Monday, November 26, 2012

इंक ब्लॉगिंग में लफ़ड़े बड़े

http://web.archive.org/web/20140331071945/http://hindini.com/fursatiya/archives/3635

इंक ब्लॉगिंग में लफ़ड़े बड़े


ये भी देखिये:
1. इंक ब्लॉगिंगः हुनर हाथों का
2.डिजिटल इंक ब्लॉगिंग…..
3.इंक ब्लॉगिंग एक लफ़ड़ा…..
4.इंक-ब्लागिंग के कुछ फुटकर फ़ायदे
5.अमिताभ का अ कितना खूबसूरत है
6.फुरसतिया टाईम्‍स न फुरफरिया टाईम्‍स- ये है चिट्ठाचर्चा टाईम्‍स

16 responses to “इंक ब्लॉगिंग में लफ़ड़े बड़े”

  1. सतीश चन्द्र सत्यार्थी
    पोस्ट को एकदम लभलेटर टाइप सजाके लगाते हैं… ;)
    इन्कब्लोगिंग का अपना अलग अदाज है पर इसके प्रचलित न होने के पीछे कई कारण हैं..
    सर्च इंजन आपके पोस्ट के कंटेंट को इंडेक्स नहीं कर पाते… आप आगे कभी रिफरेन्स के लिए खुद अपनी पोस्ट से ही कॉपी-पेस्ट नहीं कर सकते.. मोबाइल और छोटी स्क्रीन के डिवाइसेज पर तस्वीर में लिखे टेक्स्ट को पढना एक सरदर्द है… और अंत में सबकी हैंडराइटिंग आपके जैसी सुन्दर नहीं है.. ;)
    लेकिन इमेज के साथ टाइप किया हुआ टेक्स्ट भी नीचे दे दिया जाये तो सिनेमा और नाटक दोनों का आनंद मिल सकता है…
    सतीश चन्द्र सत्यार्थी की हालिया प्रविष्टी..हाथी और जंजीरें
  2. sanjay jha
    मजा आ गया सच्ची में…………सही में बड्डे प्यार से लिखे हैं…………
    प्रणाम.
  3. Kajal Kumar
    हाशिये में लिखे पर दोबारा गौर करें. स्‍पॉंडेलाइटेस वाले पाठक कैसे पढ़ें :)
    Kajal Kumar की हालिया प्रविष्टी..कार्टून :- कैसे ये सि‍र जि‍नपे लाल टोपी रूसी
  4. प्रवीण पाण्डेय
    लेने को तो इंकब्लॉगिंग में भी रिटेक लिये जा सकते हैं, हम तो कई बार पोस्ट में भी गलती कर देते हैं।
    प्रवीण पाण्डेय की हालिया प्रविष्टी..शिक्षा – रिक्त आकाश
  5. shikha varshney
    ये इंक ब्लॉग्गिंग का रंग तो जबरदस्त है. जारी रहे.
  6. amit srivastava
    पहली नज़र में मैं इसे “डंक ब्लागिंग ” पढ़ गया | और सोचा भी कि कितना सही शीर्षक है ,फुरसतिया का ब्लॉग बहुतों को डंक मारता है | अतः एकदम सही नाम है “डंक ब्लागिंग ” | पर जब गौर से देखा तो पाया “इंक ब्लागिंग ” | लेकिन असली इंक ब्लागिंग तो यह भी नहीं है | दवात में भरी इंक में निब डुबो डुबो लिखा जाय तब माना जाएगा ” स्याही ब्लागिंग ” | अब इस शैली की भी नक़ल करनी पड़ेगी | अव्वल तो कागज़ ही नहीं मिलेगा कोई समूचा ,कागज़ मिल गया तो कोई ऐसी कलम नहीं मिलेगी जो २/३ मिनट कागज़ पर लगातार अपना मुहं रगड़ सके | चलिए फिर भी अब कुछ तो करना पड़ेगा | एक तरीका यह भी है कि कंप्यूटर पर टाइप कर फिर प्रिंट निकाल कर उसे स्कैन कर ब्लॉग पर साट दें | वह भी रहेगी तो इंक ब्लागिंग ही | (प्रिंटर में भी इंक होती है ,हमने देखी है ,एक चौड़ी शीशी में भरी भी होती है )
    amit srivastava की हालिया प्रविष्टी.." ब्लॉग पर पोस्ट पब्लिश करने का मुहूर्त ………"
  7. Alpana
    बहुत ही अच्छा लगा.इसमें तो एक अलग ही आनंद की अनुभूति है !
    लेकिन दायें -बाएँ लिखा पढने के लिए गर्दन घुमानी पड़ी जो कष्टदायक है .
    Alpana की हालिया प्रविष्टी..हाइकु
  8. archanachaoji
    इस तरह लिखें तो फ़ुरसतिया चिट्ठी कह सकते हैं……
  9. लिटरेचर इज ब्रिलियेंट इल्लिटरेसी
    [...] « Previous फुरसतिया हम तो जबरिया लिखबे यार हमार कोई का करिहै? पुराने लेखबस यूं हीमेरी पसंदलेखसूचनाSubscribe Browse: Home / पुरालेख / लिटरेचर इज ब्रिलियेंट इल्लिटरेसी [...]
  10. बवाल
    इंक ब्लॉगिंग का अनुभव पहली बार किया। मज़ेदार रहा। यदि की बोर्ड ख़राब हो जाए तो कोई ग़म नहीं। क़लम तो है।
  11. Abhishek
    फोरमैट कुंडली वाला है :)
    Abhishek की हालिया प्रविष्टी..वो लोग ही कुछ और होते हैं – III
  12. प्रतिभा सक्सेना
    अरे, ब्लागिंग से आमदनी -जितनी भी सही, हुई तो !वैसे कर आश्चर्य ही हुआ कि ऐसा भी होता है .
    बहुत दिनों बाद हाथ से लिखा देखा -इतना साफ़-सुथरा – खूब अच्छा लगा ..
  13. फ़ुरसतिया-पुराने लेख
    [...] इंक ब्लॉगिंग में लफ़ड़े बड़े [...]
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