Friday, August 28, 2020

परसाई के पंच- 21

 1. एक देश है ! गणतन्त्र है ! समस्याओं को इस देश में झाड़-फ़ूंक, टोना-टटका से हल किया जाता है ! गणतन्त्र जब कुछ चरमराने लगता है, तो गुनिया बताते हैं कि राष्ट्रपति की बग्घी के कील-कांटे में कुछ गड़बड़ आ गयी है। राष्ट्रपति की बग्घी की मरम्मत कर दी जाती है और गणतन्त्र ठीक चलने लगता है।

2. सारी समस्यायें मुहावरों, नारों और अपीलों से सुलझ जाती हैं। साम्प्रदायिकता की समस्या को इस नारे से हल कर लिया गया है- हिन्दू-मुस्लिम, भाई-भाई !
3. यह गांधी का देश है। यहां हृदय-परिवर्तन से काम होता है। मैं व्यापारियों से नैतिकता की अपील कर दूंगा। वे कीमतें एकदम घटा देंगे।
4. उनकी बात अलग है। वे भारतीय संस्कृति के हिसाब से करते हैं। रखैल रखेंगे मगर सांस्कृतिक ढंग से उससे राखी बंधवायेंगे, उसे धर्म-बहन बनायेंगे, तब वह रखैल होगी। नेता ज्यादा बूढे हुये तो धर्म-पुत्री बनाकर रखेंगे।
5. अनशन फ़ायदे की चीज है, बशर्ते ज्यादा न खिंचे और मौसम्बी का रस पिलाने के लिये कोई ठीक-ठाक बड़ा आदमी मिल जाये।
6. अनशन पवित्र क्रिया है। किसी भी मांग पर हो सकता है। दूसरे की बीबी हड़पने के लिये भी आदमी अनशन कर सकता है। नैतिक प्रभाव और जनमत का दबाव पड़े तो दूसरे की बीबी मिल सकती है। कुल मामला ’इशू’ बनाने का है।
7. आदमी भले हैं। तबादले में कभी पैसा नहीं खाया, इस हद तक निकम्मे हैं। आदर्शवादी हैं।
8. अब कोई आदमी सुरक्षित नहीं है। एक दिन ऐसा आयेगा, जब इस देश के आधे आदमियों की जांच हो रही होगी; बाकी आधे जांच कमीशनों में होंगे।
9. राजनीतिक लाभ के लिये शुद्ध ब्राह्मण गोमाता का मांस मन्दिर में डालकर हिन्दू-मुस्लिम दंगा करवा देता है।
10. राजनीतिक लाभ मिलता हो तो राजनीतिक सूरमा अपनी धर्मपत्नी से पेमेण्ट पर किसी से बलात्कार करवा के हल्ला कर सकता है कि अमुक जाति के आदमी ने मेरी पवित्रता को भ्रष्ट किया। हरिजन कल्याण के मामले में भी हमारी नीति बड़े पवित्र पाजीपन की है। हरिजन को मन्दिर-प्रवेश कराते हैं और उधर उसकी झोपड़ी में आग लगा देते हैं।
11. धर्म,उपकार और दया की पाखण्ड-महिमा अपार है। सुबह नियम से मछलियों को दाना खिलाते हैं और रात को फ़िश करी’ खाते हैं।

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