फ़ेसबुक करते ही पूछता है आप क्या सोच रहे हैं ?
अपन हाल ही में पढ़ी हुई किताब ‘अमरूद की महक’ के बारे में सोच रहे हैं। इस किताब में मशहूर लेखक गैबरियल गार्सिया मारकेज और उनके मित्र प्लिनियो आपूले मेंदोज़ा के बीच संवाद हैं। विविध विषयों पर हुई बातचीत का स्पैनिश से हिन्दी में अनुवाद किया है समीर रावल में।
*इतिहास हर हाल में दिखाता है कि शक्तिशाली जन एक क़िस्म की सेक्स उन्मत्तता से पीड़ित रहते हैं।
*स्त्रियाँ जाति की व्यवस्था को लोहे जैसी पकड़ से सम्भाले रहती हैं। जबकि पुरुष संसार में उन सभी अनगिनत पागलपंतियों में डूबे रहते हैं जिससे इतिहास आगे बढ़ता है ।
*हम सब अपने ख़ुद के पूर्वाग्रहों के बंदी हैं। परिकाल्पनिक मानसिकता वाले आदमी की तरह मैं मानता हूँ कि काम-संबंधी आजादी की कोई सीमा नहीं होनी चाहिए। लेकिन असल ज़िंदगी में मैं अपनी कैथोलिक पढ़ाई और अपने बुरजुआ समाज के पूर्वाग्रहों से नहीं भाग सकता, और हम सब की तरह विरोधाभासी मूल्यों की कृपा पर हूँ।
* स्त्रियाँ संसार को एक जगह स्थित रखती हैं ताकि वो असंतुलित न रहे, जबकि आदमी इतिहास को धक्का देने की कोशिश करते हैं। अंत में ये सवाल उठता है कि दोनों में से कौन सी चीज कम संवेदनशील है।
*एक साहित्यिक काम में हम हमेशा अकेले होते हैं। जैसे सागर के बीच भटका हुआ व्यक्ति। हाँ, यह दुनिया का सबसे एकांतवादी पेशा है। कोई भी किसी लिखने वाले को जो वो लिख रहा होता है उसमें मदद नहीं कर सकता।
फ़िलहाल इतने ही। बाक़ी फिर कभी।
किताब पढ़ते हुए स्पैनिश सीखने का मन बना तो आनलाइन टूल भी डाउनलोड कर लिया-Duolingo. इसमें बांग्ला के साथ कई विदेशी भाषाएँ सीखने की सुविधा है। यह अलग बात है कि अभी तक एक भी शब्द सीखे नहीं स्पैनिश का।
बहरहाल यह तो हुई हमारी पढ़ाई की बात। आप बताइए कि इन दिनों आप कौन सी किताब पढ़ रहे हैं या पिछले दिनों कौन सी किताब पढ़ी या आने वाले समय में कौन सी किताब पढ़ने का मन है।
प्रश्न का जवाब देना आवश्यक नहीं है। लेकिन मन करे तो बताइए कि क्या पढ़ रहे हैं आप ?
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