कल सुबह टहलने निकले। बहुत दिनों के बाद। सड़क पर चलता पहला इंसान ऊंघता हुआ दिखा। बेमन से टहलता। चेहरे पर उबासी लादे चलता। फुटपाथ की ठोकर से सहम कर चौकन्ना हो गया। ठोकरें हमको चौकन्ना बनाती हैं, सावधान करती हैं।
कल सुबह टहलने निकले। बहुत दिनों के बाद। सड़क पर चलता पहला इंसान ऊंघता हुआ दिखा। बेमन से टहलता। चेहरे पर उबासी लादे चलता। फुटपाथ की ठोकर से सहम कर चौकन्ना हो गया। ठोकरें हमको चौकन्ना बनाती हैं, सावधान करती हैं।
हमको छोटी-छोटी खुशियों का आनंद उठाना सीखना चाहिए।
*इंसान को मुसीबतजदा लोगों की तरफ से जरूर लड़ना चाहिए, लेकिन अगर वह लड़ाई के सिवा हर चीज में दिलचस्पी लेना बंद कर दे तो लड़ाई का क्या फायदा?
"कोई लक्ष्य
जहां-जहां उपस्थित हो तुम ,
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कल सुबह बाहर निकले। गाड़ी से। लाकडाउन खुल गया है। शहर उससे भी ज्यादा खुल गया।
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कौन मुस्काया
यह फोटो हमारे मित्र Rajeev Sharma ने भेजते हुए अपन से मजे लिए -'अगर इस फोटो में (डॉ शुक्ला का) इश्तहार न होता तो यह इमारत लन्दन में किसी जगह की इमारत लगती।'
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आज अमर शहीद पंडित रामप्रसाद बिस्मिल का जन्मदिन है। उनकी याद को नमन करते हुए उनके जीवन से जुड़े किस्से यहां पेश हैं। कैसी विषम परिस्थियों में जिये हमारे क्रांतिकारी।
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इस मां के संकट के उन दिनों को बिस्मिल की बहन श्रीमती शास्त्री देवी के शब्दों में देखिए-"पिताजी की हालत दुख से खराब हुई। तब विद्यार्थी जी पन्द्रह रुपये मासिक खर्च देने लगे। उससे कुछ गुजर चलती रही। फिर विद्यार्थी जी भी शहीद हो गए। मुझे भी बहन से ज्यादा समझते थे। समय-समय पर खर्चा भेजते थे। माता-पिता, दादा, भाई, दो गाय थीं। रहने के लिए हरगोविंद ने एक टूटा-फूटा मकान बता दिया था, उसमें गुजर करने लगे। वर्षा में बहुत मुसीबत उठानी पड़ी। फिर पांच सौ रुपये पंडित जवाहरलाल जी ने भेजे। तब माता जी ने कहा कि कुछ जगह ले लो। इस तरह के दुख से तो बचें।
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ज्ञान चतुर्वेदी जी का नया उपन्यास स्वांग पढ़ा। पिछले हफ्ते मंगाया। लगकर पढ़ गए तीन-चार दिन में। 384 पेज का उपन्यास 3-4 दिन में पढ़ लिया जाए यह अपने आप में उसके रोचक, मजेदार और पठनीय होने का प्रमाण है।
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