http://web.archive.org/web/20140419215704/http://hindini.com/fursatiya/archives/406
लेबल
अमेरिका यात्रा
(72)
अम्मा
(11)
आलोक पुराणिक
(13)
इंकब्लॉगिंग
(2)
कट्टा कानपुरी
(119)
कविता
(61)
कश्मीर
(33)
कानपुर
(251)
गुड मार्निंग
(44)
जबलपुर
(1)
जिज्ञासु यायावर
(17)
नेपाल
(8)
पंचबैंक
(167)
परसाई
(1)
परसाई जी
(129)
पाडकास्टिंग
(3)
पुलिया
(172)
पुस्तक smeekShaa
(4)
बस यूं ही
(276)
बातचीत
(27)
रोजनामचा
(767)
रोज़नामचा
(5)
लेख
(35)
लेहलद्दाख़
(12)
वीडियो
(7)
व्यंग्य की जुगलबंदी
(35)
शरद जोशी
(10)
शाहजहाँ
(1)
शाहजहाँपुर
(132)
श्रीलाल शुक्ल
(3)
संस्मरण
(48)
सूरज भाई
(167)
हास्य/व्यंग्य
(399)
नर-नर रंग्यो मदन-रंग, सखि अइसन आयो फाग।।
होली तो अभी दूर है आप के ब्लोग पर पहले ही अबीर गुलाल उड़ रहा है
फुरसतिया के दोहरे, ज्यों राखी के नैन
चोट भयी एक मिनट में, टीस उठे दिन रैन
आप मेरे ब्लॉग पर तो आए .
मुझे यकीन है
जो मेरी कविता में आए हैं
वे होली पर भी ज़रूर आएँगे.
या यूँ कहूँ जब वे आएँगे तब होली हो जाएगी.
आपकी निराली शैली को बधाई . . .
लिखो ज़बरिया यार कहा कर लइहे कोई !