Saturday, June 16, 2012

एक मुलाकात रवि रतलामी से

http://web.archive.org/web/20140420082221/http://hindini.com/fursatiya/archives/3069

एक मुलाकात रवि रतलामी से

पिछले दिनों एक मीटिंग के सिलसिले में दिल्ली जाना हुआ। जबलपुर से दिल्ली सुबह हवाई जहाज उड़ता है। रोज किंगफ़िशर न तो एयर इंडिया। लेकिन उड़ानें नखरीली हैं। कभी भी कह देती हैं -आज न जायेंगे। मीटिंग जरूरी थी। जरूरी मतलब ऐसे कि पहुंच गये तो हाजिरी लग गयी। न पहुंचे तो डांट कि आये काहे नहीं। सो डांट बचाने के लिये मूडी हवाई यात्रा का सहारा छोड़कर पुख्ता रेल यात्रा का पल्ला थामा गया। गये रेल से दिल्ली वाया भोपाल।

जबलपुर से जब चले तो बगल की चार सीटों पर कुछ जबलपुरिये काम भर की ऊंची आवाज में गपिया रहे थे। रोचक गप्पाष्टक। देश की हर समस्या का समाधान उनके मुंह से फ़ूट-फ़ूटकर रेल के डिब्बे में गिर रहा था। देश की हर समस्या के सैकड़ों समाधान देश के कोनों-अतरों में बिखरे पड़े रहते हैं। कोई उनको सहेजकर रखने वाला नहीं है। दो बातें जो उनकी मुझे याद आ रही हैं वे थीं:
१. भारत की नारी सब कुछ सहन कर लेती है। इसीलिये देश महान है। जिस दिन भारत की स्त्रियां विदेश की महिलाओं की तरह हो जायेंगी उस दिन देश बरबाद हो जायेगा।

२. अगर देश में फ़ालतू की बकवास पर टैक्स लगा दिया जाये तो देश का बहुत भला होगा। बकवास तो कम होगी ही साथ में आमदनी भी होगी।

भोपाल के हबीबगंज स्टेशन पर निकलते ही रविरतलामी जी ने हमें अपने कब्जे में ले लिया। गाड़ी में डालकर अपने घर की ओर चल दिये। गाड़ी के सारथी  उनके सुपुत्र अनिमेष थे! वे इसी साल अपनी पढ़ाई पूरी करके TCS में नौकरी पाये हैं। चले जायेंगे कुछ दिन में कम्पनी सेवा में। हमने उनसे कहा -कुछ दिन हास्टल में रहना चाहिये था। इस पर रविरतलामी ने बयान जारी किया- ये हास्टल में तो नहीं रहे लेकिन हमने घर में ही इनको हास्टल का माहौल दिया। घर में पूरी मस्ती और आजादी।

हमने कहा – अरे भाई आप तो सतीश सक्सेना जी की तरह की बातें कर रहे  हैं। जैसे वो बताते हैं कि अपनी बहू को बेटी की तरह रखते हैं उसई तरह आप कह रहे हैं कि आपने  बेटे के लिये घर को हास्टल बना दिया। हास्टल के मजे अलग हैं। दुनिया अलग। ऐसी आजादी/बर्बादी घर में कहां? :) इस बीच हमें बाहर से अनिमेष का समर्थन मिल गया था सो रविरतलामी हमारी बात से सहमत से हो गये।

घर  पहुंचकर नमस्ते/वमस्ते निपटाकर चाय-पानी हुआ। फ़िर ब्लॉगरी के किस्से शुरु। ब्लॉग से  जुड़े व्यक्ति के पास किस्सों का अकाल नहीं होता। हालिया प्रिय ब्लॉगर चुनाव पर हुई ब्लॉगिंग पर हम लोगों के संयुक्त विचार थे  कि यही तो ब्लॉगिंग के मजे हैं। हरेक के लिये यहां अपनी बात कहने का पूरा और बराबर मौका है। आप बेवकूफ़ी की बात भी उतने ही धड़ल्ले से कह सकते हैं जितनी शान से ज्ञान की बातें। मजे की बात यह है  कि अक्सर दोनों बातें इतनी एक सी लगने लगती हैं कि उनकी पहचान करना मुश्किल हो जाता है कि कहां ज्ञान छिपा है और कहां बेवकूफ़ी पसरी है।

चकाचक चाय और शानदार खाने के चलते भाभीजी की तारीफ़ करना लाजिमी  बनता है। फ़िर बातचीत करते हुये याद आया कि अरे ये तो  रेखा कान्तम हैं भाई फ़ाइन आर्ट कालेज वाली जिनसे राजनादगांव में मुलाकात के बाद रवि रतलामी ने अपना दिल पूरा का पूरा दे दिया और खुद पेसमेकर पर आ गये।
हां यह अभी याद आया! यह पोस्ट लिखते हुये याद आया कि रवि रतलामी ने अपने बारे में लिखते हुये बताया था कि पैतींस साल की उम्र में उनको पेसमेकर लगा था। सत्रह साल से अपना दिल सुरक्षित अपनी पत्नी जी के पास सुरक्षित रखकर ये पेसमेकर से काम चला रहे हैं।गजब की जिजीविषा है भाई!

बिटिया अनुश्री के इ्म्तहान हो रहे थे। फ़िर भी उसने चाय-पानी कराया। हमने कहा रहन दो भई वर्ना अगर कहीं एकाध सवाल गड़बड़ा गया तो दोष हम पर जायेगा कि ब्लॉगरों के चलते हुआ  ऐसा। इसपर उसका जबाब था- अरे कोई नहीं इतना तो चलता  है।

इससे पता चलता है कि रविरतलामी जी को कित्ता खुला माहौल मिला है ब्लॉगिंग के लिये। :)
खा-पीकर चलते हुये घर के बाहर एक ठो फ़ोटो सेशन हुआ।  मकान नम्बर 101 के बाहर। मकान का किस्सा सुनाते हुये रविजी ने बताया:
सबसे पहले मकान का नम्बर 99 था उसमें एक बेडरूम था। इसके बाद 100 नम्बर वाले में दो बेडरूम थे। अब 101 वाले में तीन बेडरूम हैं। मतलब मकान के नम्बर बढ़ने के साथ घर में बेडरूम बेडरूम बढ़ते गये।
घर से बाहर निकले इंसान के लिये एक खुशहाल घर में कुछ  घंटे बिताना बड़ा खुशनुमा अनुभव रहा।
मध्यप्रदेश की राजधानी में हुई इस मुलाकात में हमारा मध्यप्रदेश भी चर्चा का विषय रहा जिसके विस्तार से रविरतलामी पर्याप्त चिंतित दिखे। :)

घर से चलकर रवि रतलामी ने अपने आरामदायक कब्जे में रखी पकड़ को तीन घंटे अपने कब्जे में रखने के बाद भोपाल रेलवे स्टेशन पर छोड़ दिया। हम वहां से उचककर शताब्दी ट्रेन में बैठे और दिल्ली आ गये।
चलते-चलते बता दें कि वहां घर में हमने रेखा भाभी की कई पेंटिंग्स देखीं। उनको देखकर हमें भी शौक हुआ है कि कुछ पेंटिंग-सेंटिंग की जाये। अगर कुछ ऐसी अनहोनी हुई तो पेंटिंग की  शुरुआत का दोष भूतपूर्व रेखा कान्तम  पर जायेगा। कुछ वैसे ही जैसे हमारी ब्लॉगिंग शुरु कराने के दोषी रविरतलामी माने जाते हैं।
रविरतलामी के बारे में मेरी लिखी ये भी पोस्टें देखें :
1. रवि रतलामी- जन्मदिन मुबारक
2. सीखना है तो खुद से सीखो-रवि रतलामी

मेरी पसंद

एक सपना उगा जो नयन में कभी,
आंसुऒ से धुला और बादल हुआ!


धूप में छांव बनकर अचानक मिला,
था अकेला मगर बन गया काफिला.

चाहते हैं कि हम भूल जायें मगर,
स्वप्न से है जुडा स्वप्न का सिलसिला.

एक पल दीप की भूमिका में जिया,
आंज लो आंख में नेह काजल हुआ.
शतदल,कानपुर




33 responses to “एक मुलाकात रवि रतलामी से”

  1. देवेन्द्र पाण्डेय
    यह काम तो बहुत अच्छा किया आपने। मकान का नम्बर बता दिया। अब कभी भोपाल गये तो ढूँढने में कोई दिक्कत नहीं होगी।:)
    1. रवि
      तब तो आप शर्लाक होम्स को भी मात दे देंगे. मोहल्ला और सड़क का नाम व देश, प्रांत का नाम तो दिया ही नहीं है, फिर भी खोज लेंगे? :)
  2. संतोष त्रिवेदी
    रवि रतलामी जी की पकड़ बड़ी मज़बूत थी जो तीन घंटे तक चली,बदले में एकठो पोस्ट मिली |यदि कोई चम्बलवाला पकड़ लेता तो उसे ब्लॉगर से क्या ख़ाक मिलता…?
    ऐसी पकड़ा-धकड़ी केवल पुरनिया धाकड़ों के साथ ही करते रहोगे या कभी उदीयमानों का भी नंबर आएगा !!
    संतोष त्रिवेदी की हालिया प्रविष्टी..ये धुआँ सा कहाँ से उठता है-अलविदा मेंहदी हसन साब
  3. rachna
    रवि से मिलने की इच्छा तो मेरी भी हैं , उनकी हैं या नहीं इस से क्या फरक पड़ता हैं , आफ्टर ऑल , हम ब्लोग्गर हैं जी
    1. रवि
      रचना जी, आपका भी स्वागत है, भोपाल में!
  4. रवि
    आप कब्जे में आए ही कहाँ थे! वो तो कभी दूसरी मर्तबा के लिए छोड़ा हुआ है. ये तो आपकी ट्रांजिट यात्रा थी. बहरहाल वे ३ घंटे भी बेहद मजेदार गुजरे. फुरसतिया जैसा व्यक्तित्व का सान्निध्य मिले तो हर दूसरे मिनट ठहाकों की गारंटी निश्चित.
    रवि की हालिया प्रविष्टी..विंडोज़ 8 पर पहली हिंदीमयी नज़र
  5. sanjay jha
    बहुत खूब मिलबाये………..लिनक्स बरे सही रहे ………. मजा आया बांचकर ……………………….
    प्रणाम.
    1. रवि
      धन्यवाद!
  6. सतीश सक्सेना
    इनके दिल्ली प्रवास के बारे में पहले बताना था खैर हो तो गुरु ही …
    ब्लॉग जगत में बेहतरीन लोगों में से एक रवि सम्मानित और कार्यों में गुरु ( आपकी तरह नहीं ) तो हैं ही !
    मगर फ़ोन पर बात कर अच्छा लगा ,
    हार्दिक शुभकामनायें रवि को और आभार आपका !
    सतीश सक्सेना की हालिया प्रविष्टी..ब्लोगर साथियों का स्नेह आवाहन -सतीश सक्सेना
    1. रवि
      सतीश जी, आपका बहुत बहुत धन्यवाद और आपको भी शुभकामनाएँ और बधाईयाँ!
  7. प्रवीण पाण्डेय
    हम भी सोच रहें हैं कि कल रात को उतर लिया जाये भोपाल में..
    प्रवीण पाण्डेय की हालिया प्रविष्टी..स्वतन्त्र देवता
    1. रवि
      बिलकुल उतरिये. हम तो स्टेशने पर ही डेरा डाले बैठे हैं. स्वागत है आपका!
  8. आशीष श्रीवास्तव
    मकान नम्बर मिल गया, हम भी आ रहे है भोपाल अगले महीने !
    आशीष श्रीवास्तव की हालिया प्रविष्टी..समय : समय क्या नही है ?
    1. रवि
      अरे वाह! यह तो खुशी की बात है. स्वागत है.
  9. shikha varshney
    भोपाल तो हमें भी आना है अगस्त में :)
    बढ़िया रोचक परिचय .
    shikha varshney की हालिया प्रविष्टी..कई बार यूँ भी होता है…
    1. रवि
      रास्ते में ही हमारा घर पड़ता है, आना न भूलियेगा!
  10. काजल कुमार
    आप बेवकूफ़ी की बात भी उतने ही धड़ल्ले से कह सकते हैं जितनी शान से ज्ञान की बातें। (हालांकि ज्ञान की बात करते हुए डर लगता है कि कहीं ग़लत हुए तो ?)
    1. रवि
      हाँ, वैसे आपके कार्टूनों में ज्ञान ही ज्ञान झलकता है और शायद इसीलिए नेताओं को अब कार्टूनों से भय लगने लगा है :)
  11. deepak baba
    रोचक रहा रवि जी से मिलना.
    1. रवि
      धन्यवाद.
  12. राहुल सिंह
    ”छत्‍तीसगढि़या” ”रतलामी” जी से ”भोपाली” मुलाकात…
    राहुल सिंह की हालिया प्रविष्टी..खुसरा चिरई
  13. संजय अनेजा
    दो सितारों का भोपाल में मिलन यकीनन दमदार रहा होगा|
    आपके मध्य प्रदेश पर रवि जी चिंतित हुए और आप स्माईली लगा रहे हैं? अवमानना का नोटिस दे दिया जाता आपको अगर सामने रवि जी की जगह ……….. या ……….. होते :)
    संजय अनेजा की हालिया प्रविष्टी..आकाश में पत्थर
  14. Alpana
    रवि जी के बारे में जानना अच्छा लगा.
    उनकी कही दोनों बातें एक दम सही है!
    ………….
    Mrs . Ratlaami जी की पेंटिंग्स की एक झलक हम भी देख पाते.
    ….
    और आप की कितनी पेंटिंग्स पूरी हुईं?
    ..
    Alpana की हालिया प्रविष्टी..काश !एक दिन ऐसा भी हो….
  15. ashish kanpuriya
    क्या बात है सभी लोग भोपाल पहुच रहे है , हम भी तो , हमेशा की तरह चौचक और आत्मिक विवरण .
  16. रेल,सड़क और हवाई सफ़र के दौरान इधर-उधर की
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  17. amit
    बढ़िया एवं चकाचक। फुरसतिया आजकल खूब फॉर्म में हैं, आलोक भाई का इंटरव्यू, अब रवि जी से मुलाकात, तो आगे पाइपलाईन में और भी घणा चोखा माल होगा, नहीं? :)
    सबसे पहले मकान का नम्बर 99 था उसमें एक बेडरूम था। इसके बाद 100 नम्बर वाले में दो बेडरूम थे। अब 101 वाले में तीन बेडरूम हैं। मतलब मकान के नम्बर बढ़ने के साथ घर में बेडरूम बेडरूम बढ़ते गये।
    जे बात है तो हम आशा करते हैं कि जल्द ही रवि जी अब 103 नंबर में जाएँ :)
    चलते-चलते बता दें कि वहां घर में हमने रेखा भाभी की कई पेंटिंग्स देखीं। उनको देखकर हमें भी शौक हुआ है कि कुछ पेंटिंग-सेंटिंग की जाये।
    शुभस्य शीघ्रम। :) कैनवस और रंगो की कूची ले आईये और तुरंत शुरु हो जाईये! ;)
    amit की हालिया प्रविष्टी..समीक्षा: ज़ोमैटो रेस्तरां गाइड २०१२
  18. awadhesh singh chauhan
    अनूप जी मध्य प्रदेश के जबलपुर में आपका स्वागत है.
  19. Abhishek
    बढ़िया.
    वैसे सच में तीरंदाज लोग हैं :) वैसे तो रवि रतलामी नाम ही काफी है लेकिन… केवल १०१ नंबर से ही घर ढूंढ़ लेना… अरे भाई लोग एक ईमेल ही कर लीजियेगा पूरा पता दे देंगे रवि जी :)
    Abhishek की हालिया प्रविष्टी..सदालाल सिंह (पटना १३)
  20. anitakumar
    पुरानी पोस्टों के लिंक्स से रवि जी के बारे में और जान कर बहुत अच्छा लगा। अब आप की पेंटिग्स का इंतजार है
  21. मुकुल मिश्रा
    आप इतना बढ़िया लिखते हैं कि कभी-कभी लगता है कि हमारा लिखना व्यर्थ है. हमें पढ़ने में ही ध्यान देना चाहिए. :)
    मुकुल मिश्रा की हालिया प्रविष्टी..नितीश कुमार का समाजवादी रंग- भाग एक
  22. फ़ुरसतिया-पुराने लेख
    [...] एक मुलाकात रवि रतलामी से [...]
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