Thursday, July 23, 2009

रामू, जरा चाय पिलाओ

http://web.archive.org/web/20140419214301/http://hindini.com/fursatiya/archives/659

33 responses to “रामू, जरा चाय पिलाओ”

  1. कुश
    हमने तो आपका मॉल से अपना माल उठा लिया..
    साहब अब बरसने से क्या फ़ायदा। पहले बरसते थे तो लोग भीगते थे हमारे पानी से। बच्चे छप्प-छप्प , छैयां-छैयां खेलते थे। अब तो जहां बरसाती हूं लोग छतरी तान देते हैं। कित्ता दुख होता। हम यहां से बरसने के लिये धरती पर जायें और वो हमसे परदा कर लें। छाते की नोक भाले सी चुभती है।
    बहुत सही लिखा है जी..
  2. Dr.Arvind Mishra
    मैं तो इंदर देवता की आराधना कर कहता हूँ कुछ काले घने पुरायट बादलों के लिए कुछ निर्झर बदलियाँ कानपुर जल्दी भिजवाए -कानपुरिया बिचारे निराश हो चले हैं !
  3. PN Subramanian
    सुबह सुबह मजा आ गया. बाहर बारिश हो रही है.!
  4. archana
    रामू चाय के साथ भजिये भी……………..आखिर बारिश का मौसम है………
  5. विवेक सिंह
    ऐसा मूर्ख बादल तो हमने आज तक नहीं देखा जो बदली के छेड़ने से परेशान है,
    लल्लू कहीं का !
  6. Dr.Manoj Mishra
    बदली ने कारण बताते हुये कहा- अब साहब आपसे क्या छिपायें? आपकी बात सही है कि शहरों में कूड़ा,कचरा के सिवा और कुछ नहीं है लेकिन बड़े-बड़े माल्स तो हैं। वहां अपना पानी फ़ेंक कर मैं किसी माल में घुस जाती हूं और एक के साथ दो फ़्री वाली स्कीम से अपनी पसंद के क्रीम पाउडर ले आती हूं। इसलिये शहर मुझे ज्यादा पसंद आते हैं।
    इन्द्रजी ने चेताते हुये कहा- वो तो सब ठीक है लेकिन ऐसा कब तक चलेगा? ड्यूटी चार्ट में तुमको गांवों में बरसने की ड्यूटी दी जाती है। लेकिन बरसती तुम शहरों में हो। किसी ने सूचना के अधिकार के तहत जानकारी लेकर सवाल पूछ दिये तो रोते नहीं बनेगा। सारा क्रीम पाउडर धुल-पुछ जायेगा।
    बदली इठलाती और बल खाते हुये बोली- आपके रहते हुये मुझे किसी बात की चिन्ता नहीं। अब मैं चली। शहर के माल खुल गये होंगे। देखूं कौन से नये ब्रांड की क्रीम की सेल लगी है आज!
    इन्द्र भगवान आगे खड़े ढेर सारे बादलों से पूछताछ के लिये बढ़े लेकिन तब तक पता चला कि बादलों का चाय का समय हो चुका था। इंद्र भगवान को भी चयास लगी थी। वे लपक कर अपने चैम्बर में पहुंचे और घंटी बजाकर बोले- रामू, जरा चाय पिलाओ।………..
    बहुत बेबाक और सटीक चित्रण है .
  7. Lovely
    आज बहुत दिनों बाद फुरसतिया जी असली रंग -ढंग में दिखे हैं ..सुन्दर!
  8. दिनेशराय द्विवेदी
    कोन इंदर? कैसा इंदर? उस की बादलों पर सियासत कभी की छिन चुकी। किसन जी की गोरधन पूजा का नहीं पता क्या। अब तो वह भी पुराना पड़ गया। हमारे यहाँ तो बरसात के राजा दारू के शौकीन देवता घास भैरू हैं। जो कहीं अली-गली में नाली के किनारे पड़े रहते थे। जब बरसात न होती तब उन्हें याद किया जाता है। पूजा कर के, नारियल चढ़ाते हुए बैलों की जोड़ियों से बिना पहिए की लकड़ी के तीन टुकड़ों को जोड़ कर बनाई गई गाड़ी को खींचा जाता है। वह अटक जाती है तो और बैल जोड़ियां लगाई जाती हैं। सैंकड़ो नारियल फोड़ दिए जाते हैं। इस के बाद बारिश हो ही जाती है।
  9. निट्ठल्ला
    @ विवेक सिंह,
    मूर्ख नहीं मित्र यह उसकी मज़बूरी है । बदली को नये ज़माने की हवा लगेली है, वह पुरुष मानसिकता का ताना दे देकर बेचारे को बिलगाये हुये है । क्या करे बेचारा, वह भरा बैठा है..

    बदलिया ससुरी मान जाय तो झड़ी लगाये :)
    एक सँभावना यह भी कि उस बेचारे की फ़ाइलें सचिवालय में घूम रही हों, बाबू ने दबा रखा हो कि, सूखा राहत का पैसा रिलीज़ हो जाये, तो वह इनके बरसने की समयसारिणी दराज़ से बाहर निकाले ।
    निट्ठल्ला स्टिंग आपरेशन वाले तो यह भी दावा कर रहे हैं कि, केन्द्र और राज्य के झगड़ों की माया ने हाई कोर्ट से स्थगनादेश ले रखा है कि पहले तय होजाय कि यह किसके परिक्षेत्र का मामला है, और इसमें एक दूसरे को बदनाम करने की कितनी सँभावनायें हैं ।
    मत भूलो कि तुम फ़ुरसतिया के ब्लाग पर टिप्पणी दे रहे हो । सँभावनाये अनन्त हैं, प्रभु ।
    इण्डिया इज़ अ कँन्ट्री फ़ुल आफ़ पासिबिलीटीज़ – हिल्लोरी :)
  10. vijay gaur
    बहुत ही सुंदर। भाषा भी खूब है। बधाई।
  11. बवाल
    रामू ज़रा चाय पिलाओ। तीन स्पेशल … एक हमारे लिए, एक इस फ़ुरसतिया बादल के लिए और एक इस बदली के चक्कर में हुए बवाल के लिए। मलाई मार के……………
  12. preeti barthwal
    हम तो रोज़ सुबह इन्द्र देव से यही प्रार्थना बार-बार करते हैं लेकिन असर नहीं हो रहा, कृपया हमारी भी गुहार सुनी जाये, बारिश की झमाझम बोछार हम तक भी आये। और रामू से चाय के साथ समोसे जरुर मगंवायें।
  13. पी सी गोदियाल
    अन्दर की बात बताऊ, टैंकरों से पानी सप्लाई करने वाले जल माफिया गिरोह के लोगो से कुछ सांठ-गाँठ हुई है, इन्द्र के मत्रिमंडल के कुछ मंत्री उस इलाके में मंडराते देखे गए है !
  14. ज्ञानदत्त पाण्डेय
    हाय, हम बादल न हुये!
    रामू की चाय पी पी कर ऊब लिये हैं। टूर पर निकलें तो शायद कोई बदरी दिखे!
  15. anil kant
    वाह…मजेदार
  16. dr anurag
    जे बदली …..किस दिशा में निकली है .जरा बतलायेगे शुक्ल जी.. वो क्या है की हम भी मार्केट निकलने की सोच रहे थे….
  17. शिव कुमार मिश्र
    अद्भुत!
    इन्द्र के दरबार का स्टिंग ऑपरेशन! बड़ा रोचक दरबार है इन्द्र बाबू का.
  18. ताऊ रामपुरिया
    गर्मी का मौसम बदस्तूर जारी है। बारिश आई लेकिन हांफ़ते हुये। लगता है बादलों का पानी रास्ते में बिचौलिये ले उड़े।
    भाई वो ताऊ हांक लेगया आपके बादलों को तो अपनी भैंस समझ कर. और उसके शहर मे कल १५ घंटे मे ९ इंच बारिश करवा ली. आपको करवाना हो तो इंद्र को छोडो..ताऊओं से बात करो. आजकल बारिश का ठेका भी उनके पास ही है और ठेका जरा ज्यादा मे छूटा है सो पैसे तगडे लगेंगे.:)
    रामराम.
  19. अर्कजेश
    मस्त सरकारीकरण किया है, पूरे मामले का |
    पोस्ट पढ़कर लगता है किसी ने बहुत बड़ा मानसून घोटाला किया है |
    जांच होनी चाहिए !
    बढ़िया लेखन |
  20. रचना.
    मजेदार!!!! इन्द्र भगवान के यहां भी व्यवस्था एकदम धरती के जैसी. :)
  21. nitish raj
    वाह जी बहुत मजा आया, रोचक।
    मुंबई पर मेहरबान है यहां दिल्ली में हम परेशान हैं
  22. वन्दना अवस्थी दुबे
    वाह!!!!मज़ा आ गया. वैसे यहां भी बादलों का हाल कुछ ऐसा ही है.
  23. रंजना
    एक एक लाइन बेजोड़………कित्ता आनंद आया ,क्या बताएं…..बादल बदली ले न जाने कहाँ कहाँ बरस आये…..
    लाजवाब लिखा है आपने…वाह !!
  24. समीर लाल
    ये हुई न रियल फुरसतिया पोस्ट..क्या चित्र खींचा है.
    जान गये कि काहे बम्बई पर बादल बदली का कहर बरप रहा है और ग्राम सूखे पड़े हैं.
    वाह!!
    अब चाय पी जाये.
  25. ई-स्वामी
    बदरी बरसी -फ़ाईनली!
  26. Abhishek
    तो असली कारन ये हैं… वो शापग्रस्त अप्सरा वाला इंसिडेंट मस्त है !
  27. चंद्र मौलेश्वर
    अजी, इन्दर भगवान को क्या मस्का मारना, क्लौड सीडिंग कराई देबे:)
  28. बी एस पाबला
    मजेदार!
  29. गौतम राजरिशी
    दिनों बाद फुरसत मिली है अबके देव को?….
    यहाँ बिहार में तो खूब जम के बरसी है दू ठो बदली कल से……
  30. Pankaj
    यहाँ दमन में तो लग रहा है बादल और बदली मिल गए है इसीलिए चार दिन से लगातार जोरदार बारिश हो रही है हा ए़क बात है जैसे यह केंद्र शासित राज्य है और यहाँ कि सुरक्षा राष्ट्रपती करता है वैसे शायद वहा भी कोई अलग इंतजाम किया हो इन्द्र देवता ने :)
  31. Rashmi Swaroop
    मज़ा आ गया सर जी ! जांच और आयोग वाला पैरा तो मुझे अत्यंत प्रिय है!
    आप है ना, बड़े कलाकार हैं, बड़ी भारी भारी बातेँ बड़े ही हल्के फुल्के से लिख डालते हैं…
    ज़रूर इन्द्र देव ने सभी बदलियों को मेकअप भत्ता नहीं दिया होगा… या फिर दिया भी होगा तो किसी ने बीच में ही सड़प लिया होगा… तभी बहाने कर रही हैं…!
  32. amit
    मस्त! लवली जी से सहमत, आज बहुत दिन बाद फुरसतिया टिपिकल मौजी स्टाइल में लिखे हैं! :)
  33. : फ़ुरसतिया-पुराने लेखhttp//hindini.com/fursatiya/archives/176
    [...] रामू, जरा चाय पिलाओ [...]

No comments:

Post a Comment