http://web.archive.org/web/20140420081203/http://hindini.com/fursatiya/archives/3423
आजकल अपने यहां घपलों-घोटालों की बाढ़ सी आयी हुई है। नित नूतन घोटाला। एक को जी भर के कोस न पाओ तब तक अगला नमूदार हो जाता है। लो भाई हम भी हैं कतार में। हमारी भी चर्चा करो। इसी बहाने कुछ सीख जाओगे।
घपले आजकल की पाठशाला हो गये हैं। बचपन में व्यवहारिक गणित पढ़ते थे। उसमें मजाक-मजाक में गणित सिखाई जाती थी। घपलों के बहाने आदमी तमाम नई चीजें सीखता है। याद है न स्पेक्ट्रम घोटाला। उसके पहले कित्ते लोगों को हवा थी कि स्पेक्ट्रम क्या होता है, कैसे बिकता है। स्पेक्ट्रम घोटाला होते ही देश का आम आदमी भी तमाम खास चीजें जान गया। कोयला घोटाले के पहले पता ही नहीं था अपन को कि कोयले की खदाने ही नहीं ’कोल ब्लॉक’ भी होते हैं। अभी डी.एल.एफ़. पुराण से जो चीज सामने आयी है उसका तो नाम भी ठीक से नहीं ले पाते हैं- क्विक-प्रो…..। कोई नहीं एकाध दिन में सीख जायेंगे।
कल एक ठो अम्पायरिंग घोटाला भी सामने आ गया। कभी मशहूर था कि पाकिस्तान के अम्पायर मारे देश भक्ति के अपने खिलाड़ियों को आउट नहीं देते। अब पता लगा कि मामला देश से शिफ़्ट होकर पैसे पर आ गया। बांगलादेश का अम्पायर फ़िक्सिंग का पैसा भारत में अपनी प्रेमिका के खाते में जमा कराने को कहता है। घपले विश्वबन्धुत्व की भावना का प्रसार करते हैं।
घपलों में उद्दात्त मानवीय गुण भी दिखते हैं। एक लाख करोड़ के घपले के बचाव में डेढ़ लाख करोड़ का घोटाला मोर्चा संभाल लेता है। पांच और करोड़ के घोटाले की रक्षा में सौ करोड़ का घपला तलवार भांजने लगता है। अभी तीन सौ करोड़ के घोटाले की रक्षा में जिस तरह सत्तर लाख के घपले ने अपनी जान दी उससे बरबस पन्ना धाय याद आ गयीं जिन्होंने अपने बेटे चंदन की कुर्बानी देकर कुंवर उदयसिंह की जान बचायी थी। इस तरह देखा जाये तो घोटाले ऐतिहासिक घटनाओं को अभिनव तरीके से दोहराते दिखते हैं।
देश में घपले-घोटाले जितने आम और सहज-स्वीकार्य होते जा रहे हैं उससे लगता है क्या पता आने वाले समय में वित्तीय संस्थायें घपला-घोटाला करने के लिये लोन देने लगें। दो स्थापित घोटालेबाजों की गारंटी पर मनचाहा घपला लोन स्वीकृत करें।
क्या पता कल को केबीसी में बाबूजी के सुपुत्र फ़ास्टेस्ट फ़िंगर फ़र्स्ट में सवाल पूछें- देश में हुये घपलों को उनकी कीमत के हिसाब से बढ़ते क्रम में बतायें:
घपला विरोधी लोग मानते हैं कि घपले देश को नुकसान पहुंचाते हैं। अर्थव्यवस्था पर चोट करते हैं। आम आदमी का जीवन कठिन करते हैं। घपले बाजों को सख्त से सख्त सजा मिलनी चाहिये। यह एक नजर है।
लेकिन घोटाला विचारधारा के समर्थकों की सोच जरा अलग टाइप की है। वे घपलों के व्यवहारिक उपयोग के हिमायती हैं। वे मानते है कि घपले देश के उर्वर दिमाग वाले हरामखोरों की कार्यक्षमता के परिचायक हैं। हरेक को अपना विकास करने का हक है तो हरामखोर शातिरों को इस अवसर से कैसे वंचित किया जा सकता है। वे मानते हैं कि घपले देश की कानून व्यवस्था के टेस्टर हैं। हरेक घपला किसी न किसी कानून को मजबूत बनाने का अवसर मुहैया कराता है। किसी भी कानून को दीवार को फ़ांदकर किया हुआ घोटाला उस कानून की दीवार को ऊंचा और मजबूत बनाने में सहयोग करता है। कानून की मजबूती के घपलों का सीमेंट तो चाहिये ही होगा।
पहले आदमी घपले-घोटाले की सुनकर चौंकता था। गुस्साता था। देश समाज की स्थिति पर चिन्ता करने लगने था। ये वो दिन थे जब हम गरीब देश हुआ करते थे। जहां घपले का पता चला नहीं कि जी बैठ जाता था। सरकार बदल जाती थी। लेकिन अब हालात बदले हैं। हम उत्ते गरीब नहीं रहे अब। रोज नया घपला होता है और हम झेल जाते हैं। घपलों की करेंट से अब हमारी एम.सी.बी. नहीं गिरती। सबको बाईपास कर दिया हमने।
दर्द का हद से गुजर जाना, दवा हो जाना है वाले सिद्धांत के अनुसार हरेक घपले अब चौकाते नहीं हैं। उनको उजागर करने वाले और उनको दबाने वाले ऐसे-ऐसे तर्क पेश करते हैं हंसी आती है। घपले अब मनोरंजन का साधन बन गये हैं। घपले घोटालों से सबसे ज्यादा खतरा अगर अब किसी को है तो लाफ़्टर चैलेंज वाले हैं।
बहुत देर से टीवी खोला नहीं। देखते हैं कोई नया घपला हुआ क्या?
कोई नया घपला हुआ क्या?
By फ़ुरसतिया on October 10, 2012
आजकल अपने यहां घपलों-घोटालों की बाढ़ सी आयी हुई है। नित नूतन घोटाला। एक को जी भर के कोस न पाओ तब तक अगला नमूदार हो जाता है। लो भाई हम भी हैं कतार में। हमारी भी चर्चा करो। इसी बहाने कुछ सीख जाओगे।
घपले आजकल की पाठशाला हो गये हैं। बचपन में व्यवहारिक गणित पढ़ते थे। उसमें मजाक-मजाक में गणित सिखाई जाती थी। घपलों के बहाने आदमी तमाम नई चीजें सीखता है। याद है न स्पेक्ट्रम घोटाला। उसके पहले कित्ते लोगों को हवा थी कि स्पेक्ट्रम क्या होता है, कैसे बिकता है। स्पेक्ट्रम घोटाला होते ही देश का आम आदमी भी तमाम खास चीजें जान गया। कोयला घोटाले के पहले पता ही नहीं था अपन को कि कोयले की खदाने ही नहीं ’कोल ब्लॉक’ भी होते हैं। अभी डी.एल.एफ़. पुराण से जो चीज सामने आयी है उसका तो नाम भी ठीक से नहीं ले पाते हैं- क्विक-प्रो…..। कोई नहीं एकाध दिन में सीख जायेंगे।
कल एक ठो अम्पायरिंग घोटाला भी सामने आ गया। कभी मशहूर था कि पाकिस्तान के अम्पायर मारे देश भक्ति के अपने खिलाड़ियों को आउट नहीं देते। अब पता लगा कि मामला देश से शिफ़्ट होकर पैसे पर आ गया। बांगलादेश का अम्पायर फ़िक्सिंग का पैसा भारत में अपनी प्रेमिका के खाते में जमा कराने को कहता है। घपले विश्वबन्धुत्व की भावना का प्रसार करते हैं।
घपलों में उद्दात्त मानवीय गुण भी दिखते हैं। एक लाख करोड़ के घपले के बचाव में डेढ़ लाख करोड़ का घोटाला मोर्चा संभाल लेता है। पांच और करोड़ के घोटाले की रक्षा में सौ करोड़ का घपला तलवार भांजने लगता है। अभी तीन सौ करोड़ के घोटाले की रक्षा में जिस तरह सत्तर लाख के घपले ने अपनी जान दी उससे बरबस पन्ना धाय याद आ गयीं जिन्होंने अपने बेटे चंदन की कुर्बानी देकर कुंवर उदयसिंह की जान बचायी थी। इस तरह देखा जाये तो घोटाले ऐतिहासिक घटनाओं को अभिनव तरीके से दोहराते दिखते हैं।
देश में घपले-घोटाले जितने आम और सहज-स्वीकार्य होते जा रहे हैं उससे लगता है क्या पता आने वाले समय में वित्तीय संस्थायें घपला-घोटाला करने के लिये लोन देने लगें। दो स्थापित घोटालेबाजों की गारंटी पर मनचाहा घपला लोन स्वीकृत करें।
क्या पता कल को केबीसी में बाबूजी के सुपुत्र फ़ास्टेस्ट फ़िंगर फ़र्स्ट में सवाल पूछें- देश में हुये घपलों को उनकी कीमत के हिसाब से बढ़ते क्रम में बतायें:
- ताबूत घोटाला
- स्पेक्ट्रम घोटाला
- कोयला घोटाला
- बोफ़ोर्स घोटाला
घपला विरोधी लोग मानते हैं कि घपले देश को नुकसान पहुंचाते हैं। अर्थव्यवस्था पर चोट करते हैं। आम आदमी का जीवन कठिन करते हैं। घपले बाजों को सख्त से सख्त सजा मिलनी चाहिये। यह एक नजर है।
लेकिन घोटाला विचारधारा के समर्थकों की सोच जरा अलग टाइप की है। वे घपलों के व्यवहारिक उपयोग के हिमायती हैं। वे मानते है कि घपले देश के उर्वर दिमाग वाले हरामखोरों की कार्यक्षमता के परिचायक हैं। हरेक को अपना विकास करने का हक है तो हरामखोर शातिरों को इस अवसर से कैसे वंचित किया जा सकता है। वे मानते हैं कि घपले देश की कानून व्यवस्था के टेस्टर हैं। हरेक घपला किसी न किसी कानून को मजबूत बनाने का अवसर मुहैया कराता है। किसी भी कानून को दीवार को फ़ांदकर किया हुआ घोटाला उस कानून की दीवार को ऊंचा और मजबूत बनाने में सहयोग करता है। कानून की मजबूती के घपलों का सीमेंट तो चाहिये ही होगा।
पहले आदमी घपले-घोटाले की सुनकर चौंकता था। गुस्साता था। देश समाज की स्थिति पर चिन्ता करने लगने था। ये वो दिन थे जब हम गरीब देश हुआ करते थे। जहां घपले का पता चला नहीं कि जी बैठ जाता था। सरकार बदल जाती थी। लेकिन अब हालात बदले हैं। हम उत्ते गरीब नहीं रहे अब। रोज नया घपला होता है और हम झेल जाते हैं। घपलों की करेंट से अब हमारी एम.सी.बी. नहीं गिरती। सबको बाईपास कर दिया हमने।
दर्द का हद से गुजर जाना, दवा हो जाना है वाले सिद्धांत के अनुसार हरेक घपले अब चौकाते नहीं हैं। उनको उजागर करने वाले और उनको दबाने वाले ऐसे-ऐसे तर्क पेश करते हैं हंसी आती है। घपले अब मनोरंजन का साधन बन गये हैं। घपले घोटालों से सबसे ज्यादा खतरा अगर अब किसी को है तो लाफ़्टर चैलेंज वाले हैं।
बहुत देर से टीवी खोला नहीं। देखते हैं कोई नया घपला हुआ क्या?
Posted in बस यूं ही | 27 Responses
ज़रा रुकिए. हमें सोचने दीजिए कि घपले और घोटाले में अंतर क्या है? कोई न कोई अंतर तो होगा ही. खैर, जो भी हो ज्ञान की वृद्धि और विश्वबंधुत्व की भावना का प्रसार तो दोनों से ही होता है
aradhana की हालिया प्रविष्टी..Open Sans, how do we love thee? Let us count the ways.
घोटाला-फोटाला सब मन का वहम है !!!! जिसपे लक्ष्मी देवी की कृपा होती है तो अपने आपै चली जाती हैं | लोग तो खूब सारा पूजा पाठो करवाते हैं कि लक्ष्मी माता किरपा करना !!!! तब काहे घोटाले से डरना | कोनो ज़रुरत नहीं है , सब मैया की किरपा है !!!!
दरसल जो घोटाला नहीं कर पाते वो ये समझें की भगवान उनसे खफा हैं | कृपया फटाफट कोई जुगाड़ ढूंढें |
और वैसे घोटाला करना भी कोई आसान बात नहीं है | स्कूल में जब मिठाई बंटती थी तो एक एक्स्ट्रा लड्डू खाना कितनी मेहनत का काम था , तो सोचो फिर हजारों-करोड़ो का घोटाला करना आसान काम नहीं होगा !!!!
मैं सारे घोटाले बाजों को खुला समर्थन देता हूँ, कम से कम आप तो अपनी मर्जी की कर रहे हो इस देश में
देवांशु निगम की हालिया प्रविष्टी..काश!!! कुछ छोड़ पाना आसान होता…
घपला-घोटालों से हो रहा भारत निर्माण??????
आईये इस महती sad-कार्य में हम, अपना किंचित सहयोग दें……….
बकिया, ई पोस्ट, घपला-घोटाला करने वालों के लिए, question पेपर कम answer शीट है………………..
प्रणाम.
हम भी २-जी घोटाले से पहले केवल यही जानते थे कि स्पेक्ट्रम तो केवल प्रकाश का होता है |
सादर
AAkash Mishra की हालिया प्रविष्टी..हम कोने वाले कमरा के हैं
Kajal Kumar की हालिया प्रविष्टी..कार्टून :- शुतुरमुर्गौं का समूहगान
pranam
प्रवीण पाण्डेय की हालिया प्रविष्टी..शाम है धुँआ धुँआ
ये ख़ास लोग आम जनता का पैसा लूटने में सिद्धहस्त जो हैं
Alpana की हालिया प्रविष्टी..वो भी एक दौर था ..और ये भी….है !
अरे हाँ, आपका घोटाला भी ओफ्फोह, कार्टून भी पसंद आया.. डूबे जी की सोहबत का असर दिख गया!! बधाई!!
सलिल वर्मा की हालिया प्रविष्टी..पॉलीथीन और झुर्रियाँ
Gyandutt Pandey की हालिया प्रविष्टी..गंगा किनारे चेल्हा के लिये मशक्कत
सतीश चंद्र सत्यार्थी की हालिया प्रविष्टी..हिन्दी दिवस से नयी शुरुआत
कल को केबीसी में ये प्रश्न आये या ना आये लोक सेवा आयोग जरूर ही पूछेगा.