पानी बरसा,
छत टपक गई
अरे बाप रे!
मिट्टी थी जो,
कीचड़ बन गई,
अरे बाप रे!
सड़कें जाम,
स्कूल बंद हुये,
मज़ा आ गया!
पानी भी क्या,
हचक के बरसा
सब हैरान!
बाढ़ आ गई,
सब कुछ चौपट,
अब क्या होगा!
सांप-नेवला,
एक पेड़ के नीचे
वाह रे भैया!
बाजार बंद,
बोहनी के भी लाले
आगे क्या होगा!
सब्जी कड़की
सब सामान सुने
दाम उछालें!
चूल्हा सिसका,
कैसे आग जलेगी
लकड़ी गीली!
नेता जी बोले,
जहाज मंगा लेव
दौरा कर लें!
साहब बोला,
ये तो होता ही है,
छान पकौड़ी!
फाइल बोली,
चल भाग जा सूखे
मेरी बारी है!
लैला चहकी,
किधर हो मजनू
लव हो जाये!
ये जी मुस्काई,
आज जान सकी मैं,
बड़े वैसे हो!
टूटी छत है,
खुली व्यवस्था सी
कोई भी आये!
दरारें बोली,
मेरे पानी भइया
धीरे निकलो!
छाता चहका,
सुन मेरी छतरी
पूरी बिक जा!
गौमाता बोली,
राहें चौराहे सूने
चलों बैठ लें!
देहली बोली,
मेरी जान मुंबई
फिर फंस ली!
नदी बावरी,
तट को खा गयी
बड़ी बुरी है!
बूँद बैठकी
में हल ये निकला
काम शुरु हो!
जर्जर छज्जा,
घोटाले के बाद के
ग्राफ सा गिरा!
बीमारी बोली
सब जान निकालो
मौका बढिया!
मोर नाचता
बड़ा बेशर्म,बना
अमेरिका है!
बरखा रानी!
बहुत बरस लीं
अब तो बक्सो!
बदरी बोली
सुन मेरे बदरे
अब तो छोड़ो!
काफी हो गया
फुरसतिया बोले
पोस्ट कर दे!
छत टपक गई
अरे बाप रे!
मिट्टी थी जो,
कीचड़ बन गई,
अरे बाप रे!
सड़कें जाम,
स्कूल बंद हुये,
मज़ा आ गया!
पानी भी क्या,
हचक के बरसा
सब हैरान!
बाढ़ आ गई,
सब कुछ चौपट,
अब क्या होगा!
सांप-नेवला,
एक पेड़ के नीचे
वाह रे भैया!
बाजार बंद,
बोहनी के भी लाले
आगे क्या होगा!
सब्जी कड़की
सब सामान सुने
दाम उछालें!
चूल्हा सिसका,
कैसे आग जलेगी
लकड़ी गीली!
नेता जी बोले,
जहाज मंगा लेव
दौरा कर लें!
साहब बोला,
ये तो होता ही है,
छान पकौड़ी!
फाइल बोली,
चल भाग जा सूखे
मेरी बारी है!
लैला चहकी,
किधर हो मजनू
लव हो जाये!
ये जी मुस्काई,
आज जान सकी मैं,
बड़े वैसे हो!
टूटी छत है,
खुली व्यवस्था सी
कोई भी आये!
दरारें बोली,
मेरे पानी भइया
धीरे निकलो!
छाता चहका,
सुन मेरी छतरी
पूरी बिक जा!
गौमाता बोली,
राहें चौराहे सूने
चलों बैठ लें!
देहली बोली,
मेरी जान मुंबई
फिर फंस ली!
नदी बावरी,
तट को खा गयी
बड़ी बुरी है!
बूँद बैठकी
में हल ये निकला
काम शुरु हो!
जर्जर छज्जा,
घोटाले के बाद के
ग्राफ सा गिरा!
बीमारी बोली
सब जान निकालो
मौका बढिया!
मोर नाचता
बड़ा बेशर्म,बना
अमेरिका है!
बरखा रानी!
बहुत बरस लीं
अब तो बक्सो!
बदरी बोली
सुन मेरे बदरे
अब तो छोड़ो!
काफी हो गया
फुरसतिया बोले
पोस्ट कर दे!
त्राहि-त्राहि मची है
अगले साल क्या पियेंगे ?
मना मयूर क्यों
बरसात में
काले बादल
कितने मनमौजी
बरसे कहाँ
एकाकी बैठे
पानी की टपटप
सुनते हम…
पानी मिलाने
का काम बरखा का
ग्वाले खुश।
खुले गटर
कमर भर पानी
हड्डी संभालो।
सिली माचिस
फूल गये किवाड़
वर्षा है आई।
मेरी जान मुंबई
फिर फंस ली!
मुंबई को फ़ंसने में भी मजा आता है, न फ़ंसे तो बच्चों को पानी में चलने का मजा, स्कूलों से अचानक मिली छुट्टी का मजा कैसे मिले। हम तो कहत है बरसो रे हाय बैरी बदरवा बरसो रे, जोर से बरसो, रोज बरसो, ताकि हम रोज पकौड़ी का मजा ले सके मसालेदार चाय के साथ्। बारिश में भीगने का अपना ही एक मजा है। जिस दिन बारिश होती है हम तो जानबूझ कर छाता भूल जाते हैं ।