किसी ने पढ.। भी तो क्या कर लेगा?सिवा कमेंट करने
के जो कि ब्लाग लिखने वाले की सफलता मानी जायेगी.
ब्लाग लिखने के लती का नारा हो सकता है:-
"हम तो जबरिया लिखबे यार हमार कोई का करिहै?"
कुछ ब्लाग लिक्खाङ तो अपना रोजनामचा इस मुस्तैदी और तफसील से
लिखते है गोया कोई बैट्समैन बैंटिग करते-करते स्कोरर का काम
भी कर रहा हो.धन्य है इतनी मुस्तैदी .
अगर ब्लागर के परिवारीजन इस कुटेव से दूर रहते हैं तो ब्लागर के
इस शौक से त्रस्त रहना उनकी नियति होती है.
इस कुटेव के बारे में मेरे पुत्र का कहना है:-"आजकल पापा को ब्लागिंग
का भूत सवार है.घर का पीसी बूढा हो चला है इसलिये वो देर तक आफिस
में बैठते हैं जो कि मम्मी को पसन्द नहीं है.मुझे लगता है कि पापा को
नया पीसी ले लेना चाहिये (ताकि मुझे भी मजा आये) और घर में ही ब्लाग
लिखना चाहिये.अगर ऐसा न हुआ तो गरज के साथ छींटे पङने की आशंका है."
बहरहाल आज तो सूरज अस्त-मजूर मस्त.
आप बतायें क्या राय है आपकी इसबारे में.
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aap ka post padha ...bahoot achaa hai ise blog par na utariye .... lekin aap ke comments dekhe aap "coment posting service" chaloo kar sakte hain (per word charge) PROVIDED you erase your posts
ReplyDeleteबधाई हो फुरसतिया जी ईमानदारीपूर्वक इस गुण्डई पर उतरने के लिये .अब लगता है रोज ही मानसिक पेंचिश के वार झेलने पडेंगे. मुसाफिर जरा खुलासा करें कि पोस्ट इरेज क्यों किया जाय. शुकुल, जरा लालू-अमर सिंह संवाद पर भी कृपा करो!
ReplyDeleteThis comment has been removed by a blog administrator.
ReplyDeletesimple... fursatiya's comments are more effective than the posts atharth voh aase sabji vale hai jin ki sabji to kal ki hai par saath main muft ka dhania aaj ka taaza hai.
ReplyDeleteMusafir, kaun se comments kee baat kar rahe ho? Zaraa ham bhee to mazaa le ki dhaniya baasee hai yaa sabzee aapke hisaab se?
ReplyDeleteAb jaisa ki vidwaano ne uddhrit kiya hai ki ye ek prakaar kaa diorreah hai to phir jo baasee maal bhee hogaa woh manasik kabziyat kee fasal hogee. Use bhee to nikalanaa chaahiye yaa naheen, ab us par bhee rok lagaaoge to jo manasik gas nikalegee use na tum sambhaal paaoge na ham. kya kahate hain sant is par?
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ReplyDeletewaiting for your next post ...perhaps better sense prevailed else I was almost cornered to shell out for your comment service.. which never took off
ReplyDeletewaiting for your next post ...perhaps better sense prevailed else I was almost cornered to shell out for your comment service.. which never took off
ReplyDeletenamaskar main ashu, kalkatta se.anup bhaiya it was great.maine bhi aap logon se inspire hokar apna account khola hai.check this out-www.panchaayatiya.blogspot.com
ReplyDeleteपंच परमेश्वर जी,आपका स्वागत है.बधाई-महाजनों का पथ अनुसरण करने के लिये.जनभाषा का प्रयोग किया जाय तो बात ज्यादा समझ आयेगी.
ReplyDeleteघर आया नया पीसी तो अब तक फिर से बूढ़ा हो गया होगा. . ;)
ReplyDeleteहम तो जबरिया लिखबे यार हमार कोई का करिहै?
ReplyDeleteवाह , (सच्ची बात है)
सादर