आजकल घूमना-फिरना स्थगित है। सुबह सोचते हैं शाम को निकलेंगे, शाम को बात सुबह पर टल जाती है। बहाने ठोस और तार्किक रहते हैं तो ज्यादा अफसोस नहीं होता। लेकिन लगता तो है कि निठल्ले हो गए एकदम। जाहिल भी लिख देते लेकिन मन नहीं किया। छोड़ दिया।
तर्क ऐसा जुगाड़ है जिससे इंसान अपना बड़ा से बड़ा अपराध सही ठहरा लेता है। लाखों लोगों की हत्याओं को सही ठहराकर चैन से रह लेता है।
स्कूटर की पीछे सीट पर बैठ गए। वो अपने घर ले गया। बोला -'चाय पीकर जाओ।' हम थोड़ी देर रुके लेकिन चाय पी नहीं। चले आये। फिर इधर-उधर टहलते हुए घर आ गए। रास्ते में क्रासिंग भी मिली। बंद थी। कुछ देर बाद खुली। क्रासिंग खुलने पर लोग ऐसे भागे जैसे किसी बक्से में रखी किताबों में लगी हुई दीमक किताबें खोलने पर बिलबिला कर भागती हैं।
किताब में दीमक वाली बात मतलब बिम्ब आने का कारण यह रहा कि परसों देखा कि बक्से में रखी कई किताबों पर दीमकों ने हमला बोल दिया। गत्ते का बक्सा चाट गईं। फिर किताबें भी। कोई किताब आधी, कोई चौथाई। किसी किताब में बस घुसी ही थी लेकिन उनको खाना शुरू नहीं किया था। कुछ किताबों में तो घुसीं भी लेकिन शायद उनको खाने की हिम्मत नहीं हुई।
इससे कहा जा सकता है कि कुछ किताबें इतनी गरिष्ठ या अपठनीय होती हैं कि उनको दीमक तक नहीं खाती। यह भी हो सकता है कि कुछ दीमकें पढ़ी लिखी होती हों और वे किताबों को पढ़कर ही खाती हों। अपठनीय किताबों को छोड़ देती हों।
बहरहाल किताबों को अब धूप दिखा रहे हैं। जितनी बची हैं कोशिश कर रहे हैं उससे ज्यादा न खराब हों। इन किताबों में कुछ मित्रों द्वारा भेंट की हुई किताबें भी थीं। उनकी खुद की लिखी हुई। कुछ तो इतनी जर्जर हो गईं थीं कि उनको जलाना पड़ा। अफसोस और सुकून दोनों एक साथ हुए। अफसोस किताब जलने का, सुकून उनसे मुक्त होने का।
इतना लिखने के बाद सोच रहे हैं कि सपने में स्कूटर पर लिफ्ट देने वाले को धन्यवाद बोलना भूल ही गए थे, चाय के लिए मना करने पर उसकी घरैतिन को कैसा लगा होगा, दीमक के बारे में लिखने से वो बुरा तो नहीं मानेंगी।
पोस्ट के साथ दीमक़ खाई किताबों की फोटो लगाने के लिए फोटो खींचा था लेकिन लगाया नहीं। यह सोचकर कि दीमक़ बिना कपड़े पहने किताब पर सन बाथ टाइप ले रही है, उसकी फोटो लेकर फेसबुक पर पोस्ट करना उनकी निजता का उल्लंघन होगा।
अलबत्ता जूतों के फ़ोटो लगा रहे हैं । यह भी सोच रहे हैं कि सपने में कौन से जूते पहनकर गये थे। आप कुछ अंदाज़ा लगाकर बताएँ।
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