Thursday, March 18, 2010

भारतीय आयुध निर्माणियां- जन्मदिन के बहाने एक पोस्ट

http://web.archive.org/web/20140419213453/http://hindini.com/fursatiya/archives/1299

भारतीय आयुध निर्माणियां- जन्मदिन के बहाने एक पोस्ट

भारतीय आयुध निर्माणियाँ सबसे पुरानी एवं सबसे बड़ा औद्योगिक ढांचा हैं जो रक्षा मंत्रालय के रक्षा उत्पादन विभाग के अंतर्गत कार्य करती हैं। आयुध निर्माणियां रक्षा हार्डवेयर ( यंत्र सामग्री ) सामान एवं उपस्कर के स्वदेशी उत्पादन के लिए सशस्त्र सेनाओं को आधुनिकतम युध्दभूमि उपस्करों से सज्जित करने के प्रारंभिक उद्वेश्यों के साथ एकनिष्ठ आधार की संरचना करती हैं।
कल 18 मार्च को हमारी निर्माणियों ने अपना 208 वां जन्मदिन मनाया। इस मौके पर देश भर की निर्माणियों में और उससे जुड़े दूसरे संस्थानों में कार्यक्रम हुये। हमारी निर्माणी में भी हुये। सुबह-सुबह सात बजे प्रभात फ़ेरी नुमा जुलूस में फ़ैक्ट्री इस्टेट से चलकर फ़ैक्ट्री तक आये। पांच-सात किलोमीटर की इस यात्रा फ़ैक्ट्री के सैकड़ों लोग साथ थे। एक बार फ़िर सामूहिकता का सौंन्दर्य दिखा। फ़ैक्ट्री में निर्माणी संगठन का झंडा फ़हराया गया।
सुबह ही फ़ैक्ट्री इस्टेट के समाज सदन में तीन फ़ैक्ट्रियों (आयुध निर्माणी, फ़ील्ड गन और स्माल आर्मस) के उत्पादों की प्रदर्शनी लगाई गयी। जिन उत्पादों को हम बनाते हैं उनको आम जनता को दिखाया गया। हमारे छोटे हथियारों को लोग अपने हाथ में पकड़कर, पोज बनाकर फ़ोटों खिंचवा रहे थे। खाली रिवाल्वर से पटापट फ़ायरिंग कर रहे थे।
वहां पिनाक राकेट के हिस्से जो आयुध निर्माणी में बनाये जाते हैं उनको एक बार फ़िर से देखकर पुराने दिन याद आये। जब मैं आयुध निर्माणी में था तब हफ़्ते में दो दिन सुबह छह बजे से मीटिंग होती थी ताकि उनके बनाने में आने वाली कठियाइयां दूर की जा सकें और बाकी काम भी न रुकें।
कलाम साहब की वैज्ञानिक प्रतिभा के बारे में मैं नहीं अच्छी तरह से नहीं जानता लेकिन जो जो प्रोजेक्ट उनके निर्देशन में पूरे हुये उससे उनकी अद्भुत नेतृत्व क्षमता के बारे में पता चलता है। अग्नि मिसाइल और दूसरे प्रोजेक्ट में जो तरह-तरह के काम होते हैं उनको कराने की सुविधायें देश में एक जगह कहीं एक साथ उपलब्ध नहीं होती। अलग-अलग संस्थानों अलग-अलग तरह की क्षमतायें होती हैं। उन सबके बारे में जानकारी इकट्ठा करना और क्षमता के अनुसार उनको काम देना और समय पर पूरा करवाने में बहुत जटिल काम है।
बड़ी तोपों के गोलों को देखकर युद्ध के मैदान में सैनिकों की तकलीफ़ों का फ़िर से अंदाजा हुआ। एक तोप का खाली (बिना बारूद भरा) गोला करीब 40 से 45 किलो का होता है। बारूद भरने और फ़्यूज लगने के बाद वजन 60-70 पारकर जाता होगा। लड़ाई के समय उनको जल्दी-जल्दी उठाकर तोप में लोड करना और फ़ायरिंग करते रहना बहुत मेहनत और जीवट का काम है। गर्म इलाकों में तो और हाल खराब होते हैं।
प्रदर्शनी स्थल पर कैरिज (तोप गाड़ी) पर रखी गन को कैरिज सहित इधर-उधर करने पर झिक-झिक होती रही काफ़ी देर कि वो इधर से उधर कैसी होगी! लड़ाई के मैदान में ऐसी झिकझिक का समय किसके पास होता होगा।
कभी किसी रिपोर्ट में पढ़ा था कि एक दिन की लड़ाई में 1000 करोड़ रुपये स्वाहा हो जाता हैं। हम आस-पास के देश बात-बात पर एक-दूसरे की नेस्तनाबूद करने की बात करते रहते हैं। अगर मान लीजिये किसी ने किसी दूसरे देश के ऊपर हमला कर भी दिया और लड़ाई एक महीने चली तो तीस हजार करोड़ निपट जायेंगे। हासिल भी क्या होगा- सिवाय एक नयी सीमा रेखा के और हजारों विकलांगों, विधवाओं और अनाथ बच्चों को?
आजकल हम रिवाल्वर बनाने और अपने बनाये हुये रिवाल्वर बेंचने में लगे हुये हैं। जिनको रिवाल्वर लेने की चिट्ठियां भेजी जा चुकी हैं उनको फोन करके बुला रहे हैं कि आओ भैया अपना रिवाल्वर ले जाओ। जिनको चिट्ठी नहीं मिली उनको फ़ैक्स भेज रहे हैं, स्कैन करके मेल भेज रहे हैं। साइट पर भी जानकारी डाल दी है। अपना भेजा ड्राफ़्ट नं और तारीख डालिये और अपने आर्डर की स्थिति पता करिये।
आपको तो नहीं चाहिये रिवाल्वर! चाहिये तो यहां जाइये और निकालिये फ़ार्म और भेज दीजिये ड्राफ़्ट लगाकर। चट बुकिंग पट सप्लाई के हिसाब से जल्दी ही मिल जायेगा।
कल का दिन यादगार रहा। दिन भर कार्यक्रम हुये और मजे की बात इस साल में एक दिन में सबसे ज्यादा लोग रिवाल्वर ले गये।
चला जाये अब आज दुकान खोलने का समय हो गया। :)
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23 responses to “भारतीय आयुध निर्माणियां- जन्मदिन के बहाने एक पोस्ट”

  1. समीर लाल 'वही उड़न तश्तरी वाले'
    पहले तो लाईसेंस लेना पड़ेगा न..तब न दिजियेगा रिवाल्वर?
    बढ़िया जानकारी दी स्थापना दिवस पर..अब मिठाई खिलवाई जाये… :)
  2. anil pusadkar
    हम अपनी आयुध निर्माणियां के कारण ही शांति के दिनों मे चैन से जी रहे हैं।निर्माणियों के जन्मदिवस पर आप सबको बधाई।और हां उसके बनाये रिवाल्वर वाकई सस्ते और अच्छे हैं।मेरे कुछेक दोस्तों के पास है और वे मुझे भी खरीदने के लिये कहते हैं,मुझे पूर्व मे सरकारी सुरक्षा मिल चुकी है इसलिये लायसेंस मिलना मेरे लिये बहुत आसान है,मगर पता नही क्यों मुझे रिवालवर रखने का आईडिया पसंद नही है।
  3. बी एस पाबला
    निर्माणियों के जन्मदिवस पर आप सबको बधाई।
  4. Prashant(PD)
    सबसे अंत में लिखते हैं कि आवाज बंद करने का तरीका क्या है, हम तो पहले ही म्यूट कर दिए थे अपने लैपटॉप कि आवाज को.. :)
  5. गौतम राजरिशी
    सुबह-सुबह मन प्रसन्न हो गया इस पोस्ट को पढ़कर और स्लाइड-शो देखकर। दो सौ आठवीं जयंती की हार्दिक बधाई….long live indian ordnance!
    ये आपलोगों की मेहनत हए देव जिससे हमजैसों का सर्वाइवल है। यक़ीनन! बहुत अच्छा महसूस कर रहा हूँ इस पोस्ट को पढ़कर। आर्टिलरी के गोलों की बाबत आपकी फिक्र और उनके उठाने में लगी मेहनत का जिक्र…बरबस होठों पे मुस्कान और कारगिल की याद ले आयी।
    इंसास और एके एम्युनिशन के बारे में जानने की इच्छा थी। कभी लिखियेगा इस पर फुरसत से कि अपना ब्रेड-बटर तो वही है…
    हाफ-स्लीव शर्ट और उजली टोपी में जुलूस के आगे खड़े अच्छे लग रहे हो आप…निगाहें अटक गयी किंतु आसमान में उड़ते उस बैलून के गुच्छे पर।…और जुलूस में कर्मचारियों के परिजनों को भी शामिल देखकर और अच्छा लगा।
    ट्रायपाड पर खड़ी अपनी दुलारी एमएमजी को देखकर गौरवान्वित महसूस कर रहा हूं। इस एक हथियार ने कितने ही मुश्किल आपरेशनों को आसान बना दिया है कश्मीर और उत्तर-पूर्व के राज्यों में संघर्षरत भारतीय सेना के लिये….
    और ये know ur enemy…लगभग हर रोज गुनगुनाता हूँ अपने आइ-पाड पे ग्रीन डे के साथ…आपके स्लाइड-शो के साथ भी गुनगुना रहा हूँ…
    do u know ur enemy we gotta know the enemy oye oye
    violence is an energy against the enemy
    bringing on the fury the choir infantry revolt against the honor to obey….
    silence is the enemy against ur urgency…so rally uo the demons of ur soul
    और मेरा सबसे फेवरिट लाइन इस गीत का
    the insuregency will rise when the blood is being sacrificed, dont be blinded by the lies in ur eyes
    we gott know the enemy…
    हमारा तो एंथेम बन चुका है ये गीत जबसे सुना था पहली बार…कि we know our enemy
  6. mahendra mishra
    कल आयुध निर्माणी दिवस के अवसर पर जबलपुर स्थित निर्माणी में भव्य कार्यक्रम आयोजित किये गए और अस्त्र शस्त्रों का प्रदर्शन किया गया …. बहुत ही भव्य कार्यक्रम था और रैली भी निकाली गई …. इस अवसर को अपनी पोस्ट के माध्यम से प्रस्तुति के लिए धन्यवाद ….
  7. Saagar
    सबको फंसा कर चल दिए दूकान खोलने :) एक थो रिवाल्वर हमरे लिए भी प्लीज़ :)
  8. Saagar
    आपके जितना ही तेज़ है आपका ब्लॉग भी :) सुधारने का और दुबारा सोचने का मौका ही नहीं देता… कमेन्ट डिलीट भी नहीं किया जा सकता :)
    खैर…
    थो को ठो पढ़ा जाये :)
  9. ज्ञानदत पाण्डेय
    कट्टा-रिवाल्वर तो नहिंये चाहिये। एक बढ़िया तेलवाई लाठी-गोजी मिल सकती है क्या?
    अब बार बार क्या कहें – बहुत जानदार-शानदारश्च पोस्ट!
  10. dr anurag
    जे….बात ..पहले तो ये गाना सुनकर कन्फ्यूजिया गए के आपके ब्लॉग पर…..कही ओर लिंक तो नहीं खुल गए ….
    मजे की बात इस साल में एक दिन में सबसे ज्यादा लोग रिवाल्वर ले गये।…..कानपूर की शांति समिति वाले …….ओर “भाई लोग “दोनों आपसे पता पूछने शायद दूकान पर बैठे होगे .यूँ भी कानपूर फेमस इसी पिस्तोल वास्ते है ….कलम साहब की जीवनी हमारे पास अब भी रखी है….देश का दुर्भाग्य है उन्हें दोबारा राष्टपति बनने का मौका नहीं मिला राजनातिक दलों की वजह से ……..
    खैर पिस्तोल शिस्तोल का गिफ्ट शिफ्ट होता है क्या…..
  11. shefali
    bhavishy kee aashankaaon ke maddenazar ek order mera bhi likh leejiye…
  12. Dr.Manoj Mishra
    इसके लिए बधाई.
    मैंने आपकी आयुध फैक्ट्री से ९ साल पहले ही ले लिया था रिवाल्वर,नहीं तो कल जरूर आता .
  13. वन्दना अवस्थी दुबे
    हार्दिक बधाइयां स्वीकार करें. इतने बडे-बडे अस्त्र-शस्त्र…. सलाम है हमारी है सेना को. तस्वीरें बहुत शानदार हैं, हमने भी पहचान लिया आपको.
  14. वन्दना अवस्थी दुबे
    ठीक कह रहे हैं सागर जी, एक ’है’ हमारे कमेंट में से भी हटा कर पढें.
  15. satish saxena
    लीक से हट कर पोस्ट , अच्छा लगा अनूप जी !
  16. dhiru singh
    शुभकामनाये , आपके संस्थान को . राष्ट्र की सेवा में जुटे लोगो का सम्मान ही सच्चा कार्य है .
    आपके यहा निर्मित रिवालवर ने लोगो को रिवाल्वर वाला बना दिया . बेबले स्काट की अच्छी कापी है कनपुरिया औजार . मेरे पास तो स्मिथ वेन्सन है
  17. शरद कोकास
    आयुध निर्माणी के साथ मेरे बचपन की स्म्रतियाँ जुड़ी है । भंडारा की आयुध निर्माणी जहाँ काम करने वालों के बच्चे हमारे साथ पढ़ते थे और हम वहाँ अक्सर जाया करते थे । फिर जबलपुर की आयुध निर्माणी जहाँ नाना जी फोरमैन थे । यह पढकर अच्छा लगा । आयुध निर्माणी मे काम करने वालो का अब तक उचित सम्मान नहीं हुआ है , यह होना चाहिये ।
  18. Abhishek
    हम तो स्पीकर ही बंद कर दिए पहिले, बाद में पढ़े तो पता चला की माइक पर क्लिकियाने से ही आवाज बंद हो जाती :)
    बढ़िया जानकारी दी आपने…
    हम रिवाल्वर लेके का करेंगे? हमारे लायक भी कुछ बनाइये तो लेंगे.
  19. pankaj upadhyay
    रिवाल्वर के साथ ये कनफ़ोडवा फ़्री दे रहे है क्या… :)
  20. Manoj Kumar
    बहुत अच्छी प्रस्तुति।
  21. K M Mishra
    इतने महत्वपूर्ण सामरिक प्रष्टिान से जुड़े हैं आप । आपके भारतीय आयुध निर्माणियों को शत शत प्रणाम । देश की रक्षा में आपका योगदान अमूल्य है ।
    अनुप जी अब पता चला कि आपकी पोस्टें क्यों इतनी धमाकेदार होती है । मार बारूद भर भर कर जो लिखते हैं ।
  22. K M Mishra
    रिवाल्वर खरीद सके ऐसी हमारी औकात नहीं । हां रिवाल्वर की एक फोटो भेज दीजिये ।
  23. फ़ुरसतिया-पुराने लेख
    [...] [...]

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