Saturday, April 26, 2014

जहां तुम पहुंचे छलांगें लगाकर



रोजी कमाने के लिए निकले दो लोगों में से पीछे साईकिल वाला शायद मंजिल पर पहुंचकर कहे-

'जहां तुम पहुंचे छलांगें लगाकर,
वहां हम भी पहुंचे मगर धीरे- धीरे।'

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  • अनूप शुक्ल

ठेले पर हिमालय नहीं भाई आलू



ठेले पर दो बोरा आलू जैसे पुस्तक मेले में विमोचन के लिए ले जाती दो किताबें। ऐसे ही एक बेतुकी सोच!
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