Sunday, January 23, 2022

अलंकार रस्तोगी से मुलाक़ात

 लखनऊ से Alankar Rastogi शाहजहाँपुर आये तो बहुप्रतीक्षित मुलाकात हुई। बातचीत बतकही हुई। ढेर लंतरानी ,जिसका कोई रिकार्ड न होने के चलते कहा जा सकता है , उच्च कोटि का व्यंग्य विमर्श हुआ। पांच व्यंग्य संग्रह और तमाम इनामों को हासिल कर चुके अलंकार रस्तोगी का जलवा है व्यंग्य में। अपना ताजा व्यंग्य संग्रह ' जूते की अभिलाषा' भी भेंट करते हुए मेरे लिए लिखा - 'व्यंग्य की तोप और हमारी होप'। हमने 'व्यंग्य की तोप' को 'व्यंग्य की तोंद' समझा। हालांकि लिखा इस तरह है कि 'तोप' और 'तोंद' दोनों ही पढा जा सकता है। इससे लगा कि लिखाई में भी 'श्लेष अलंकार' हो सकता है। इससे लगता तो यह भी है कि तमाम लोग जो अपने को अपने हल्के का खलीफा मने तोप समझते हैं वो वस्तुतः उस इलाके की तोंद ही होते हैं।

🙂
भीषण सर्दी में एक गर्मजोशी भरी मुलाकात अलंकार रस्तोगी के साथ।

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