Sunday, May 02, 2010

…हम आपकी इज्जत करते हैं!

http://web.archive.org/web/20140419214250/http://hindini.com/fursatiya/archives/1390
rowse: Home / पुरालेख / …हम आपकी इज्जत करते हैं!

…हम आपकी इज्जत करते हैं!

दारोगाजी उनकी बड़ी इज्जत करते हैं। वे दारोगाजी की इज्जत करते है। दोनो की इज्जत प्रिंसिपल साहब करते है। कोई साला काम तो करता नही है, सब एक-दूसरे की इज्जत करते हैं। रागदरबारी
बातचीत बोले तो वार्ता बेहद आत्मीयता पूर्ण माहौल में हो रही थी। जनप्रतिनिधि पांच मिनट में साहब बहादुर की पच्चास कमियां गिना चुका था। अपनी बात पर वजन रखने के लिये वह उन कमियों को दोहराता भी जा रहा था। इसके बाद उसको फ़िर वजन की कमी लगती तो उन कमियों को एक बार फ़िर दोहरा देता। परम्परा, ट्रेंड, सहयोग, इन्सानियत, भलाई, कल्याण आदि शब्दों का उच्चारण करते हुये उसने दो मिनट में ही यह जता दिया कि उसे बहस-यज्ञ के सारे मंत्र जबानी याद हैं। साहब चेहरे पर ढ़ाई-तीन किलो अतिरिक्त गम्भीरता धारण करके बहस-वार्ता में खड़े-खड़े भाग ले रहे थे।
साहब बहादुर हर आरोप के जबाब में -अगर आपको कोई शिकायत है तो आप लिखकर दीजिये मैं उसकी जांच कराऊंगा कहते हुये तीन मिनट में जांच के बारह आश्वासन दे चुके थे।
जनप्रतिनिधि ने अचानक बिना किसी संदर्भ के कह दिया- हमें आपकी ईमानदारी पर पूरा विश्वास है।
इस पर साहब ने फ़िर कहा- अगर आपको कोई शिकायत है तो आप लिखकर दीजिये मैं उसकी जांच कराऊंगा!
लेकिन जनप्रतिनिधि इस समय लिखत-पढ़त के मूड में नहीं था। वार्ता-बगीचे में उसका मन-मयूर इत्ता मन लगाकर इठलाता/थिरकता फ़िर रहा था कि वह उसमें कोई व्यवधान नहीं चाहता था।
साहब के चेहरे पर विराजमान गम्भीरता जनप्रतिनिधि की खलास होती उत्तेजना का टेंटुआ दबाने लगी।
अचानक वार्तारत जनप्रतिनिधि की याददाश्त ने उनसे, गठबंधन सरकार के शातिर गुट की तरह, बिना किसी पूर्व सूचना के समर्थन वापस ले लिया। उसकी याददाश्त की सरकार भरभराकर गिर गयी। दिमाग पर बहुत जोर डालने पर भी उसे याद नहीं आया कि आगे बहस के लिये कौन सा शब्द-हथियार चलाना है। एक बार तो उसने अपनी कही बात को दोहराकर काम चलाना चाहा लेकिन इसके बाद भी बात खतम ही नहीं हुई! उसको कुछ समझ नहीं आया कि आगे क्या कहे! साहब के चेहरे पर विराजमान गम्भीरता जनप्रतिनिधि की खलास होती उत्तेजना का टेंटुआ दबाने लगी।
ऐसे गाढ़े समय में आमतौर पर नानी को याद करने का रिवाज है। लेकिन जनप्रतिनिधि हमेशा (शायर, सिंह और सपूत मे से कोई भी न होने के बावजूद) लकीर छोड़कर चलने का आदी था। उसने अपने गुरू को , गुरु को भी नहीं उनके उपदेश को याद किया- बेटा जब कभी किसी हाकिम के सामने अर्दभ में फ़ंसना तो उसकी इज्जत करने लगना। एक बार हाकिम की इज्जत करने पर फ़िर वह कुछ बोलने के लायक नहीं बचता।
उसने उनकी इज्जत करने की बात इतने जोर से कही कि कुछ लोगों ने तो अपने कान बंद कर लिये।
गुरु का उपदेश याद आते ही जनप्रतिनिधि चिल्ला-चिल्लाकर साहब को बताने लगा कि वह उनकी इज्जत करता है। दो-तीन बार इज्जत का हल्ला मचाने के बाद उसने साहब को फ़िर खुले आम हल्ले की चोट पर बताया कि उनको (साहब को) नहीं पता कि वह (जनप्रतिनिधि) उनकी कितनी इज्जत करता है। उसने उनकी इज्जत करने की बात इतने जोर से कही कि कुछ लोगों ने तो सहमकर अपने कान बंद कर लिये।
इज्जत की बात सुनते ही साहब सहम गये। वे निरीह बने अपनी इज्जत करवाते रहे।
परम्परा, ट्रेंड, सहयोग, इन्सानियत, भलाई, कल्याण आदि शब्दों का उच्चारण करते हुये उसने दो मिनट में ही यह जता दिया कि उसे बहस-यज्ञ के सारे मंत्र जबानी याद हैं।
जनप्रतिनिधि की इज्जत करने की भावना देखकर मुझे लगा कि जनप्रतिनिधियों की इज्जत करने की भावना के साथ नत्थी ध्वनि ऊर्जा की वैकल्पिक ऊर्जा का उपयोग करके देश के ऊर्जा संकट से निपटने का प्रयास किया जा सकता है। जनप्रतिनिधि अधिकारी वर्ग की चिल्ला-चिल्लाकर इज्जत करते हैं। इस इज्जत यज्ञ के समय उत्सर्जित होने वाली ध्वनि ऊर्जा को अगर डायनमों से जोड़ा जा सके तो इज्जत-कांडो से धकापेल बिजली पैदा करके देश की बिजली समस्या से निपटने का प्रयास किया जा सकता है।
पता चला जहां बिजली की जरूरत हुई वहीं किसी हाकिम को खड़ा करके चिल्ला-चिल्लाकर उसकी इज्जत करने लगे। चिल्लाने के दौरान उत्सर्जित ध्वनि ऊर्जा से झटपट बिजली उगा ली और काम निकाल लिया। काम निकल जाने पर इज्जत कराने के लिये बुलाये गये हाकिम को इज्जत सहित विदा कर दिया जाये। ज्यादा बिजली बनाने के लिये ज्यादा हाकिमों की भरती पर विचार किया जा सकता है।
वैसे भी देखा जाये तो आजकल जिसे देखो वही दूसरे की इज्जत करने पर आमादा है। लोग इज्जत बचाते घूमते हैं। लेकिन करने वाले सरेआम इज्जत करके चले जाते हैं। जिसकी इज्जत हो जाती है वो बेचारा अपनी इज्जत समेटे घुग्घू बना बैठा रहता है।
एक बहुत ईमानदार माने जाने वाले इंसान चार भले आदमियों के बीच बैठे अपने ईमानदारी के किस्से सुना रहे थे। उसी क्रम में बताते जा रहे थे कि बेईमान लोग उनसे थर-थर कांपते हैं!
कभी-कभी तो लगता है कि ससुर इज्जत न हो गयी आई.पी.एल. का मैच हो गयी- हमेशा होती ही रहती है।
अचानक एक बहुत बेईमान माना जाना वाला इंसान घुसा और सबके सामने बेहद ईमानदारी से उनके पैर छूकर श्रद्धावनत होकर खड़ा हो गया और भाभीजी कैसी हैं , भतीजे-भतीजी कैसी हैं पूछते हुये सरेआम उनकी इज्जत करने लगा।
उनका ईमानदारी का आख्यान बिना थरथराये बंद हो गया। मानों बेईमान द्वारा सरेआम इज्जत पाकर ईमानदारी की बोलती बंद हो गयी।
ऐसे सीन हर कहीं दिख जाते हैं। कोई तेज-तर्रार थानेदार मूंछो पर ताव दिये कानून व्यवस्था संभालने निकलता है और कोई गुंडा उसको सरेआम नमस्ते करके चला जाता है। चुनाव जीतने पर देश की कानून-व्यवस्था सुधारने की कसमें खाते जनप्रतिनिधियों की सभा में दरी-माइक और भीड़ का इंतजाम करते उस इलाके के माफ़िया दिखते हैं। धर्म और संस्कृति के प्रवचन देते साधु-सन्यासी अधर्म की पासबुक में अपने कुकर्म जमा कराने में लगे रहते हैं। आतंकवाद को मिटाने की कसमें खाते अमेरिकाजी से पाकेटमनी लेकर पाकिस्तान जी आतंकवाद का गुटका फ़ांकते हैं।
समय के साथ इज्जत करने के मामले में लोग मुखर हुये हैं। हल्ला मचाते हुये इज्जत करते हैं। गाली-गलौज के पहले इज्जत करते हैं। मारपीट के पहले इज्जत करते हैं। हाथापाई के पहले इज्जत करते हैं। हर उठापटक के आगे इज्जत करते हैं।
पहले लोग एक-दूसरे की मन ही मन इज्जत कर लेते थे। कभी-कभी तो पता ही नहीं चलता और लोग बिना बताये न जाने कित्ती इज्जत कर डालते। जिन्दगी बीत जाती लोग इज्जत करते रहते लेकिन बता के नहीं देते थे। बताते भी तो सहमते हुये दूसरे के कान में बात डाल देते कि वे उनकी बहुत इज्जत करते हैं। होते करते बात सही जगह पहुंच जाती लेकिन वो भी इज्जत वाली बात को तव्वजो नही देते। इससे इज्जत बेचारी बड़ी उपेक्षित महसूस सी करती। वह होती तो लगातार है लेकिन लोगो को पता नहीं चल पाता। जिधर देखो उधर पता नहीं कित्ती बेनामी इज्जत इधर-उधर छितरी दिखाई देती।
लेकिन इधर समय के साथ इज्जत करने के मामले में लोग मुखर हुये हैं। हल्ला मचाते हुये इज्जत करते हैं। गाली-गलौज के पहले इज्जत करते हैं। मारपीट के पहले इज्जत करते हैं। हाथापाई के पहले इज्जत करते हैं। हर उठापटक के आगे इज्जत करते हैं। पीछे इज्जत करते हैं। दायें-बायें, ऊपर-नीचे सब तरफ़ इज्जत कर डालते हैं।
कभी-कभी तो लगता है कि ससुर इज्जत न हो गयी आई.पी.एल. का मैच हो गयी- हमेशा होती ही रहती है।
बिना इज्जत की जिन्दगी की कल्पना करना बिना रूपा फ़्रंटलाइन के बनियाइन पहने लाइन में आगे होने की कल्पना जैसी है।
वैसे देखा जाये तो बिना इज्जत के जिन्दगी का कोई भी कार्यव्यवहार सूना सा है। बिना इज्जत की जिन्दगी की कल्पना करना बिना रूपा फ़्रंटलाइन के बनियाइन पहने लाइन में आगे होने की कल्पना जैसी है।
आपको अगर जीवन जीना है तो इज्जत करवाये बिना गुजारा नहीं है। हर समय आपको इज्जत करवाने के लिये तत्पर रहना चाहिये। बिना इज्जत कराये आजकल कुछ नहीं मिलता- न पैसा, न पद, न नौकरी, न प्रमोशन, न डी.ए., न एरियर, न पगार , न ओवरटाइम! आपको जिन्दगी में कुछ हासिल करना है उसके लिये आपको इज्जत करानी ही पड़ेगी। बिना इज्जत कराये आजकल कुछ हासिल नहीं होता।
हमारे दफ़्तर में एक दिन मेरे बहुत अजीज दोस्त आये। घंटे भर हमसे हमारी बुराई करते रहे। रागदरबारी के छोटे पहलवान की भाषा में घुमा-फ़िराकर हमको चिरकुट च हौलट बताते रहे। लेकिन बीच-बीच में सम्पुट की तरह यह भी बताते रहे कि यह हम आपको इसलिये बता रहे हैं क्योंकि हम आपकी बहुत इज्जत करते हैं।
हमने उनसे पूछा भी कि हमारी इतनी चिरकुटई से तुम इतने खफ़ा हो फ़िर भी तुम हमारी इज्जत करने की बात करते हो! हमें समझ नहीं आता कि हम अपनी इज्जत वाली बात को सच मानें या चिरकुटई वाली बात को।
इस पर वे बोले- भाईसाहब अब यह आप पर है कि आप इसे किस तरह लेते हैं। हमने तो आपकी सारी चिरकुटईयां आपको इसलिये बता दीं क्योंकि हम आपकी बहुत इज्जत करते हैं।
हमने पूछा- जब तुमको पता है कि हमारे अंदर इतनी सारी चिरकुटईयां हैं तब तुम हमारी इज्जत क्यों करते हो?
चिरकुटैयां करना आपका काम है। इज्जत करना हमारा काम है। आप अपना काम करिये! हमें हमारा काम करने दीजिये।
वो बोले- चिरकुटैयां करना आपका काम है। इज्जत करना हमारा काम है। आप अपना काम करिये! हमें हमारा काम करने दीजिये। आपकी इज्जत करना हमारा अधिकार है। हम इसे ले तो लिये ही हैं। अब किसी के माई के लाल में हिम्मत हो इसे हमसे छीनकर दिखाये। हम उसकी इज्जत कर देंगे।
इज्जत के साथ इतना समय बिताने के बाद मुझे लगता है कि अब समय आ गया है कि हमें इज्जत करने की भावना का सम्यक वैज्ञानिक अध्य्यन करके समाज की उन्नति में इसका उपयोग करना चाहिये।
हमें हर तरफ़ की समस्याओं पर काबू पाने के लिये इज्जत के हथियार का धड़ल्ले से प्रयोग करना चाहिये। हमें भ्रष्टाचारियों, चोर-उच्क्कों की इज्जत करके उनकी बोलती बंद कर देनी चाहिये।
जिस तरह इज्जत करने पर आदमी निरीह बनकर रह जाता है उससे तो लगता है कि हमें हर तरफ़ की समस्याओं पर काबू पाने के लिये इज्जत के हथियार का धड़ल्ले से प्रयोग करना चाहिये। हमें भ्रष्टाचारियों, चोर-उच्क्कों की इज्जत करके उनकी बोलती बंद कर देनी चाहिये। हमें आतंकवादियों, देशद्रोहियों की इतनी इज्जत करके डाल देनी चाहिये कि मारे इज्जत के उनकी सिट्टी-पिट्टी गुम हो जाये। देश की तमाम समस्याओं पर काबू पाने के लिये हमें उनकी इज्जत करने का रास्ता अख्तियार करने का वैकल्पिक मार्ग अपनानाना चाहिये। गरीबी, अशिक्षा, बेरोजगारी, भाई-भतीजावाद, अवसरवाद, जाहिलपन, पिछड़ापन की हमें थोक के भाव इज्जत कर डालनी चाहिये। जहां एक बार इनकी कायदे से इज्जत हुई ये सकपकाकर जहां की तहां ठिठक कर खड़ी हो जायेंगी और तब फ़िर हम जैसे चिमटी से मरी चुहिया पकड़ कर डस्टबिन में डाली जाती है वैसे ही इन समस्याओं को पकड़कर किनारे कर देंगे।
कहां तक बतायें! इज्जत करने के ढेरों सामाजिक उपयोग हैं। एक बार आजमा के तो देखिये।
आजमाइये और फ़िर बताइयेगा आपके अनुभव कैसे रहे? आपकी राय हमारे लिये अमूल्य है क्योंकि हम आपकी इज्जत करते हैं! :)
इज्जत के सिवा आज के समय कोई किसी का कर भी क्या सकता है! :)

34 responses to “…हम आपकी इज्जत करते हैं!”

  1. venus kesari
    हम तो ये बताने चले आये कि हम आपकी डबल इज्जत करते हैं
    ३ बज रहा है ….. पोस्ट कल पढेंगे :)
  2. Dipak 'Mashal'
    jo ho so ho par hum aapki badi izzat karte hain.. sach me.
  3. अजित वडनेरकर
    क्या चिंतन करते है मालक !!!!
    फुरसत है तभई न। एक बात साफ सुन लीजिए। इज्जत के भरोसे ही सब चल रहा है, सो ठीक है पर ई आसान
    तरीका खतरनाक है-
    “हमें भ्रष्टाचारियों, चोर-उच्क्कों की इज्जत करके उनकी बोलती बंद कर देनी चाहिये। हमें आतंकवादियों, देशद्रोहियों की इतनी इज्जत करके डाल देनी चाहिये कि मारे इज्जत के उनकी सिट्टी-पिट्टी गुम हो जाये।”
    हम भी इज्जत कमाने की खातिर जन्मे हैं, पर हमरी बेइज्जती हुआ जा रहा है…कौनो आपको खबर है????
  4. Alpana Verma
    लेख बाद में पढ़ूँगी.उस पर बाद में कोई टिप्पणी होगी.
    पहले तो इन फूलों ने ही रोक लिया,ऐसा लगता है जैसे १० घंटे की नींद पूरी करके एक दम फ्रेश उठे हैं,
    मम्मी ने अच्छा नाश्ता खिला कर सुबह सुबह खेलने भेज दिया है.खूब खुश और खिले खिले दिखाई दे रहे हैं.
    सब के सब ऐसे.. जैसे अभी बोल उठेंगे..
    बेहद खूबसूरत फोटोग्राफी की है..रंग संयोजन उम्दा !नीला ..hara ..सफेद और हल्का पीला..well balanced!
    ये चित्र भी मैं ले जा रही हूँ..
  5. pankaj upadhyay
    “गरीबी, अशिक्षा, बेरोजगारी, भाई-भतीजावाद, अवसरवाद, जाहिलपन, पिछड़ापन की हमें थोक के भाव इज्जत कर डालनी चाहिये। जहां एक बार इनकी कायदे से इज्जत हुई ये सकपकाकर जहां की तहां ठिठक कर खड़ी हो जायेंगी और तब फ़िर हम जैसे चिमटी से मरी चुहिया पकड़ कर डस्टबिन में डाली जाती है वैसे ही इन समस्याओं को पकड़कर किनारे कर देंगे।”
    हाहा.. इज़्ज़त तू न गयी मेरे मन से… :)
  6. SHEKHAR KUMAWAT
    ab to ham bhi karne lage
  7. Shiv Kumar Mishra
    अद्भुत चिंतन!!!!!
    इज्ज़त करने का जमाना है. जितना इज्ज़त कर दें उतना कम है. सुनने में आया है कि इज्ज़त को बढ़ावा देने के लिए प्लानिंग कमीशन ने एक राष्ट्रीय स्तर का प्लान बनाया है. पायलट प्रोजेक्ट के तहत पहले इज्ज़त कराऊ कार्यक्रम हिंदी ब्लागिंग में टेस्ट किया जा रहा है. इसके परिणाम अच्छे मिल रहे हैं…..:-)
  8. Vivek Rastogi
    वाह इज्जतपुराण बांचकर मजा आ गवा
  9. shefali pande
    aaj se to ham aapkee aur bhi zyada izzat karne lage…kripya izzat sweekar karen…
  10. dr anurag
    ज़माना बड़ा ख़राब है साहब…अकेले में आजकल लोग इज्ज़त करते है .पबिलिक में अपने फायदे के मुताबिक व्योवहार करते है …..
  11. aradhana "mukti"
    गजब ! क्या झन्नाटेदार लप्पड़ मारा है इज्जत करने वालों की कनपटी पर…बेचारे…
    कुछ लाइना तो बहुतै जबर्दस्त हैं-
    -”इज्जत की बात सुनते ही साहब सहम गये। वे निरीह बने अपनी इज्जत करवाते रहे।”
    -”कोई तेज-तर्रार थानेदार मूंछो पर ताव दिये कानून व्यवस्था संभालने निकलता है और कोई गुंडा उसको सरेआम नमस्ते करके चला जाता है। चुनाव जीतने पर देश की कानून-व्यवस्था सुधारने की कसमें खाते जनप्रतिनिधियों की सभा में दरी-माइक और भीड़ का इंतजाम करते उस इलाके के माफ़िया दिखते हैं। धर्म और संस्कृति के प्रवचन देते साधु-सन्यासी अधर्म की पासबुक में अपने कुकर्म जमा कराने में लगे रहते हैं। आतंकवाद को मिटाने की कसमें खाते अमेरिकाजी से पाकेटमनी लेकर पाकिस्तान जी आतंकवाद का गुटका फ़ांकते हैं।”
    और आखिरी का पैरा भी कमाल है…वाह ! मान गये आपको…वैसे मानते तो पहले से हैं, इस लेख के बाद हमारी नज़रों में आपकी इज्जत बढ़ गयी है, लेकिन… पहले बेइज्जती से डर लगता था, ये पोस्ट पढ़कर इज्जत से डर लगने लगा है. ऐसा क्यों लिखते हैं आप ? हैंए !
  12. Gyan Dutt Pandey
    लाला पांड़े की बहुत इज्जत करते हैं। पांड़े सुकुल की करते है। सुकुल मिसिर की। मिसिर दुबे की। दूबे झा की।
    इज्जत से गन्न्हा गया है ब्लॉगजगत!
  13. Abhishek
    ये बिजली की समस्या निपटाने का तरीका मस्त लगा :)
    ‘ लोग इज्जत बचाते घूमते हैं। लेकिन करने वाले सरेआम इज्जत करके चले जाते हैं’. वाह जी वाह.
    ‘ससुर इज्जत न हो गयी आई.पी.एल. का मैच हो गयी’. और फिर ये:
    ‘अब किसी के माई के लाल में हिम्मत हो इसे हमसे छीनकर दिखाये। हम उसकी इज्जत कर देंगे’. आज तो अजबे पोस्ट ठेल दिए आप. इस पोस्ट के बाद तो हम आपकी और (२ किलो ज्यादा ) इज्जत करने लग गए :)
  14. मीनाक्षी
    गरीबी, अशिक्षा, बेरोजगारी, भाई-भतीजावाद, अवसरवाद, जाहिलपन, पिछड़ापन की हमें थोक के भाव इज्जत कर डालनी चाहिये। ——- पिछले दिनों दिल्ली में रहते हमने ऐसा ही किया लेकिन मुँह की खानी पड़ी… :(
  15. Manoj Kumar
    पहली टिप्पणी तो यही मन में यही आई कि हम इस पोस्ट की बहुत इज़्ज़त करते हैं।
    और वो दोस्त जो आप पर चिरकुटई का आरोप लगा गये हैं .. उस चिरकुटई से आपको बा-ईज़्ज़त बरी करते हैं।
    बाक़ी के कमेंट के लिए फिर आएंगे।
  16. Manoj Kumar
    दूसरों के प्रति किया हुआ व्यवहार (इज़्ज़त) ही अपने प्रति हो जाता है ।
  17. वन्दना अवस्थी दुबे
    गज़ब बखिया उधेड़ी है इज़्ज़त की……. कमाल है…पता नहीं कहां-कहां दिमाग डोलता फिरता है आपका!!!
    ”कोई तेज-तर्रार थानेदार मूंछो पर ताव दिये कानून व्यवस्था संभालने निकलता है और कोई गुंडा उसको सरेआम नमस्ते करके चला जाता है।”
    और-
    “हमें आतंकवादियों, देशद्रोहियों की इतनी इज्जत करके डाल देनी चाहिये कि मारे इज्जत के उनकी सिट्टी-पिट्टी गुम हो जाये।”
    इज़्ज़त के लायक व्यंग्य. वैसे हम आपकी हमेशा से बहुत इज़्ज़त करते चले आ रहे हैं. अब चिल्ला-चिल्ला के भी बतायेंगे. कान बन्द न कर लीजियेगा :)
  18. अजय कुमार झा
    “लाला पांड़े की बहुत इज्जत करते हैं। पांड़े सुकुल की करते है। सुकुल मिसिर की। मिसिर दुबे की। दूबे झा की।
    इज्जत से गन्न्हा गया है ब्लॉगजगत!”
    जे बात तो सौ टके की कह दी पांडे जी ने । तो आईये ब्लोगजग से ई गन्न्ह हो दूर किया जाए , और खूब जम के इज्जत नहीं करने का ( बोले तो बेइज्जती जी )नया दौर का आगाज करें सब मिल कर अईसन कि त्राहि माम कह उठें सब । और फ़िर दोबारा से इज्जत उज्जत देने लेने के बारे में सोचा जाएगा ।
  19. प्रवीण पाण्डेय
    इज्ज़त करने के पहले इज्ज़त बढ़ाना चाहिये । इज्जत बढ़ाने से कोई पहले की दुर्भावना हो तो वह भी मिट जाती है । तब अच्छा लगता है इज्ज़त करने और करवाने वाले को । बहुतै अच्छी रचना ।
  20. बेचैन आत्मा
    साहब के चेहरे पर विराजमान गम्भीरता जनप्रतिनिधि की खलास होती उत्तेजना का टेंटुआ दबाने लगी
    ………………………………………………………………………………….
    बेईमान द्वारा सरेआम इज्जत पाकर ईमानदारी की बोलती बंद हो गयी
    …………………………………………………………………………………..
    —वाह जनाब! इतनी अच्छी पोस्ट लिखेंगे तो कौन है जो आपकी इज्जत नहीं करेगा! ‘इज्जत’ शब्द की बखिया उधेड़ कर रख दी. शरद जोशी को फोन मिलाता हूँ स्वर्ग में कि आप कि आपकी कलम चल रही है यहाँ..
    ऊपर की दो पंक्तियाँ तो याद करने लायक है…वाह!
  21. amrendra nath tripathi
    लीजिये हम भी आपकी इज्ज़त-आफजाई करते हैं ..
    पढ़कर लगा की इज्ज़त हथियार से बड़ा कोई हथियार नहीं ..
    क्यों न कसाब को इज्जत के कारागार में कैद कर दिया जाय ! कैसा रहेगा ?
    लोग समयाभाव में भी इज्ज़त का समय निकाल ही लेते हैं , फोटो की
    भी गजब की इज्ज़त ! अहा अहा – रंग संयोजन !
    अब वह पंक्ति कोट कर रहा हूँ जिसे किसी और ने शायद नहीं कोट किया है –
    ” परम्परा, ट्रेंड, सहयोग, इन्सानियत, भलाई, कल्याण आदि शब्दों का उच्चारण करते
    हुये उसने दो मिनट में ही यह जता दिया कि उसे बहस-यज्ञ के सारे मंत्र जबानी याद हैं। ”
    — इन्हीं बातों पर जमुहाई ले-लेकर लोग बतियाते हैं ! यज्ञ में जितना ज्यादा घी
    उतना ज्यादा फल !
    …………..
    ज्ञान जी ने क्या सुन्दर ब्लॉग-जगत का इज्ज़त – पुछल्ला शब्दों में बनाया है !
  22. Saagar
    इज्ज़त करना बहुत जरुरी है… और कम से कम बताना तो और भी जरुरी की मैं आपका इज्ज़त करता हूँ, इसी में छिपा है जीवन का मूल मंत्र… तो बेहतर है कुछ ना करिए पर इज्ज़त करिए…
    वैसे सुखविंदर सिंह को भी “कुछ करिए” की जगह “इज्ज़त करिए” गाना चाहिए था…
  23. zeal
    Izzatdaar post !
    Badhaaii.
  24. प्रवीण त्रिवेदी ╬ PRAVEEN TRIVEDI
    अब हम का कहें ? हम (मास्टर) तो इज्जत बे-इज्जत के खांचे से कब्बे की बाहर होई गएँ हन !
  25. हिमान्शु मोहन
    “अचानक वार्तारत जनप्रतिनिधि की याददाश्त ने उनसे, गठबंधन सरकार के शातिर गुट की तरह, बिना किसी पूर्व सूचना के समर्थन वापस ले लिया। उसकी याददाश्त की सरकार भरभराकर गिर गयी।”
    वाह!
    अब अभी क्या लिखें पढ़ें, हमने ऐसे कई अवसर देखे हैं। दो बार तो ऐसा भी कि आदमी झोले में डाला हुआ कट्टा दिखा रहा है झोला खोलकर, और कहता जा रहा है कि “का करें! हम आप की बहुतै इज्जत करते हैं!”
    बहुत सटीक, सच्चा और पैना व्यंग्य।
    ————————————————
    @ प्रवीण त्रिवेदी ╬ PRAVEEN TRIVEDI
    और आप मास्टर साहब ज़्यादा बैरागी मत बनिए, थोड़ा सावधान रहिए। बोर्ड परीक्षाओं से शुरू हो कर अगले साल के प्रवेश तक थोड़ा ज़्यादा ख़तरा बना रहता है, कहीं भी इज़्ज़त हो जाने का। ऐसा प्राइमरी में भी होता है।
    :)
  26. satish saxena
    वाह अनूप भाई !
    आज तो अच्छे मूड में हो …मगर रमक में लिखा गया यह इज्ज़त पुराण की भरपूर इज्ज़त के साथ इज्ज़त अफजाई !
  27. अमर कुमार

    इज़्ज़त ?
    नया नया ज़ुलुम बात सब लिक्खे हैं,
    त पहिले ई बताइये कि इस नाम की कउन नयी आफ़त आ गयी ब्लॉगजगत में ?
  28. समीर लाल
    इज्जत तो हम भी देते हैं आपको मगर जाने कैसे फीड आना बन्द हो गई है आपकी. ब्लॉक तो नहीं किये हो न भाई?? :)
    फुरसतियाशैली का बेहतरीन आलेख, मजेदार.
  29. K M Mishra
    “लाला पांड़े की बहुत इज्जत करते हैं। पांड़े सुकुल की करते है। सुकुल मिसिर की। मिसिर दुबे की। दूबे झा की।
    इज्जत से गन्न्हा गया है ब्लॉगजगत!”
    अब कुछ दिन इज्जत उतारो सप्ताह मनाया जाये ।
  30. masijeevi
    वैसे आप कुछ भी कहें ब्‍लॉग-श्‍लॉग की दुनिया में फुरसतिया बहुत इज्‍जतवाला नाम है। रही हमारी तो प्रवीण ऊपर बता ही चुके हैं कि मास्‍टर लोग कब्‍बे के इस झंझट से दूर हो गए हैं :))
  31. indra awasthi
    mauj aa gayee!
    nireeh ban ke izzat karwaana ! jhaade raho kalattarganj!
    phone par beizzati karte hain
  32. : सुबह जल्दी उठने के बवाल
    [...] उनकी ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा की इज्जत की भी करते हैं। लेकिन जिस तरह की खबरें सुनने में आईं [...]
  33. sanjay jha
    सही-इच है बंदा गर इज्ज़त ही करता रहेगा तो काम कब करेगा
    प्रणाम.
  34. फ़ुरसतिया-पुराने लेख
    [...] …हम आपकी इज्जत करते हैं! [...]

No comments:

Post a Comment