महाभारत के समय में पांडवों ने अपने पुरुषार्थ से खूब बड़े नोट जमा कर लिए थे। कुछ टैक्स भरते, ज्यादा बचा लेते। कौरवों को जब पता चला तो उन्होंने महाराज से कहकर करेंसी बदलवा दी। करेंसी बदलवाने की तारीख चूंकि कौरवों को पता थी इसलिए उन्होंने अपने बड़े नोट खजाने से पहले ही बदलवा लिए थे।
जब बड़े नोट बंद हो गए तो पांडवों को बड़ी समस्या हुई। सब बड़े नोट कूड़ा हो गए। अब उस समय पेट्रोल पम्प तो थे नहीं जहां वे नोट खपाते। न ही उनके यहां कामगारों की फ़ौज थी कि एडवांस में साल भर का वेतन भुगतान कर देते और न ही आज की तरह कमीशन लेकर नोट बदलवाने वाले एजेंट थे उन दिनों लिहाजा पांडवों की हालत खराब हो गयी। खाने पीने तक के लाले पड़ गए।
पांडव जानते थे कि कौरवों ने अपने बड़े नोट खजाने से बदल लिए थे इसलिए वे कौरवों के पास गए और कहा -कुछ हमारे पांच सौ के नोट भी बदलवा दो ताकि हम भी जीते रहें। आगे चलकर हमको-तुमको दोनों को महाभारत वाली पिक्चर में लीड रोल मिले हैं।
लेकिन कौरव माने नहीं। न नोट बदले न नोट बदलने की समय सीमा बढ़ाई।
इसके बाद जो हुआ वो सब जानते हैं। महाभारत की शूटिंग हुई। नोट बदलने वाली बात पांडवों को याद थी इसलिए वे मन लगाकर लड़े और पिक्चर हिट हुई।
यह सच्ची कहानी है कि महाभारत की लड़ाई बंद पांच सौ के नोट चलाने के कारण हुई। पांच गाँव मागने वाली बात किसी ने ऐसे ही उड़ा दी होगी।
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व 'विजयादशमी' - ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
ReplyDelete