Thursday, March 26, 2009

जन प्रतिनिधि और आचार संहिता

http://web.archive.org/web/20140419213800/http://hindini.com/fursatiya/archives/599

26 responses to “जन प्रतिनिधि और आचार संहिता”

  1. Abhishek Ojha
    बड़ी समस्या है जी… इन भोले भाले नेता लोगों को बहुत परेशान किया जा रहा है. हाथ-पाँव ही काट दिए गए हैं… बेचारों के. मुझे इनकी मुसीबतों पर बड़ा बुरा फील हो रहा है :-)
  2. दिनेशराय द्विवेदी
    आचार संहिता का अचार पसंद आया। मुरब्बा भी मिलेगा न?
  3. dhiru singh
    अगर आचार सहिंता हमेशा लागू रहे तो कितना अच्छा हो .
  4. nirmla.kapila
    lagta hai sab ko chunav ka bukhar ho gaya hai blog par chunav ke siva kuchh dikhta hi nahi hai vese post achhi hai
  5. ताऊ रामपुरिया
    वैसे ही हमें होश ही नहीं रहा कि हमने क्या किया और क्या हो गया। अब अगर भाई-भाई के बीच में लेन-देन को भी आप आचार संहिता का उल्लंघन मानेंगे तो देश का सारा सद्भाव ही गड़बड़ा जायेगा।
    सही बात है ये लोग समझने को ही तैयार नही हैं.:)
    रामराम.
  6. रवि
    जब आचार संहिता पर बात हो रही हो, वो भी चिट्ठों पर तो यहाँ लिखी चिट्ठाकार आचार संहिता को भी याद करना ही चाहिए -
    http://raviratlami.blogspot.com/2007/03/blog-blogger-bloggest-rules.html
  7. Dr.Arvind Mishra
    यह जोर का झटका धीरे से दे तो दिया आपने मगर क्या बेहया लोग समझेंगें भीं ? राजीनीति और बेहियाई का तो अब चोली दामन का रिश्ता जो है !
  8. dr anurag
    आचार सहिंता तो बरसो से लागू है पर उसका पालन कौन करता है ?सबसे ज्यादा क्रिमनल समाज वादी पार्टी ओर बी एस पी ने भरती कर रखे है …दूसरी बड़ी पार्टियों का भी यही हाल है .मै कहता हूँ वे उन्हें उम्मीदवार ही क्यों बनाती है …
    हर उम्मीदवार को कम से कम स्नातक होना जरूरी हो ये भी अनिवार्य कर दिया जाये …
  9. Lovely
    क्या मासूमियत भरे स्पस्टीकरण हैं. :-)
  10. कविता वाचक्नवी
    आपने भी खूब जूते चला दिए।
  11. cmpershad
    “जो जनप्रतिनिधि चुनाव के पहले हमारे लिये पैसा खर्चा नहीं कर सकता वो बाद में क्या करेगा? ”
    इसीलिए तो अब जनता एडवांस से खुश नहीं होती, उन्हें पगडी भी चाहिए। केवल पैसा नहीं, कर्ज़ माफी, कलर टीवी, नैनो आदि इसी पगडी का हिस्सा है ना!!:)
  12. अशोक पाण्‍डेय
    तो हमारे फुरसतिया भैया भी नेताओं की भाषा बोल रहे हैं.. :) कहीं से टिकट का जुगाड़ हो गया क्‍या.. :)
  13. संजय बेंगाणी
    अभी कुछ कह नहीं सकते..आचार संहिता लागू है. :)
  14. प्रवीण त्रिवेदी-प्राइमरी का मास्टर
    बहाने और भी हैं लेकिन?????
  15. Gyan Dutt Pandey
    यह पोस्ट तो सही है; पर उदाहरण के लिये कोई मस्त अचार बनाने की विधि बताते तो और लाभ होता। :-)
  16. VIJAY TIWARI  ' KISLAY '
    आदरणीय शुक्ल जी
    अभिवंदन
    आचार संहिता पर लिखे विस्तृत आलेख और इसमें निहित उद्देश्य के हम भी समर्थक हैं.
    - विजय तिवारी ‘ किसलय ‘
  17. सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी
    बहुत मौज लेती मौज़ू पोस्ट है यह। अब चुनाव का भी मजा आने लगा है। कम से कम ब्लॉग मण्डली ने तो मौज लेना शुरू ही कर दिया। बहानों की अगली खेप भी भेंजे। डिमाण्ड ‘हाई’ रहने की पूरी सम्भावना है। :)
  18. Tarun
    नाम ही कुछ ऐसा दिया है बेचारे नेता “आचार” को “अचार” समझ खाये जाये रहे हैं, बाद में कहते हैं पता ही नही था कि मिर्चा का था हम तो नीबू का समझ के खा रहे थे।
  19. GIRISH BILLORE
    फ़िलहाल इत्ते से ही संतोष कर लिया और मन बेहद आनंदित है पोस्ट बांच के
  20. बवाल
    वाह वाह फ़ुरसतिया साहब ये हुई ना बात। बहुत मौजवा वाली पोस्ट।
  21. Shama
    Aapka blog itnaa samruddh hai ki mujhe kahan comment likhna ye samajh nahee aata…aur aapke likhepe comment karnekee meree qabiliyat bhee nahee…
    Haan, phirbhee tippanee de rahee hun…itne saare logonme bas meree haazree bhar hai.
    aadarsahit
    Shama
  22. लावण्या
    अनूप भाई ,
    ये नेता लोग इत्ते दुष्ट हैँ कि
    “आचार सँहिता ” गँगाजल मेँ घोल कर पी जाते हैँ :-(
  23. rupali
  24. महामंत्री तस्‍लीम
    लेकिन कौन नेता इनकी परवाह करता है।
    ———–
    तस्‍लीम
    साइंस ब्‍लॉगर्स असोसिएशन
  25. प्रवीण त्रिवेदी-प्राइमरी का मास्टर
    लेओ सरकार हम आपका आलेखवा भेजे देत हन दैनिक जागरण माँ छपे का !!
  26. : फ़ुरसतिया-पुराने लेखhttp//hindini.com/fursatiya/archives/176

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