Monday, November 25, 2019

वर्ल्ड ट्रेड सेंटर – गिरा हुआ और नया वाला

पहले दिन की घुमाई में अपन ने न्यूयार्क की सड़कें, इमारतें, गाड़ियां देखीं। टाइम्स स्क्वायर और एम्पायर इस्टेट बिल्डिंग देखी।

न्यूयार्क में कई जगहें देखनी थीं। दिन कम थे, देखना ज्यादा था। सड़क पर चलते-चलते थक गये। दोस्तों ने सुझाया कि हमको वहां किसी बस सेवा की शरण में चला जाना चाहिये।
न्यूयार्क में घूमने के लिये Hop on Hop off बस सेवा उपलब्ध हैं। Hop on Hop off मतलब जहां मन आये चढ जाओ, जहां मन आये उतर जाओ। न्यूयार्क की प्रसिद्द इमारतों, स्मारकों के पास से होकर यह बस सेवा गुजरती है। कई बस कम्पनियां हैं वहां। न्यूयार्क पहुंचते ही एजेन्ट बस सेवा के बारे में बताने के लिये लपकते हैं। अधिकतर एजेंट , महिला और पुरुष दोनों, ब्लैक समुदाय के दिखे।
हमने टॉप व्यू की Hop on Hop off बस सेवा ले ली। 55 डालर में 5 दिन। मतलब 11 डालर एक दिन के एक जन के। कुल 110 डालर मतलब 7700 रुपये शहर की सडकों में घूमने के। बस सेवा की तर्ज पर अपन ने ट्रेन सेवा का भी हफ़्ता वाला पास खरीदने की बात सोची। लेकिन काउंटर बालिका ने बताया कि हफ़्ते के बीच खरीदने से कोई फ़ायदा नहीं। पास लिया जायेगा हफ़्ते भर का। सेवा मिलेगी दो दिन। हमने ट्रेन पास लेने का इरादा त्याग दिया।

अगले दिन जब न्यूयार्क पहुंचे तो देखने की हमारी लिस्ट में सबसे ऊपर ’वर्ल्ड ट्रेड सेंटर’ था। ’वर्ल्ड ट्रेड सेंटर’ के ट्विन टावर दुनिया में सबसे अधिक चर्चा में तब आये जब 11 सितम्बर , 2001 को अलकायदा के आतंकवादियों ने दो विमान अपहरण करके एक के बाद एक टकराकर दोनों टावर उड़ा दिया। दुनिया में यह घटना 9/11 घटना के रूप में जानी जाती है। टावर उड़ाये जाने के पहले दुनिया की सबसे ऊंची इमारत थे। इसके पहले यह दर्जा एम्पायर इस्टेट बिल्डिंग को मिला था। टावर उड़ा दिये जाने के बाद एम्पायर इस्टेट बिल्डिंग फ़िर कुछ दिन दुनिया की सबसे ऊंची इमारत रही।
टावरों का आतंकवादियों द्वारा उड़ाया जाने की घटना से अमेरिका दहल गया था। इस घटना के बाद अमेरिका में सुरक्षा में बहुत कड़ाई हुई। कई किस्से हैं इसके। शक होने पर किसी को रोक लेना। वापस कर लेना आदि।
ट्विन टावर उड़ने की घटना की दुनिया भर में अलग-अलग प्रतिक्रियायें हुईं थीं।अमेरिका उस समय इतना बौखलाया हुआ था कि कहने लगा -’जो हमारे साथ नहीं वह आतंकवादियों के साथ है।’
प्रख्यात साहित्यकार गिरिराज किशोर जी मैंने इस बारे में एक सवाल किया था-
“जब आपने अमेरिकन टावरों पर हमला होते देखा टीवी पर तो आपकी पहली प्रतिक्रिया क्या थी?
इस पर गिरिराज जी का जबाब था -
"हालांकि मैं हिंसा का हिमायती नहीं हूं पर मैंने इस बारे में 'अकार' के संपादकीय में लिखा था -ऐसा लगा जैसे किसी साम्राज्ञी को भरी सभा में निर्वस्त्र कर दिया गया हो।सारे देशों के महानायक उसे शर्मसार होने से बचाने के लिये समर्थनों की वस्त्रांजलियां लेकर दौड़ पड़े हों। उसके बाद हमें यह भी दिखा कि कितने डरपोंक हैं अमेरिकन।मरने से कितना डरते हैं वे। मुझे लगता है कि अगर एकाध बम वहां गिर जाते तो आधे लोग तो डर से मर जाते।वे।पाउडर के डर से हफ्तों कारोबार ठप्प रहा वहां। “

इस घटना के 18 साल बाद हम उस स्थल पर थे। ट्विन टावर जिस जगह पर था अब वहां पक्के, गहरे तालाब जैसे बने थे। उनमें लगातार पानी बह रहा था। तालाब के चारों तरह उन लोगों के नाम लिखे थे जो इस घटना में मारे गये थे। इस हमले में उन इमारतों और उनके आसपास रहने वाले कुल 2,606 लोग मारे गये थे। इसके अलावा विमानों में सवार 157 लोग भी मारे गये। आसपास की अनेक इमारतें पूर्णत: या फ़िर आंशिक रूप से बरबाद हो गयीं थीं। आठ महीने लग गये थे इन इमारतों का मलबा हटने में।
ट्विन टावरों को देखने के लिये दुनिया भर के लोग आये हुये थे। दुर्घटना में मारे गये एक व्यक्ति के परिवार के लोग वहां उनका जन्मदिन मनाने आये हुये थे। उनकी पत्नी , बच्चे और मित्र मौजूद थे। मारे गये व्यक्ति के बारे में बताते हुये उसको याद कर रहे थे। वहां उपस्थित लोगों से गले मिल रहे थे। हम भी गले मिले उन लोगों से।
उस जगह पर तरह-तरह के फ़ूल लगाये गये थे। घास पर चलने की मनाही थी। वहां तैनात सुरक्षा कर्मी इमारतों के अवशेष पर पैर रखने, बैठने से टोक रहे थे।
एक गिलहरी घास पर तसल्ली से फ़ुदक रही थी। गिलहरी इतनी स्वस्थ थी कि उसकी तुलना में अपने यहां की गिलहरियां बच्ची लगें। अमेरिका खाता-पीता देश है। आम तौर पर हर चीज बड़ी उधर। वहां के प्याज देखकर भी मुझे अपने यहां के प्याज उसके मुकाबले में नाबालिग से लगे।
ध्वस्त वर्ल्ड ट्रेड सेंटर की याद में वहां म्यूजियम बनाया गया है। उसको देखने की भी लम्बी लाइन लगी थी। लेकिन हम लोग उसे देखने नहीं गये। समय कम था हमारे पास, फ़ीस ज्यादा थी उसकी। समय और फ़ीस के तालमेल के अभाव में म्यूजियम देखना स्थगित हो गया।
पुराने ट्रेड सेंटर के बगल ही नई इमारत बन गयी है। इस इमारत में तमाम दुकाने हैं, आफ़िस हैं। कैफ़ेटेरिया हैं और भी न जाने क्या-क्या हैं। अपन नीचे की मंजिल ही देख पाये। इतने में ही बहुत समय खर्च हो गया।
इमारत के नीचे वाली मंजिल में कुछ कला संबंधी चीजें भी रखीं थीं प्रदर्शनी के लिये। सब कुछ इतना चकाचौंध भरा कि देखें तो बस देखते ही रह जायें।
ट्रेड सेंटर में इधर-उधर घूमते रहने के बाद स्टारबक्स की एक दुकान में चाय पी गयी।
बाहर निकलकर भी फ़ोटो खिंचाई। एक-दूसरे की फ़ोटो खिंचाते और सेल्फ़ियाते हुये बोर हो जाने के बाद अपन ने वहां हम दोनों की साझा फ़ोटो खिंचाने के लिये वहां तफ़री कर रहे एक नौजवान से अनुरोध किया। फ़ोटो खिंचाने के बाद पता चला कि बच्चा डेहरी आन सोन का था। न्यूयार्क में घूमने आया था। दोस्तों के साथ। दस साल से टहल रहा है अमेरिका में।
ट्विन टावर और वर्ल्ड ट्रेड सेंटर से निकलकर हम न्यूयार्क स्टॉक एक्सचेंज की तरफ़ बढ गये।

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