Wednesday, December 27, 2023

पांडिचेरी की ओर



पिछले दिनों महाबलिपुरम और पांडिचेरी जाना हुआ। पांडिचेरी इसके पहले चालीस साल पहले आये थे। इलाहाबाद से कन्याकुमारी तक साइकिल यात्रा के दौरान अगस्त , 1983 के दूसरे हफ्ते । एक दिन रुके थे। अरविंद आश्रम और समुद्र तट की बहुत धुंधली यादें थीं पिछली यात्रा की।
पिछली बार पांडिचेरी से चेन्नई की तरफ आये थे। इस बार महाबलिपुरम से पांडिचेरी जाना हुआ। पांडिचेरी को पुदुचेरी और कहीं-कहीं पोंडी भी लिखा देखा।
पांडिचेरी में रुकने के लिए होटल बुक नहीं कराया था। सोचा वहीं देखेंगे। चलने के एक दिन पहले आनलाइन बुकिंग की बात सोची तो लोगों ने बताया कि वहां सब होटल भरे हैं। कहीं कोई जगह नहीं है। हमने सोचा कि अब समय आ गया बुकिंग कराने का। यात्राओं में रोमांच लाने का यह भी एक तरीका है कि इंतजाम में देरी की जाए ताकि परेशानी आये और फिर उस परेशानी को हल करने की कोशिश की जाए।
आनलाइन बुकिंग की कोशिश की तो तमाम होटल में जगह दिखी। लगभग हर जगह एक ही कमरा बाकी दिखा रहा था। शायद हमारे लिए ही बचा रखा था। कमरे का किराया हजार-पन्द्रह सौ से लेकर पचीस-तीस हजार तक बताया जा रहा था।
बहरहाल एक कमरा बुक करा लिया । फ्रेंच कालोनी में एक विला था। कमरे के फोटो भी ठीक-ठीक ही दिख रहे थे। बुकिंग के कोई पैसे एडवांस में नहीं देने पड़े थे । सोचा अगर अच्छा नहीं होगा तो दूसरा खोजेंगे होटल।
महाबलीपुरम से पांडिचेरी की दूसरी लगभग 95 किलोमीटर है। कानपुर से लखनऊ की दूरी के बराबर। बढ़िया सड़क। सड़क के दोनों तरफ आबादी, गाँव , खेत । सबको देखते हुए पांडिचेरी की तरफ बढे। सड़क किनारे दीवारों पर इश्तहार। ज्यादातर तमिल में। कहीं-कहीं अंग्रेज़ी भी दिख जाती।
रास्ते में एक जगह चाय पी गयी। काउंटर पर मौजूद महिला तमिल ही जानती थी। लेकिन चाय लेने और पैसे देने में कोई अड़चन नहीं आई। पैसे की भाषा सबकी सबको फ़ौरन समझ में आ जाती है। दस रुपये की एक चाय । भुगतान गूगल पे से किया। आजकल पूरे देश में आनलाइन भुगतान की व्यवस्था हो गयी है।
पांडिचेरी पहुंचकर ठहरने की जगह गए। एक घर को होटल में बदल दिया गया था । अँधेरे कमरे । फ़ोटो में जितना अच्छा दिख रहा था होटल , उतना अच्छा दिखा नहीं। पास में स्थित मछली बाजार से ‘मछली गंध’ की मुफ्त व्यवस्था। मन नहीं हुआ रुकने का। दूसरा होटल खोजने निकले।
जिस भी होटल में पता किया वो भरा मिला। लोगों ने बताया कि महीनो पहले से बुकिंग कराते हैं लोग। कोई होटल खाली नहीं मिलेगा।
आसपास तमाम होटल देखने के बाद भी कहीं जगह नहीं मिली। तय किया कि जो बुक किया था उसी में रुक जाते हैं। रात को सोना ही तो है। एक दिन की बात । वापस चल दिए होटल की तरफ। उसको फोन भी कर दिए। आ रहे हैं रुकने के लिए।
लेकिन होटल की तरफ चलते हुए उसके कमरे के हाल याद आये। रुकने का मन नहीं किया। एक बार यह भी सोचा कि शाम तक घूमकर वापस लौट जायें पांडिचेरी से।
एक बार फिर होटल-होटल पूछते फिर। आनलाइन खोजा। एक होटल दिखा। हमने बुक करके पूछा तो बताया गया आ जाओ। खाली है। होटल वाले ने लोकेशन भी भेज दी। हम चल दिए।
होटल की तरफ चलते हुए उसी नाम का एक और होटल दिखा होटल वाले ने लोकेशन भी भेज दी।
होटल की तरफ जाते हुए उसी नाम का एक और होटल दिखा। हम लपके होटल वाले बताया कि एक कमरा खाली है। दाम एक हजार ज्यादा बताये। हमने पूछा इसी नाम का तुम्हारा और होटल भी है ? तो उसने बताया हाँ है ! हमने कहा आते उसको देखकर । उसने कहा- ठीक।
होटल के रास्ते में हमको यही लगता रहा कि कहीं वहां पहुँचने के पहले कमरा उठ न जाए इसलिए हम उससे बतियाते रहे। होटल पहुंचकर तसल्ली हुई कि कमरा अभी उठा नहीं था। काउंटर पर तीन लड़कियाँ थीं। उनमें से दो बाहर से यहाँ काम करने आईं थी। हर सवाल के जबाब फुर्ती से मुस्कराते हुए ' मुझे पता नहीं' कह रहीं थीं। तीसरी लड़की ने लडके को कमरा दिखाने के लिए भेजते हुए बताया -'सी फेसिंग रूम थाउजेंड एक्स्ट्रा।' कुल किराया 7499 रुपये । मतलब दिल्ली या किसी और शहर के फाइव स्टार होटल के एक कमरे के किराए के बराबर !
आखीर में जिस कमरे में सामान रखा गया समुद्र वहां से कुल जमा बीस-तीस मीटर दूर था। समुद्र की लहरें इठलाते हुए हमारा स्वागत कर रहीं थी।
इस बीच उस होटल से फोन भी आ रहा था जिसकी बुकिंग हमने महाबलीपुरम से कराई थी और जहाँ हम आने के लिए कह आये थे। जब हमने उसको बताया कि हम दूसरी जगह रुक गए हैं तो उसने कहा -'आप आनलाइन बुकिंग कैंसल कर दें।' हमने उसकी आज्ञा का पालन किया और कुछ देर में पांडिचेरी दर्शन के लिए निकल लिए।

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