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अप्रैल फ़ूल – क्षणिक चिंतन
By फ़ुरसतिया on April 1, 2008
आज एक अप्रैल है।
बड़ी मुश्किल से आता है।
दुनिया भर के लोग इसका इन्तजार करते हैं।
सोचते हैं दूसरों को बेवकूफ़ बनायेंगे। उनका बहुमत हो जायेगा। हर किसी को अपनी सरकार बनाने की पड़ी रहती है।
होता है कि जिसे आप बेवकूफ़ बनाने की सोचते हैं वह किसी और को बनाने की फ़िराक में है।शेर भी अर्ज कर दिया यार - फ़िराक तो उसकी फ़िराक में है जो तेरी फ़िराक में है।
दफ़्तरिये अपनी पिछले साल की दुकान बन्द करके नये साल का खाता खोलते हैं। नये लक्ष्य , नये काम, नया उत्साह। सब कुछ अच्छी तरह से करने का संकल्प। पिछले साल की गलतियां न दोहराने का संकल्प। सब कुछ कायदे से, समय से, नियम से, तरीके से करने का संकल्प।
नयी फ़ाइलें, नयी नम्बर सीरीज, नया वित्त वर्ष। सब कुछ लागे नया -नया।
सब नया पन वैसे ही जैसे पिछ्ले साल था।
बनो, बनाओ। दुनिया में बेवकूफ़ों की संख्या बढाओ। कब तक कृत्तिम बनें रहेंगे।
लोग एक दूसरे को बेवकूफ़ बनाने के लिये तमाम तरह की हरकतें करते हैं। अपने-अपने ब्लाग की इमली पर तरह की पोस्ट-दंड पेलते हैं। लेकिन लोग समझ जाते हैं। बेवकूफ बनने से इंकार कर देते हैं। ऐसे होता है कहीं! लेकिन कोई भी अपने वास्तविक रूप में नहीं आना चाहता। जो है वह स्वीकार नहीं करना चाहता।
बेवकूफ़ बनाने वालों को बहुत मेहनत करनी पड़ रही है। सच बड़ा कठिन काम है किसी को बेवकूफ़ बनाना। लोग समझदारी की चादर ओढ़ के बैठे हैं। एक अप्रैल की शाम को ही उतारेंगे। जस की तस धर देंगे। लेकिन दिन भर बेवकूफ़ न बनेंगे। अजीब बेवकूफ़ी है जी। साल भर जिस मुद्रा में रहते हैं उससे एक दिन बचते घूम रहे हैं। ऐसे होता है कहीं?
विडम्बना तो यह है कि ऐसे ही रहा है। इरफ़ान झांस्वी का एक शेर है-
संपेरे बांबियों में बीन लिये बैठे हैं,
सांप चालाक हैं दूरबीन लिये बैठे हैं।
संपेरे बांबियों में बीन लिये बैठे हैं,
सांप चालाक हैं दूरबीन लिये बैठे हैं।
आप बनें, बनायें। अपना दिन सार्थक करें।
हम तो चले। नये साल के नये संकल्प लेने। नया वित्त वर्ष शुरू हो गया न!
Posted in बस यूं ही | 19 Responses
शाश्वत भी हो सकता है !
कमाल है शुक्ल जी आपकी शैली का
कि मूर्ख बनकर भी स्थिरता का
भरोसा कायम रहता है.
सरकारों को भी तो टिके रहना गवारा है सरकार !
अक अप्रैल का यह पोस्ट भी है धारदार-जानदार.
सांप चालाक हैं दूरबीन लिये बैठे हैं। bahut barhiya…Ek दूरबीन to hamare paas bhi hai
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