नए साल का पहला दिन। अलसाया सा लगा। देर रात पुराने साल से चार्ज लिया होगा। पार्टी-वार्टी हुई होगी। अलसाया तो रहेगा ही।
कोहरा हल्का सा छाया था। सर्दी पूरे शबाब पर थी। हाथ ठिठुर रहे थे। रगड़ के पुण्य प्रसून बाजपेयी जी की तरह रगड़ कर गरमाया उनको फिर जेब में धर लिया। जेब में पहुँचते ही हाथ भी गर्म होने लगे।
लोग आते -जाते दिखे। बंदर भी मार्निंग वाक और कसरत करते दिखे। एक बंदर बीच सड़क पर आसान लगाए ध्यान मुद्रा में बैठा था। लग रहा था देश सेवा का व्रत लिए निष्क्रिय योग कर रहा हो ।
झोपड़ी के बाहर बैठे लोग आग ताप रहे थे। जलती हुई आग नए साल की शुभकामना सरीखी लगी हमको। रेलवे पटरी पर आती ट्रेन देखकर लगा कि शुभकामनाओं का पूरा रेक चला आ रहा होass Sr।
गोविंद गंज फटकिया पार करते ही एक जगह अलाव जलता हम उधर लपके तब तक एक गाय गोलाकार मुद्रा में सोती नज़र आई। हमने सोचा सोती गाय की फ़ोटो लें लेकिन जब तक फोटो लेते गाय इस तरह अकबका कर जग गई जैसे किसी मीटिंग में ऊँघता स्टाफ़ अधिकारी की नज़र पड़ते ही चौकन्ना होकर ऐसे सतर्क हो जाता है गोया इसके पहले वह उंघने की जगह कैसी गहन चिंतन में डूबा हो। गाय की पीठ के पीछे नारा लिखा था -दो गज की दूरी, मास्क है जरुरी ।
चाँदना बेकरी खुल गयी थी। मुँह अंधेरे काम में लग गए थे लोग। नए साल के केक के तमाम आर्डर निपटाने थे उनको।
चर्च नए साल की ख़ुशी में झालरे सजाए सबको बधाई दे रहा था।
लौटते में दो लोग क्रासिंग के पास मंदिर में रखी मूर्तियों को सड़क पार से दूर प्रणाम करते दिखे । उनके आगे से निकलते हुए लगा कि कहीं उनका प्रणाम हमको न लग जाए । प्रार्थना खंडित न हो जाए। बहुत तेज निकले उनके आगे से जिससे से कम से कम बाधा उनके और ईश्वर के बीच।
झोपड़ी के बाहर आग तापते बुजुर्ग मिले। उन्होंने बताया सालों से रह रहे हैं यहाँ। ज़मीन कैंट की है या वक़्फ़ बोर्ड की यह तय नहीं। इसी झगड़े के निपटारे का इंतज़ार करते हुए सौ रुपए किराए में रह रहे हैं।
सड़क पर बंदरो का जलवा था। लोग उनको बचाकर बग़ल की सड़क से निकल रहे थे । हम उनके बीच से ही निकले - देखकर बाधा विविध बहु विघ्न घबराते नहीं का जाप करते हुए।बंदर हमको घूरकर देखते रहे।हम उनको सहमतेहुए देखते हुए निकल आये।
मार्निंग वाकर ग्रूप का अड्डा गुलज़ार हो गया था। डाक्टर त्रेहन के नेतृत्व में नए साल की बधाई, शुभकामनाओं की दनादन बौछार हुई ! चाय बिस्कुट मिठाई का भी इंतजाम। चाय शुक्ल जी की घर से बनाकर लाए थे। गुड़ की चाय के मना करते हुए कई कुल्हड़ उडरस्थ किए गये। चाय ने पेट में पहुँचकर सबको गुडमार्निंग कहा। पेट खुश हुआ ।
उधर कानपुर में पंकज बाजपेयी को फ़ोन किया। नीरज बाजपेयी ने उनकी फ़ोटो भेजी । नए साल का ख़ुशनुमा सिलसिला चला तो दिन भर चलता ही रहा।
पेड़ के पीछे से सूरज भाई भी नए साल की तरह चहकते दिखे।
आपको भी नए साल की फिर से बधाई। शुभकामनाएँ।
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