Thursday, October 21, 2021

करेंट बुक डिपो



कानपुर में जब भी 'करेंट बुक डिपो' के पास से कभी भी गुजरते हैं तो अनायास 'दुकान-दाखिल' हो ही जाते हैं। यहां आने का हासिल यह होता है कि लौटते हुए कोई न कोई किताब साथ हो लेती है। वह किताब कोई नई किताब हो सकती है या फिर पिछली बार साथ ले जाने से स्थगित रह गयी कोई किताब। साहित्यिक पुस्तकों के मौजूदगी का विश्वनीय अड्डा है 'करेंट बुक डिपो'।
आज किताबें आन लाइन मंगाने का चलन बढ़ गया है। डिजिटल डाउनलोडिंग भी होने लगी है जिसमें 100 रुपये की किताब 10 रुपये में डाइनलोडिंग करके पढ़ी जा सकती है लेकिन डिजिटल मोड में किताब पढ़ने और छपी हुई किताब हाथ में लेकर पढ़ने की क्या तुलना? दोनों की तुलना करने को कहा जाए तो अनायास निकलता है -' जो मजा बनारस में, वो न पेरिस में न फारस में।'
ऑनलाइन खरीदी और डिजिटली पढ़ाई के दौर में किताबों की बिक्री का धंधा मंदा होता गया है। किताबों की दुकानों पर लोगों की आमद कम हो गयी है। पहले टीवी और मोबाइल के चलते किताबें पढ़ने वाले भयंकर तेजी से कम होते जा रहे हैं। ऐसे कठिन दौर में भी 'करेंट बुक डिपो' जैसे संस्थानों का बचे रहना और चलते रहना अपने में बहुत सुकून की बात है।
'करेंट बुक डिपो' की शुरुआत जिस उद्देश्य और भावना से इसके संस्थापक स्व. महादेव खेतान जी ने की थी वे उद्धेश्य और भाव आज के समय में अल्पसंख्यक और खतरे की स्थिति में भी हैं। इसके बावजूद जिस समपर्ण भाव से महादेव खेतान जी के सुपुत्र अनिल खेतान जी इसका संचालन कर रहे हैं वह अपने में सुकून और सराहना की बात है। अनिल जी शहर में पुस्तक मेला के संचालन के भी प्रमुख सूत्रधार हैं।
कल जब फिर करेंट बुक डिपो के पास से गुजरे तो बहुत व्यस्त होने के बावजूद दुकान जाने का मोह संवरण न हो सका। कुछ किताबें जो दिखीं वो फौरन ले लीं। बाकी फिर अगली बार के लिए स्थगित कर दीं। तमाम किताबें हमसे निर्लिप्त शेल्फ पर बैठी रहीं। कुछ उलाहना सी देती लगीं -'हम कब तक यहां रहेगीं।'
कल विदा होते समय Anil Khetan अनिल जी ने Veeru Sonker वीरू सोनकर की कविताओं और उनके तेवर की तारीफ की तो उनकी भी किताब ले ली। उनकी फेसबुक वॉल पर उनके स्टेटस पढ़े। अच्छे लगे। नौजवान तेवर, कनपुरिया होने के चलते कहना होगा - 'झाड़े रहो कलक्टरगंज।'
कानपुर में हैं और किताबों के प्रेमी हैं और अभी तक 'करेंट बुक डिपो' नहीं गए हैं तो समझिए एक जरुरी जगह नहीं गये हैं। फौरन पहुँचिये, आनन्द आएगा।

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