कल दिनांक 30.12.18 को मुझे मेरी किताब 'सूरज की मिस्ड कॉल' के लिए उप्र हिंदी संस्थान के वर्ष 2017 के यात्रा- वृत्तांत/संस्मरण/रेखाचित्र/डायरी विधा के अंतर्गत सच्चिदानंद हीरानन्द वात्स्यायन 'अज्ञेय' नामित पुरस्कार उप्र के माननीय राज्यपाल द्वारा प्रदान किया गया।
पुरस्कार हिंदी संस्थान के यशपाल सभागार में प्रदान किये गए। 75000/- की धनराशि भी।
'सूरज की मिस्ड कॉल' में पिछले पांच-छह सालों में फेसबुक पर लिखे वृत्तान्त लेखों का संकलन है। इन लेखों को लिखने में अपने पाठक मित्रों की हौसला अफजाई का योगदान रहा। अपने सभी सहृदय पाठक मित्रों को इस मौके पर मन से आभार व्यक्त करता हूँ।
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अरे श्वान तेरी मौन पीर की
Deleteकौन यहाँ सुध लेय
देख कोई लाठी चटकावे
कोई सर पत्थर जड देय,
घर-घर,दर-दर फिरे भटकता
व्याकुल करती भूख
किन्तु हाय धनिक मनुज से
बने न कर्ण बराबर टूक,
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सूरज की मिस्ड कॉल मैंने भी पढ़ा ... कितनेे जीवंत हैं सारे किस्से ..वाह अनूप जी
ReplyDeleteअरे श्वान तेरी मौन पीर की
Deleteकौन यहाँ सुध लेय
देख कोई लाठी चटकावे
कोई सर पत्थर जड देय,
घर-घर,दर-दर फिरे भटकता
व्याकुल करती भूख
किन्तु हाय धनिक मनुज से
बने न कर्ण बराबर टूक,
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अरे श्वान तेरी मौन पीर की
ReplyDeleteकौन यहाँ सुध लेय
देख कोई लाठी चटकावे
कोई सर पत्थर जड देय,
घर-घर,दर-दर फिरे भटकता
व्याकुल करती भूख
किन्तु हाय धनिक मनुज से
बने न कर्ण बराबर टूक,
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