Thursday, September 10, 2009

….ब्लाग की लाज बचाना बेटा

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47 responses to “….ब्लाग की लाज बचाना बेटा”

  1. जीतू
    सही मौज ली है, लेकिन अभी भी मौजियल कंटेन्ट का अभाव दिख्खे है मने, तुमने समीर लाल की साइज के साथ इंसाफ़ नही किया। समीर लाल फिर बुरा मान जाएंगे।
    शशि भाई को जन्मदिन बहुत बहुत मुबारक, पिछले साल तो ये कुछ ’विशेष’ कार्य करने मे बिजी थे, इसलिए ब्लॉगिंग को समय नही दे सके, अब तो लौट आओ, जनसंख्या वृद्दि छोड़कर ब्लॉगिंग पर ध्यान दो बालक!
  2. Khushdeep Sehgal
    बस यही अपराध मैं हर बार करता हूं,
    आदमी हूं, आदमी से (?)प्यार करता हूं…
  3. anil pusadkar
    कानून के बाद तो संस्कारो को पीछे नही पड़ना चाहिये।शशि जी को जन्म दिवस की शुभकामनाएँ ।
  4. Pankaj
    बहूत खूब जी आप दोनो तो गजब के मौजी हो :)
  5. SHUAIB
    मज़े से दोनों ने मौज ले ही ली फिर पूछते हैं कि मौज कहां। बहुत प्यारी बातें शेयर करने के लिए आभार।
    और शशि भाई को जन्मदिन की हार्दिक बधाई।
  6. संजय बेंगाणी
    आ हा हा आनन्द आ गया. क्या छरहरी कविता है…..समीरलालजी को गुदगुदा गई होगी.
    अब आप मौज नहीं लोगे तो अगला “कुट्टी” ही होगा ना….. :) आग्रह रख लिया करें.. :)
    बेटी के बप को जन्मदिन मुबारक! :)
  7. वन्दना अवस्थी दुबे
    अब समीर जी की शिकायत ज़रूर दूर हो गई होगी………….
  8. घोस्ट बस्टर
    ये तो दबाव डालकर लिवाई गयी मौज है. कभी अपने मन से लीजिये तो और भी रंग जमे.
    शशि सिंह जी को जन्मदिवस की शुभकामनाएँ. इनकी लिखाई फ़िर से कब शुरु होगी?
  9. kanchan
    :)
  10. Saagar
    कहाँ से आपके दिमाग में इतना बात फुरता है हमको तो यही समझ में नहीं आता है… मज़ाक-मज़ाक में ब्लॉग को जितना आप सीरियसली लेते है उतना शायद ही कोई लेता होगा… वाह!
  11. प्रमोद सिंह
    धीरे से मुस्किया के समान सरिया रहे हैं.. कहां-कहां इतने, पता नहीं कितने कमेंट न छोड़-छोड़ के उंगलियां पिरा गईं, तो उन उंगलियों को दुलरवाने अब ससि सिंग के हियां जा रहे हैं.. हलांकि संगे ये सोच भी रहे हैं कि पता नहीं कैसे-कैसे तो आप लो ब्‍लॉग की लाज बचा रहे हैं? आंच जला रहे हैं?
  12. रवि
    अनूप समीर की जुगल-बंदी तो बढ़िया जमी. जुगलबंदियों की जुगत जारी रहे!!!
  13. अर्कजेश
    बहुत ही जोरदार कविता लिखी है । मजा आ गया पढकर । गीत के बोल बदल गये हैं धुन वही है ।
    एकदम असल पैरोडी है ।
    समीर जी की टिप्पणी और आपकी मौज
    कहां तक पुजे
    जब दिमान्ड कर रही है पूरी ब्लॉगर फ़ौज ।
  14. Shiv Kumar Mishra
    ऐसी बवालजयी कविता! वाह!
    ब्लॉग-मौज का कॉपीराइट्स रजिस्टर करवा लीजिये.नहीं तो लोग तरही मौज लेने लगेंगे….:-)
    शशि जी को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं.
  15. dr anurag
    .सुबह सुबह ….ये एनाल्जेसिक का साइड इफेक्ट है बीडू …या आप फिर सच्ची सुबह सुबह ब्लॉग की ड्यूटी पे है …ये तो कुछ आपसी सेटिंग का मामला नजर आता है …पुराने दोस्तों को याद करना कोई आपसे सीखे …
  16. प्रशान्त कुमार (काव्यांश)
    समझ न आये बातें यदि तो
    वाह वा,सुन्दर कह आना बेटा।
    लीजिये हमने भी कह दिया…..
    वाह वाह, सुंदर……. ;-)
  17. जि‍तेन्‍द्र भगत
    मौजा ही मौजा
  18. dr anurag
    इ तो सरासर पक्षपात है…..इंस्पिरेशन भी आप ले लिये हो .ओर देखिये दो चार लोग सुन्दर भी कह दिए है ….हम तो सोचे थे कौनो हसीना से इंस्पायर होगे …..खैर ….
  19. Alpana
    ‘ब्लागव्रता ‘
    yah bhi khoob hai!
    -ek blog dictionary bhi banNi chaheeye ab..har roz naye shbdon ka avishkaar ho raha hai…
    जाता है सब तो जाने देना
    बस अपना ब्लाग बचाना बेटा।
    कोई तुम्हें यदि छेड़े-छाड़े
    झट टंकी पर चढ़ जाना
    ha ha ha!
    kavita yah bhi kaaljayee hai.sameer jiko badhaayee.
    -Shashi ji ko janamddin ki dheron badhayeeyan aur nav shishu ke janam par vishesh badhaayee au shubhkamnayen.
  20. Ratan singh Shekhawat
    फ़ुरसतिया मौज अगर लेता है,
    बस धीरे से मुस्काना बेटा।
    आपकी कविता पढ़कर तो मुस्कराहट अपने आप ही आ गयी | आज तो सही मौज ली है !
  21. anitakumar
    हा हा हा, बढ़िया मौज ली आप ने और कविता तो सच में कालजयी है, जीतू जी सही कह रहे है मौज थोड़ी कम हो गयी, थोड़ा और रंग मिलाना था न
  22. anitakumar
    मौज की मस्ती में शशी जी को जन्म दिन की शुभकामनाएं देना तो भूल ही गये, उन्हें ढेर सारी शुभकामनाएं
  23. रंजना
    समीर भाई के फोटुवा पर जैसे ही नजर पडी लगा ………हाय राम ई त ईहाँ टाटानगर में ऊ जो जुबली पार्क में जो टाटा जी का मुर्तिया है,ठीक वैसी ही लग रही है…..स्टिल मूर्ती स्टील की…..
    बढियां मौज कर लिए आपलोग दुनु लोग मिल कर……
  24. मसिजीवी
    ये ब्‍लॉगव्रता खूब शब्‍द गढ़ा है… मजा आ गया। नए कानून के बाद टेक्‍स्‍ट के कई गहन पाठ करने पड़ते हैं। मसलन अंगुली को कहा तब तो ठीक पर अगर समीरजी को कहा तो ब्‍लॉगवान होना था…ब्‍लॉगव्रता नहीं। दूसरी ओर अंगुली को कहा तब तो फूल के कुप्‍पा होने की कोई बात नहीं…एक ठो देह में सिर्फ हाथ की गिनें तो दस होती हैं… यानि कम से कम दस ब्‍लॉग के लिए ब्‍लॉगव्रता बने रह सकते हैं समीर।
    :))
  25. Abhishek Ojha
    बहुत अच्छी रचना. कभी हमारे ब्लॉग पर भी पधारे :)
  26. Abhishek Ojha
    आपने सीखाया तो हम फोलो करना चालु कर रहे हैं !
  27. anil kant
    चाहिये।शशि जी को जन्म दिवस की शुभकामनाएँ ।
  28. शशि सिंह
    फुरसतिया की ये टैग लाइन “हम तो जबरिया लिखबे यार हमार कोई का करिहै” को अब बदल देनी चाहिये। नई लाइन कुछ होनी चाहिये “हमसे जबरिया लिखवाय… हम का करीं?”
    यादाश्त बड़ी तेज है, मानना पड़ेगा! ब्लॉगिंग के पाषाण युगीन अस्थि-पंजरों को आज भी पहचान लेते हो आप :)
    शुभकामना के लिए सभी मित्रों का धन्यवाद!
  29. ज्ञानदत्त पाण्डेय
    हम तो सीरियस टाइप के आदमी हैं। यह सब हंसी ठठ्ठा हमारी प्रवृत्ति का अंग नहीं। ब्लॉग में केवल सीरियस ब्राह्मणवाद चलना चाहिये। भाग्वदपुराण के स्तर का।
    यह टिप्पणी तो मात्र टिप्पनिवेश के लिये है!
  30. amit
    वाह जी वाह, मज़ा आ गया। वैसे जीतू भाई से सहमति है कि मौज की मात्रा कम लग रही है, कहीं समीर जी बुरा न मान जाएँ, ही ही ही!! :D या फिर यह स्नैक की भांति परोसी गई मौज है और अभी मेन कोर्स बाकी है? ;)
    शशि भाई को जन्मदिन बहुत मुबारक और आने वाले वर्ष के लिए ढेरों शुभकामनाएँ :)
  31. S.R.Bharti
    Wah Shashi Bhai,
    Blog par rachit kavya bahut aachha hai
    Dher sari BHADHAI
  32. Dr.Arvind Mishra
    धाँसू फोटो ! और आगे की बातें तो हा हा हा हा !
  33. Dr Prabhat Tandon
    mast … mauj hi mauj….
  34. ताऊ रामपुरिया
    बहुत सही खोज खबर ली जी.:)
    रामराम.
  35. Rashmi Swaroop
    ab to pakkam pakka samir sir ki saari kahi unkahi shikayate door ho gayi hongi ?
    haha !
  36. shefali pande
    बहुत बढ़िया कविता …बिलकुल मर्मस्पर्शी ….शब्द ही नहीं हैं ,वाह वाह ,अति सुन्दर ….
  37. समीर लाल ’उड़न तश्तरी’ वाले
    फ़ुरसतिया मौज अगर लेता है,
    बस धीरे से मुस्काना बेटा।
    ***************************************
    थोड़े को भी बहुत समझना
    पूरी मौज मनाना बेटा..
    जीतू, संजय भड़काते हैं
    उनको तुम हड़काना बेटा.
    शशि बाबू के जन्म दिन पर
    बड़का केक कटवाना बेटा.
    हमरा आना बहुत कठिन है
    तुम सारा खा जाना बेटा.
    –मस्ती में मजा लिये हो भाई. आज तक चैनल से भी तेज..उधर हमारी कविता आई और इधर उसकी कुटाई. गजबे किये हो भाई…
    बहुत आनन्द आ गया. :) ये फोटो से ज्यादा सुन्दर वाली और नहीं मिली का कौनो??
    *
    *~* शशि भाई को जन्मदिन बहुत मुबारक *~*
    *
  38. घोस्ट बस्टर
    इस पोस्ट को पढ़ने से पहले समीर जी की आज की पोस्ट नहीं पढ़ी थी. इसीलिये आपकी कविता का मर्म नहीं समझ सके थे. अब समझ में आया है. हमारी पिछली टिप्पणी का पूर्वाद्ध कैंसिल समझा जाए.
  39. उखड़ा पलस्तर

    चलो, इस दुनिया में एक नेट तो ऎसा भी है,
    जिसमें समीरभाई फँस जाते हैं, और आपकी पकड़ाई आसान हो जाती है ।
    मुला, इतनी त्वरित कारवाई की ऊर्ज़ा वाया रामभजन चपरासी, नगर निगम के बाबूओं तक भी पहुँचा दिये होते, भाई जी ?
    उत्तम ऎसी तैसी !
  40. चंद्र मौलेश्वर
    “ब्लाग जहां कोई सूना देखो
    झट से तुम टिपियाना बेटा।”
    लो जी, टिपिया दिये…क्यूट समीरजी की नाज़ुक तर्जनी की खातिर:)
  41. सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी
    ये हुई न च‍उचक मौज।
    डबल कविता में बड़ा आया। कुछ हम भी जोड़ आये वहाँ।
    जमाए रहिए जी…।
  42. Priyankar
    शानदार तस्वीर और शानदार कविता .
    अमित का कैमरा और आपकी कलम दोनों गज़ब हैं .
    पण जनता ठीक बोलै . मौज-मस्ती का कंटेंट/डोज़ थोड़ा कम दीखै . मतबल आपने खाली छिगुनिया से लिखा दीखै . यो ’भाग्वदपुराण के स्तर का’ ना हुया जी. ब्लाग की लाज यानी ब्लागवत्ता जी की इज्जत बची कि लुटी . फ़ाइनल जजमेंट को समचार दीजो .
  43. विवेक सिंह
    समीर जी ने आपका घंटा खराब कर दिया, सुनकर( पढ़कर ) बहुत अफसोस हुआ,
    गलती इन्सान से ही होती है, कोई जानबूझकर तो खराब किया न होगा,
    खैर अब हो गया सो हो गया, आप अपने घंटे की मरम्मत करा लें,
    जल्दी ही आपका घंटा फिर से बजेगा ऐसी आशा के साथ मैं विवेक सिंह अपनी बात यहीं रोकता हूँ,
    नमस्कार !
  44. समीर लाल ’उड़न तश्तरी’ वाले
    लोग न जाने कैसी-कैसी बातें करने लगे हैं। सुनने में अच्छा तो लगता है लेकिन शरम भी आती है बताते हुये।
    –हा हा!! ह्म्म!! ह्म्म!!..शरमाते हुए मुस्किया रहे हैं, दोहरे हुए. :)
  45. …जन भाषा के हायपर लिंक
    [...] ही कल एक ठो लिखा बना था- ब्लागव्रता। मसिजीवी तो उसका पोर्स्टमार्टमै [...]
  46. अनूप शुक्ल, दम्भ और अभिमान और मौज की लक्ष्मण रेखा
    [...] दबा देते। समीरलाल से भी मैंने बल भर मौज ली है। उनके  मधुर गायन के बारे में टिपियाते [...]
  47. फ़ुरसतिया-पुराने लेख
    [...] ….ब्लाग की लाज बचाना बेटा [...]

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