Friday, March 06, 2009

आई मौज फ़कीर को…

http://web.archive.org/web/20101216163810/http://hindini.com/fursatiya/archives/592

फ़ुरसतिया

अनूप शुक्ला: पैदाइश तथा शुरुआती पढ़ाई-लिखाई, कभी भारत का मैनचेस्टर कहलाने वाले शहर कानपुर में। यह ताज्जुब की बात लगती है कि मैनचेस्टर कुली, कबाड़ियों,धूल-धक्कड़ के शहर में कैसे बदल गया। अभियांत्रिकी(मेकेनिकल) इलाहाबाद से करने के बाद उच्च शिक्षा बनारस से। इलाहाबाद में पढ़ते हुये सन १९८३में ‘जिज्ञासु यायावर ‘ के रूप में साइकिल से भारत भ्रमण। संप्रति भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय के अंतर्गत लघु शस्त्र निर्माणी ,कानपुर में अधिकारी। लिखने का कारण यह भ्रम कि लोगों के पास हमारा लिखा पढ़ने की फुरसत है। जिंदगी में ‘झाड़े रहो कलट्टरगंज’ का कनपुरिया मोटो लेखन में ‘हम तो जबरिया लिखबे यार हमार कोई का करिहै‘ कैसे धंस गया, हर पोस्ट में इसकी जांच चल रही है।

28 responses to “आई मौज फ़कीर को…”

  1. समीर लाल
    फकीर भी साथ वाला ही लग रहा है.(१)
  2. दिनेशराय द्विवेदी
    जय हो आप की! आने वाले दो हफ्ते होलटियाने के ही हैं। शुरूआत ज्ञान जी से हो ही गई है।
  3. Dr.Arvind Mishra
    अरे हमने तो पढ़ लिया था कि आयी मौत फकीर को ,आपके ब्लागवाणी विंडो के ठीक ऊपर एक मौत घुमड़ रही है जो !
  4. समीर लाल
    प्रवचन सुन रहे हैं.
  5. कुश
    शंका कैसे होगी? बढ़े बूढ़े कह गये है क़ी शंकाए सिर्फ़ महिलाओ के ब्लॉग पर होती है.. आपके ब्लॉग पर कैसे हो सकती है… बहरहाल मौजाते रहिए..
  6. संजय बेंगाणी
    मौज आई, कटींग चायनूमा.
  7. Shastri JC Philip
    वाह वाह!! मजा आ गया! गजब का हास्य!!
    लगता है कि बडे फुरसत में बैठ कर लिखा है!!
    होली के आनंदमय अवसर पर आप की इस प्रस्तुति के लिये बधाई, शुक्रिया!!
    सस्नेह — शास्त्री
  8. Shastri JC Philip
    टिपियाने के बाद कुश की टिप्पणी नजर आई! बधाई कुश! भाषा में हास्य (शंका) का प्रयोग बहुत सुंदर है!!
  9. ज्ञान दत्त पाण्डेय
    अरे वाह! हमें अन्दाज न था कि माहौल लपक के हौलटिया जायेगा। जय होली, जय हौलट!
  10. rachnasingh
    होली की बधाई
    शंका करना पाप हैं चाहे वो लघु ही क्यूँ ना हो
    निर्मूल शंका भी होती हैं , गुरु शंका करे चेला मैला ढोये पापी ब्लॉग का सवाल हैं सो लगे रहो
  11. ताऊ रामपुरिया
    लगता है कि होली का आफ़िशियल सीजन शुरु हो गया है. इस बार होली पर किसी को एक महा हौलटिया प्रुस्कार दिया जाना चाहिये.
    रामराम.
  12. neeraj
    शंका? किस शंका की बात कर रहे हैं? लघु या दीर्घ? ( हैं हैं हैं….होली है)
    नीरज
  13. pallavi trivedi
    वाह वाह…मौजा ही मौजा
  14. Prashant(PD)
    पीडी तो पक्के से बहाना ही बना रहा है.. अभी-अभी मैंने गुरू जी का क्लास बंक मार कर पिछवाड़े वाले मैदान में लंगड़ी कबड्डी खेलते हुये देखा है.. :)
    कुश भी अच्छी मौज ले ही लिये.. ;)
  15. anitakumar
    :) गुरु जी शंकाएं भी पहले से लिख कर देते हैं फ़िर उनके समाधान भी बताते हैं? मज्जेदार पोस्ट
  16. Shiv Kumar Mishra
    हें हें हें, ठे ठें ठें.
  17. फ़कीर चँद बधिर चँद होलीवाला
    :) :) :) :) : ) .. .. ..

    मुला मौज़ तौ हमका आवा रहा,
    ई बात भला आपका कउन बताय दिहिस ?

    ईहाँ पर्चा लीक होय केर सीज़न आय,
    अउर ससुर नफ़ा का धँधा छोड़ु
    ई अंतःपुर के बतिया कउन लीक किहिस, भाई ?
    तौन इनका द्याखौ.. मंडली जमाय के आपुन झाड़े परे हँय,
    धकाधक धकाधक धकाधक.. धकाधक !

    .. .. .. .. .. :) :) :) : ) :)
  18. फ़कीर चँद बधिर चँद होलीवाला

    ” गुरु शंका करे चेला मैला ढोये पापी ब्लॉग का सवाल हैं सो लगे रहो..”

    Really enjoyed this Nice jest, Rachna Didee !
    ई खोया मँहगा क्या हुआ ?
    गुझिया लपेटना छोड़ छाड़ अपनों को ही लपेटने लगीं ?
    कुश को कुछ न कहना.. क़ाफ़ी पियेला हूँ.
    नहीं भाई , क़ाफ़ी पियेला हूँ.क़ाफ़ी.. क़ाफ़ी पियेला हूँ. क़ाफ़ी !
    नेसले की क़ाफ़ी … ठेके वाली क़ाफ़ी कउन कह रहा है, जी ?

  19. dr anurag
    गुरुवर प्रणाम
    हमको लगा आप भी फागुन के रंग में कही बिजी -शीजी चल रहे होगे .इधर हम भी रोजी रोटी के जुगाड़ में लगे थे सो आपके प्रवचन में लेट पहुंचे ..पर ये मुआ कमर्शियल ब्रेक बहुत लम्बा हो गया है नहीं…आप भी अपने प्रवचन में टिकटों का जुगाड़ काहे नहीं करते….पहली रो में इतनी मौज .दूसरी रो में इत्ती …तीसरी में इत्ती ..अब देखिये हमारे पहुचने तक सब ख़त्म हो गयी .वैसे भी इधर कोई भी शंका उठती है तो हम दबा देते है …ससुरा कौन नाराज हो जाये कौन दिल पे ले बैठे ….
    अगला प्रवचन कौन सी तारीख तय मानु ?
  20. neeshoo
    बढ़िया लगा पढ़कर । आपने समीर जी और शास्त्री को अच्छा निशाना बनाया ।
  21. लावण्या
    ये भी भली करी लोग बाग बडे बेशर्म हैँ जी बेचारे फकीर का झोँपडा जला के जशन मनावै ..अब बेचारे फकीर बाबा किस पेड के नीचे धूनी रमायेँगेँ ?
    – लावण्या
  22. archana
    बुरा ना मानो होली है,—— अब बातें जब मौज की और मौज मे हो रही है तो बेफ़िजूल की होना तो स्वाभाविक है—— गुरूजी को समझना चाहिये था—- नही?????
  23. कविता वाचक्नवी
    शंका को जड़-मूल से उखाड़ फेंकना चाहिए। वरना बात बेबात शंका। अब हर किसी को मार्ग थोड़े न मिलता है। सन्मार्ग।
  24. बवाल
    ओ.के.
  25. ravindra.prabhat
    वाह वाह…आपने समीर जी और शास्त्री को अच्छा निशाना बनाया ।
    होली की ढेर सारी शुभकामनायें….!
  26. ताऊ रामपुरिया
    आपको परिवार एवम इष्ट मित्रों सहित होली की हार्दिक बधाई एवम घणी रामराम.
    आदरसहित
    ताऊ रामपुरिया
  27. प्रवीण त्रिवेदी-प्राइमरी का मास्टर
  28. मुकेश कुमार तिवारी
    अनूप जी,
    और समस्त ब्लॉग जगत के धुरंधरों को होली की रंगबिरंगी शुभकामनायें. हम तो गुरू, चेले और उन सभी जिनको मौज आई है का स्वागत / आदर करते हैं. भई अपन तो साथ खडे हो गये और फ्लैश चमक गई चेहरे पर तो अपनी होली / दिवाली / ईद सभी हो गई.
    बाकी तो गुरूजी जाने.
    आदर सहित
    मुकेश कुमार तिवारी

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