Monday, December 31, 2018

सूरज की मिस्ड कॉल' को वर्ष 2017 का अज्ञेय सम्मान



कल दिनांक 30.12.18 को मुझे मेरी किताब 'सूरज की मिस्ड कॉल' के लिए उप्र हिंदी संस्थान के वर्ष 2017 के यात्रा- वृत्तांत/संस्मरण/रेखाचित्र/डायरी विधा के अंतर्गत सच्चिदानंद हीरानन्द वात्स्यायन 'अज्ञेय' नामित पुरस्कार उप्र के माननीय राज्यपाल द्वारा प्रदान किया गया।

पुरस्कार हिंदी संस्थान के यशपाल सभागार में प्रदान किये गए। 75000/- की धनराशि भी।


'सूरज की मिस्ड कॉल' में पिछले पांच-छह सालों में फेसबुक पर लिखे वृत्तान्त लेखों का संकलन है। इन लेखों को लिखने में अपने पाठक मित्रों की हौसला अफजाई का योगदान रहा। अपने सभी सहृदय पाठक मित्रों को इस मौके पर मन से आभार व्यक्त करता हूँ।


5 comments:


  1. https://poetrykrishna.blogspot.com/?m=1

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    1. अरे श्वान तेरी मौन पीर की

      कौन यहाँ सुध लेय

      देख कोई लाठी चटकावे

      कोई सर पत्थर जड देय,

      घर-घर,दर-दर फिरे भटकता

      व्याकुल करती भूख

      किन्तु हाय धनिक मनुज से

      बने न कर्ण बराबर टूक,

      पूरा पढ़ने के लिए प्रोफाइल पर आएं।फॉलो कमेंट करके उत्साहवर्धन करें

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  2. सूरज की मिस्ड कॉल मैंने भी पढ़ा ... क‍ितनेे जीवंत हैं सारे क‍िस्से ..वाह अनूप जी

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    1. अरे श्वान तेरी मौन पीर की

      कौन यहाँ सुध लेय

      देख कोई लाठी चटकावे

      कोई सर पत्थर जड देय,

      घर-घर,दर-दर फिरे भटकता

      व्याकुल करती भूख

      किन्तु हाय धनिक मनुज से

      बने न कर्ण बराबर टूक,

      पूरा पढ़ने के लिए प्रोफाइल पर आएं।फॉलो कमेंट करके उत्साहवर्धन करें

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  3. अरे श्वान तेरी मौन पीर की

    कौन यहाँ सुध लेय

    देख कोई लाठी चटकावे

    कोई सर पत्थर जड देय,

    घर-घर,दर-दर फिरे भटकता

    व्याकुल करती भूख

    किन्तु हाय धनिक मनुज से

    बने न कर्ण बराबर टूक,

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