Monday, December 30, 2019

सैनफ्रांसिस्को के घाट मतलब पियर 39



गोल्डन गेट ब्रिज देखने के बाद बाकी का सैनफ्रांसिस्को देखने निकले। चौड़ी सड़क, चौड़े फुटपाथ। जितनीं चौड़ी सड़क , लगभग उतनी ही फुटपाथ।
टहलते हुए पियर 39 की तरफ गए। पियर मने समझिये घाट। समुद्र किनारे सड़क किनारे कतार में बने हैं घाट। हर घाट पर तरह-तरह की दुकानें, संस्थान और दीगर इमारतें होती हैं। सैनफ्रांसिस्को का पियर 39 बाजार, दुकानों , रेस्तरां, मछुआरा घाट और सील मछलियों के लिए प्रसिद्द है।
जगह-जगह बड़ी बड़ी दुकाने। एक तो चीज स्कूल ही खुला था। चीज की दुकान थी शायद वह। एक मशहूर ब्रेड की दुकान भी थी। बुडमैन ब्रेड। ब्रेड कैसे बनती है इसकी नुमाइश दुकान में हो रही थी। एक जगह फव्वारा भी दिख गया तो उसके किनारे फोटो हुई।
वहीं फुटपाथ पर एक नौजवान लकड़ी के तख्त के मंच पर ऊंचा स्टूल लगाए करतब दिखा रहा था। स्टूल के भी ऊपर एक लोहे के रोलर पर लकड़ी के पटरे पर चढ़कर करतब दिखा रहा था वह। पटरे पर इधर-उधर होते, संतुलन बनाते, एक हाथ से बोतल उछालकर दूसरे से कैच करते, दर्शकों से बतियाते , अपने करतब की कमेंट्री करते हुये उस युवक को देखने के लिए मजमा लगा था। हर करतब पर लगता , अब गया, तब गया। लेकिन वह संतुलन बनाते करतब दिखाता था। कुछ देर बाद उसने अपने हाथ की बोतल दर्शकों की तरफ फेंक दी। वापस मांगी। दर्शक ने उसकी तरफ फेंकी। उसने लपकी। लपकने की कोशिश में वह फिर गिरने को हुआ। लेकिन गिरा नहीं। गज्जब का संतुलन।
लोग इस करतब के लिए उसको पैसे भी दे रहे थे। हम लोग करतब अधूरा देखकर , बीच में ही रोमांचित होकर आगे बढ़ लिए।
आगे भी तरह-तरह के लोग अलग-अलग कलाओं के प्रदर्शन करते दिखे। एक गायक दल गाना गा रहा था। एक आदमी रँगबिरंगे कपड़े पहने साबुन के बुलबुले बना रहा था। एक आदमी फुटपाथ पर तरह-तरह के तारों से अलग-अलग आकृतियां बना रहा था। ये कलाकार चुपचाप अपनी कला का प्रदर्शन करते रहते हैं। आपको अगर कुछ देना हो तो दीजिए, वे मांगते नहीं। अधिकतर सैलानी कुछ न कुछ देते ही दिखे।
अलावा इसके कुछ लोग ऐसे भी दिखे जो होमलेस की तख्ती लगाए चुपचाप मांग रहे थे। अमेरिका में भीख मांगने वाले कई जगह दिखें। अधिकतर चुपचाप तख्ती लगाए हुए होमलेस की। व्हीलचेयर पर बैठे बिना फिल्टर की सिगरेट फूंकते निस्संग मांगने वाले भी दिखे।
चलते हुए शाम हुई। एक जगह नाश्ता किया। सड़क किनारे फुटपाथ पर ही रेस्तरां में में। जिस मेज पर बैठे थे वह फुटपाथ की तरफ ही थी। बैरे ने मुझे मोबाइल मेज के किनारे से हटाकर सुरक्षित रखने के लिए कहा। यह बताते हुए कि जिधर मैने रखा था उधर से उचक्के लोग लेकर फुट लेते हैं। आर्थिक असमानता होने के कारण सैनफ्रांसिस्को में इस तरह की घटनाएं ज्यादा होती हैं।
वहीं एक मछुआरा घाट भी दिखा। सड़क किनारे फुटपाथ पर मछली पकड़ने और नाव खेने के प्रतीक चिन्हों से बना ख़ूबसूरत चौराहा।
पियर 39 पर अंदर गए। दूर समुद्र में पड़े तख्तों पर सील मछलियां आराम से मस्तियाँ रहीं थीं। कोई अंगड़ाई लेते हुए पलट रही थी। कुछ आपस में अठखेलियाँ करते हुए हाउ डु यू डु कर रही थीं। सूरज भाई इनके करतब देख मुस्करा रहे थे। हम भी बहुत देर देखते हुए फोटो बाजी करते रहे। समुद्र के बीच में खड़ा अर्काट का किला हमको बुला सा रहा था -'हमको देखने कब आओगे?'
पियर 39 पर तमाम दुकानों, खूब बड़े झूलों के अलावा म्यूजियम भी था। हम देख नहीं पाए उसको। शाम हो गयी थी। वापस लौट लिए।
लौटते हुए तमाम लोग फुटपाथ किनारे साइकिल चलाते दिखे। कुछ बतियाये, कुछ गपियाते और कुछ भागते, पसीना बहाते हुए भी। मेट्रो से , बस से घर वापस जाते लोग भी नमूदार हुए।
गाड़ी पार्किंग से वापस लेने गए। 25 डॉलर किराया लग गया करीब 4 घण्टे गाड़ी खड़ी करने का। 25 डॉलर मतलब करीब 1750 रुपये। इतने में ही वहीँ से उसी दिन एक जैकेट खरीदी।
पता होता पहले कि इत्ती मंहगी पार्किंग है अमेरिका में तो अपना गैरेज साथ उठा ले जाते। पार्किंग के पैसे बचाते, उल्टा कमा के आते। लेकिन अब तो पैसे ठुका के वापस आ चुके हैं। सब कुछ लुटा के अक्ल जो आई तो क्या हुआ।
गोलडन गेट ब्रिज और पियर 39 देखने के बाद बाएं- दाएं का सैनफ्रांसिस्को निहारते हुए शाम हो गयी। सूरज भाई टाटा करके निकल लिए। हम भी बचा हुआ शहर अगले दिन देखने के लिए छोड़कर घर वापस आ गए।
नोट: करतब, गाना और सील मछली के वीडियो आखिर में हैं।

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