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सचिन का संन्यास बच्चों के हित में
By फ़ुरसतिया on October 11, 2013
आज
घर फोन किया तो बच्चे ने बात करने से इंकार कर दिया। कारण पूछने पर पता
चला कि सचिन क्रेकेट से रिटायर हो रहे हैं। हमें समझ नहीं आया कि बच्चा
हमने नाराज है सचिन से। अरे भाई हमने थोड़ी कोई कहा था सचिन से रिटायर होने
को। उसने सन्यास की घोषणा की उससे निपटो। हमसे क्यों खफ़ा हो रहे हो।
क्रिकेट जैसे निठल्ले और समय खपाऊ खेल के देवता की उपाधि पाया खिलाड़ी रिटायर हो रहा है। हर चैनल प्राइम टाइम पर सचिन चालीसा पढ़ने में लगा है। सचिन की उपलब्धियां और खूबियां बखानी जा रही हैं। क्रिकेट के सर्वकालिक बेहतरीन खिलाड़ी की विदाई का मामला है। अगले दस दिन तक मीडिया पलट-पलट कर फ़िर-फ़िर सचिन चर्चा करता रहेगा। एक ही चैनल पर दो एंकर एक के बाद एक सचिन चर्चा कर रहे हैं। सचिन रिकार्ड के लिये खेलते नहीं थे लेकिन रिकार्ड उनके लिये बनते रहते थे। 200 वें टेस्ट की विदाई भी एक ऐसा ही रिकार्ड है।
हमारे दोनों बच्चे सचिन के पक्के फ़ैन हैं। सचिन की बुराई सहन नहीं कर सकते। मैं अक्सर कहता कि सचिन में फ़िनिशिंग हुनर नहीं है। कपिलदेव की वर्ल्डकप की 175 रन सरीखी एक्को पारी नहीं खेले तो वे सचिन की कई पारियां गिना देते। सचिन के मामले में बात करते हुये मेरे बच्चे राजनीतिक पार्टियों के प्रवक्ता की तरह बहस करने लगते जो अपनी पार्टी के एक घपले की चर्चा पर विपक्षी पार्टी के पचास घोटाले गिना देते हैं।
आजकल सचिन जल्दी आउट हो जाते थे। उनके जाते ही टीवी बंद कर देते। सचिन के खेलते हुये टीवी देखना बच्चों का सहज अधिकार सा बना रहता है। मैंने बच्चे से कहा – सचिन ने पता है क्यों रिटायरमेंन्ट की घोषणा की?
बच्चे ने कहा कि हां पता है इसलिये कि आजकल वह रन नहीं बना पा रहा था।
हमने कहा – नहीं भाई इसलिये संन्यास लिया उसने ताकि तुम आराम से पढ़ सको। तुम्हारी पढ़ाई के लिये सचिन से खेल को अलविदा कह दिया।
सचिन का रिटायरमेंट देश के बच्चों के हित में है। वे अब आराम से पढ़ सकेंगे। उनके अच्छे नम्बर आयेंगे। लेकिन क्या पता सचिन के प्रभाव से निकले बच्चे विराट इफ़ेक्ट में आ जायें!
सचिन के संन्यास कें पीछे राजनीति का भी बहुत बड़ा हाथ है। सचिन अभी खेलते रहना चाहते थे और कहते भी मैं तब तक खेलते रहना चाहता हूं जब तक आनन्द आता है। सचिन को आनन्द अभी भी आ रहा था लेकिन जबसे राजनीति में आडवाणी जी की गति देखकर उन्होंने सोचा रिटायरमेंट ले लिया जाये वही अच्छा है।
बीच-बीच में बुजुर्गों ने कहा भी कि सचिन को रिटायरमेंट ले लेना चाहिये। लेकिन सचिन एक ठो सैकड़ा ठोक देते। लोग फ़िर गाना गाने लगते- अरे अभी तो सचिन में बहुत क्रिकेट बची है। खेलने दो भाई। अब किसी को तो निकालना ही था भाई तो सहवाग को और भज्जी को निकाल दिया। भले ही कुछ दिन के लिये। अब उनके वापस आने की गुंजाइश कम होती जा रही है।
विज्ञापन कम्पनियों को भी विराट और धोनी में ज्यादा मजा आ रहा था। वे भी सोच रहीं होंगी कि अब भगवान विदा हों तो इन नये देवताओं पर और पैसा लगाया जाये।
एक बेहतरीन खिलाड़ी जब विदा हो रहा है। सचिन ने खेल के लिये मेहनत की, पसीना बहाया। आदर्श बने रहे। उनका खेलते रहना घरों में टीवी खुल रहने का कारण बना रहा। सचिन को खेलते देखने के लिये लोग घर जल्दी आ जाते थे, छुट्टी ले लेते थे। मींटिंग दायें-बायें कर देते थे और भी न जाने क्या-क्या?
सचिन के विदा होते समय मैं सोच रहा हूं कि खिलाड़ी तो विदा हो रहा है। लेकिन खिलाने वाले कब विदा होंगे? जिसको खेलते देखने के लिये टीवी खुल जाते थे वह विदा हो रहा है। लेकिन वे कब दफ़ा होंगे जिनको देखते ही लोग टीवी बन्द कर देते थे। बीसीसीआई अध्यक्ष कब रिटायर होंगे? पवार साहब कब सचिन से सीखेंगे? वे देश के बच्चों का भला कब सोचेंगे?
क्रिकेट जैसे निठल्ले और समय खपाऊ खेल के देवता की उपाधि पाया खिलाड़ी रिटायर हो रहा है। हर चैनल प्राइम टाइम पर सचिन चालीसा पढ़ने में लगा है। सचिन की उपलब्धियां और खूबियां बखानी जा रही हैं। क्रिकेट के सर्वकालिक बेहतरीन खिलाड़ी की विदाई का मामला है। अगले दस दिन तक मीडिया पलट-पलट कर फ़िर-फ़िर सचिन चर्चा करता रहेगा। एक ही चैनल पर दो एंकर एक के बाद एक सचिन चर्चा कर रहे हैं। सचिन रिकार्ड के लिये खेलते नहीं थे लेकिन रिकार्ड उनके लिये बनते रहते थे। 200 वें टेस्ट की विदाई भी एक ऐसा ही रिकार्ड है।
हमारे दोनों बच्चे सचिन के पक्के फ़ैन हैं। सचिन की बुराई सहन नहीं कर सकते। मैं अक्सर कहता कि सचिन में फ़िनिशिंग हुनर नहीं है। कपिलदेव की वर्ल्डकप की 175 रन सरीखी एक्को पारी नहीं खेले तो वे सचिन की कई पारियां गिना देते। सचिन के मामले में बात करते हुये मेरे बच्चे राजनीतिक पार्टियों के प्रवक्ता की तरह बहस करने लगते जो अपनी पार्टी के एक घपले की चर्चा पर विपक्षी पार्टी के पचास घोटाले गिना देते हैं।
आजकल सचिन जल्दी आउट हो जाते थे। उनके जाते ही टीवी बंद कर देते। सचिन के खेलते हुये टीवी देखना बच्चों का सहज अधिकार सा बना रहता है। मैंने बच्चे से कहा – सचिन ने पता है क्यों रिटायरमेंन्ट की घोषणा की?
बच्चे ने कहा कि हां पता है इसलिये कि आजकल वह रन नहीं बना पा रहा था।
हमने कहा – नहीं भाई इसलिये संन्यास लिया उसने ताकि तुम आराम से पढ़ सको। तुम्हारी पढ़ाई के लिये सचिन से खेल को अलविदा कह दिया।
सचिन का रिटायरमेंट देश के बच्चों के हित में है। वे अब आराम से पढ़ सकेंगे। उनके अच्छे नम्बर आयेंगे। लेकिन क्या पता सचिन के प्रभाव से निकले बच्चे विराट इफ़ेक्ट में आ जायें!
सचिन के संन्यास कें पीछे राजनीति का भी बहुत बड़ा हाथ है। सचिन अभी खेलते रहना चाहते थे और कहते भी मैं तब तक खेलते रहना चाहता हूं जब तक आनन्द आता है। सचिन को आनन्द अभी भी आ रहा था लेकिन जबसे राजनीति में आडवाणी जी की गति देखकर उन्होंने सोचा रिटायरमेंट ले लिया जाये वही अच्छा है।
बीच-बीच में बुजुर्गों ने कहा भी कि सचिन को रिटायरमेंट ले लेना चाहिये। लेकिन सचिन एक ठो सैकड़ा ठोक देते। लोग फ़िर गाना गाने लगते- अरे अभी तो सचिन में बहुत क्रिकेट बची है। खेलने दो भाई। अब किसी को तो निकालना ही था भाई तो सहवाग को और भज्जी को निकाल दिया। भले ही कुछ दिन के लिये। अब उनके वापस आने की गुंजाइश कम होती जा रही है।
विज्ञापन कम्पनियों को भी विराट और धोनी में ज्यादा मजा आ रहा था। वे भी सोच रहीं होंगी कि अब भगवान विदा हों तो इन नये देवताओं पर और पैसा लगाया जाये।
एक बेहतरीन खिलाड़ी जब विदा हो रहा है। सचिन ने खेल के लिये मेहनत की, पसीना बहाया। आदर्श बने रहे। उनका खेलते रहना घरों में टीवी खुल रहने का कारण बना रहा। सचिन को खेलते देखने के लिये लोग घर जल्दी आ जाते थे, छुट्टी ले लेते थे। मींटिंग दायें-बायें कर देते थे और भी न जाने क्या-क्या?
सचिन के विदा होते समय मैं सोच रहा हूं कि खिलाड़ी तो विदा हो रहा है। लेकिन खिलाने वाले कब विदा होंगे? जिसको खेलते देखने के लिये टीवी खुल जाते थे वह विदा हो रहा है। लेकिन वे कब दफ़ा होंगे जिनको देखते ही लोग टीवी बन्द कर देते थे। बीसीसीआई अध्यक्ष कब रिटायर होंगे? पवार साहब कब सचिन से सीखेंगे? वे देश के बच्चों का भला कब सोचेंगे?
मन करे तो ये भी देखें
Posted in बस यूं ही | 14 Responses
1. मैं चाहता हूँ कि मेरा बेटा सचिन तेंदुलकर बने- ब्रायन लारा
2. हम एक टीम से नहीं हारे जिसका नाम इंडिया है; बल्कि हम एक आदमी से हार गये जिसका नाम सचिन है- मार्क टेलर
3. हमारे साथ कुछ भी बुरा नहीं हो सकता अगर भारतीय जहाज में हमारे साथ सचिन तेंदुलकर बैठे हों- हाशिक अमला
4. वह उस लेग-ग्लान्स को एक छड़ी से भी खेल सकता है- वकार यूनुस
5. दुनिया में दो तरह के बल्लेबाज हैं : (1) सचिन तेंदुलकर (2) दूसरे सभी – एंडी फ्लॉवर
6. मैंने भगवान को देखा है। वे टेस्ट मैंचों में भारत की ओर से चौथे नंबर पर बल्लेबाजी करते हैं – मैथ्यू हेडेन
7. जब सचिन बैटिंग करते हैं तो मैं उसमें खुद को देखता हूँ – डॉन ब्रैडमैन
8. जब सचिन बैटिंग कर रहे हों तो अपने अपराध कर डालो, क्योंकि उस समय भगवान भी उसकी बैटिंग देखने में व्यस्त रहते हैं- आस्ट्रेलियाई प्रशंसक
9. सर्वश्रेष्ठ बयान जो बराक ओबामा ने दिया- “मुझे क्रिकेट नहीं मालूम; फिर भी मैं सचिन को खेलते देखता हूँ… इसलिए नहीं कि मुझे उसका खेलना पसन्द है, बल्कि इसलिए कि मैं वह कारण जानता चाहता हूँ कि क्यों जब वह बैटिंग कर रहे होते हैं तो मेरे देश के उत्पादन में पाँच प्रतिशत की गिरावट आ जाती है।”
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