Monday, August 31, 2009

परेशान होने का मौसम

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33 responses to “परेशान होने का मौसम”

  1. दिनेशराय द्विवेदी
    कविता बहुत ही सुंदर है। पहले डिलीवरी होम मे होती थी अब अस्पताल के लेबर रूम में होती है। बाकी सब होम डिलीवरी होती हैं।
  2. कुश
    पर आप ये सब लिखकर क्यों दुसरो को परेशान कर रहे है.. अमा छोडिये.. छोडिये ना…
    वैसे फोटो आज भी अच्छी लगायी है.. बिलकुल पोस्ट के सन्दर्भ से मेल खाती हुई
  3. संजय बेंगाणी
    परेशानी क्या है? यही समझ में ना आया….और इत्ता लम्बा भी लिख दिया. गजब परेशानी है जी… :)
  4. puja
    काहे परेशान कर रहे हैं फुरसतिया जी, ऐसी ऐसी पोस्ट लिख कर…क्या बिगाड़े हैं हम लोग आपका…अब देखिएगा ब्लॉग्गिंग को परेशानी वाला बुखार चढ़ जाएगा. हर आदमी अपनी परेशानी का राग गाने लगेगा…हम अभी से कहे देते हैं ईई भाइरस (virus ) आपही का फैलाया हुआ होगा. :प :) :)
  5. अशोक पांडे
    … क्या कीजिये हमें तो है मुश्किल सभी तरह!
    लिपिस्टिक -सीसा ले के फ़ोटू खिंचाने वाली देवी कित्ता परेसानी में हैं साफ़ दिखाई दे रहा है.
    उम्दा!
  6. रविकांत पाण्डेय
    बड़े-बुजुर्ग से सुना है-
    राजा दुखिया परजा दुखिया तपसी के दुख दूना
    कहे कबीरा सब जग दुखिया एको घर ना सूना
  7. ज्ञानदत्त पाण्डेय
    यह मेहरारू परेशान करने के लिये है या परेशान है, किलियर न होने से परेशानी हो रही है।
    बाकी यह परेशानी भी है कि इस जबरदस्त पोस्ट को टिपेरों नें कस कर नहीं टिपियाया तो क्या होगा?
    और यह भी परेशानी है कि समीरलाल की पोस्ट से ज्यादा टिपेर दिया लोगों ने तो समीरलाल क्या करेंगे!
    परेशानी अनन्त, तस कथा अनन्ता! :-)
  8. kanchan
    फिर वही अंदाज़..जो मुझे हरिशंकर परसाई की याद दिलाता है….!
    व्यंग्य का ये अंदाज़ निराला लगता है मुझे।
    और पसंद आपकी है या हमारी ये हम हर बार नही समझ पाते…!
  9. kanchan
    हाँ एक शिकायत है बड़े दिन से आज कह ही दें..ये हमारा कमेंट जो इस दाँत चियारे दइत्य के साथ आता है तो, हमें अच्छा नही लगता, हमारी असली फ़ोटू बिना हमारी इजाजत के काहें लगा दिया है भाई…!
  10. झालकवि 'बैरागी'
    हम यह सोचते हुए परेशान हैं कि परेशानियत वाली इस पोस्ट पर आपको परेशान करने वाला कमेन्ट लिखें कि न लिखें. खैर, आपको परेशान करने के लिए लिख देते हैं कि पोस्ट बहुत धाँसू है. आप अगर थोडा और परेशान होते तो परेशानियत के तमाम और पहलुओं के छूट जाने की परेशानी हमें तो न होती. थोड़ा और परेशान होइए और हमारी परेशानी दूर कीजिये. मतलब परेशानी के और पहलू पर……
    (वाक्य पूरा इसलिए नहीं किया क्योंकि हम चाहते थे कि आप यह सोचते हुए परेशान हों कि आगे क्या लिखता ये?)…:-)
  11. विवेक सिंह
    परेशान होने में भी तो शान है,
    फिर क्यों न परेशान हों ?
    अब देखिए न,
    आप परेशानी से परेशान हैं,
    हम यही सोचकर परेशान हैं कि कन्हैयालाल ‘नंदन’ और कन्हैयालाल बाजपेयी एक ही हैं या अलग-अलग !
  12. Abhishek Ojha
    अजी ये तो सदाबहार मौसम है. और हम पढ़ते-पढ़ते थोडी परेशानी कम कर रहे थे कि आप बंद हो गए ये कह के कि हम परेशान हो जायेंगे. अजी बड़ी परेशानी है :)
  13. ताऊ रामपुरिया
    बहुते उम्दा परेशानी है पर आज लिस्ट छोटी है थोडा और बढाया जाये. :)
    रामराम.
  14. अर्कजेश
    परेशानी पर पोस्ट और परेशानी पोस्ट पर टिप्पणी |
    “आजकल परेशान होने का मौसम है | ” यह तो एक सदाबहार मौसम है | बारहमासी अमरूद के पेड़ की तरह | फलता भी रहता है झाडता भी रहता है |
    जब परेशानी नहीं होती तो इस बात का डर की कोई परेशानी न आ जाय |
    लोग परेशानी मुक्त महसूस करने से डरते हैं क्योंकि इससे परेशानी आ जाने का भय रहता है | परेशान रहकर परेशानी के लिए मानसिक पूर्वाभ्यास करते रहते हैं |
    परेशान हों या न हो लेकिन यह दिखाना जरूरी है की हम परेशान हैं | लोग खर्चे और परेशानी बढाकर दिखाते हैं और आमदनी छिपाकर बताते हैं | सामने वाले के लिए सबसे ज्यादा परेशानी की बात तब होती है जब आप उसकी परेशानी कम करके आंकते हैं | मैंने यदि आपको बताया की मुझे जुकाम है और आपको हार्दिक दुःख नहीं हुआ (प्रर्दशित नहीं किया) तो आप मुझे निहायत गैर जिम्मेदार और असंवेदनशील नजर आयेंगे | कैसे हैं ? का जवाब कभी पूरे मन से नहीं आता |
    इससे हमारे सामाजिक महत्व और बौद्धिकता का पता चलता है | जो परेशान नहीं हैं वो या तो निठल्ले परजीवी हैं या मूर्ख | जिन्हें परेशान होने तक की समझ नहीं है |
    इस तरह कहा जा सकता है कि सभ्यता का मतलब परेशान होने की काबिलियत विकसित होना है |
    प्रोफेसर हैकल के अनुसार “आप यह बता दीजिये की आप किस बात पर परेशान होते हैं, और मैं बता सकता हूँ कि आप क्या हैं |”
    कृपया प्रोफेसर हैकल की खोज न की जाय |
    “जले हुये इन हाथों से
    हमसे अब हवन नहीं होते।”
    असली हाल ये है कि हाथ जलाकर भी हवन करने पर उतारू रहते हैं |
  15. समीर लाल
    इतनी परेशानी में भी जाने कैसे आप इतनी सुन्दर कविता खोज कर ले आते हैं, इसी बात को सोच सोच परेशान हूँ. अब ऐसे में टिप्पणी क्या करुँ, यह परेशानी आन पड़ी है.
  16. neeraj1950
    हम अभी तक बहुत परेशान चल रहे थे…लेकिन जब से आपकी पोस्ट पढ़ी है…परेशानी चली गई…क्या पोस्ट है…परेशानी मिटाऊ पोस्ट…ये करिश्मा आपके ही बस की बात है…
    नीरज
  17. आभा
    बिना परेशानी के गुजर नहीं। आज के समय में अगर कोई परेशान नहीं है तो समझ लो कछु गड़बड़ है। सहमत हूँ आपसे
  18. घोस्ट बस्टर
    ये क्या लिख दिये आप भी? हम परेशान हैं कोई तो टिप्पणी दिखे जिसमे ‘परेशान’ शब्द ना हो. ऐ लो! हम भी लिख गये.
  19. डाक्टर अमर

    जब आप लिखे हैं, त सहीए लीखे होंगे ।
    अभी त चरचा का लिंक चर के आ रहे हैं, पोस्ट बाद में पढ़ेंगे
    तबहिये डाक्टर अमर छाप असली टिप्पणी देंगे ।
  20. shashi singhal
    अरे भइया ये का कहत हैं , हम तो परेशान पोस्ट और पोस्ट की परेशानी पढ़ते – पढ़्ते परेसान हुई गवे , समझ ही नहीं सकत है> कि इहां परेसान कौनू है और बाकी परेसानी कैसे हम दूर करिबे हैं । सच्ची – मुच्ची हम यही सोच कै परेसान हुई जाई रहे हैं ।
    आत्मा परेशान कितनी भी रही हो ,मगर कविता की रचना बहुत सुंदर है ।
  21. shashi singhal
    ए भैया ई हमार पोसत पे खींसे निपोरते राक्षस की पोटू काहे चस्पा कर दीन्ही है ? हमें ये अच्छी नाही लागत है ।
  22. venus kesari
    हम ब्लोगिंग के समय परेशान नहीं होते मगर ये देख कर परेशान हो गए की आपकी पोस्ट बहुत छोटी है, इसको विस्तार देने में आपको क्या परेशानी थी अगर बताने में परेशानी न हो तो बताने का कष्ट करैं
    (स्माइली नहीं लगा रहे लगा देंगे तो टिप्पडी पर “मौज” का लेबल लग जायेगा)
    “”"तमाम लोग यह भी करते हैं कि परेशान होने के लिये खूब सारा काम इकट्ठा कर लेते हैं तब आराम से परेशान होते रहते हैं। इसके उलट ऐसे लोग भी हैं जिनके पास काम नहीं होता तो परेशान हो जाते हैं। ऐसे लोग भी अपने लिये परेशानी जुगाड़ने के लिये फ़टाफ़ट काम खतम कर लेते हैं फ़िर झटपट काम की कमी का रोना रोते हुये परेशान होते हैं आराम से।”"”
    ये दोनों कटेगरी हम पर फिट बैठती है :)
    वीनस केसरी
  23. लावण्या
    अब कहाँ जाएँ हम …ये बता अय ज़मीं ..
    परेशानी पर इत्ता उम्दा आप ही लिखते हैं .
    - लावण्या
  24. Manoshi
    फ़ुरसतिया की एक और फ़ुर्सत की पोस्ट :-) आपकी पसंद हमेशा लाजवाब रही है।
  25. Dr.Arvind Mishra
    बहुत परेशान हो गए न यह लिखते लिखते ! हमतो इसलिए परेशान हैं की कईसे परेशान दिखें ! थोडा तो जिम्मेदार दिखे -लोग बाग़ बहुत हलके में ले ले रहे हैं !
  26. shefali pande
    वाह क्या परेशानी है … एकदम शान के साथ …
  27. रंजना
    आपकी परेशानात्मक पोस्ट और उसपर वाजपेयी जी की कविता…..वाह !! सोने पर सुहागा…
  28. Khushdeep Sehgal
    हर कोई परेशान, फिर भी मेरा भारत महान
  29. सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी
    बिलकुल सही फ़रमाया आपने…!
    परेशानी की परेशानी यह है कि यह हो तो परेशानी और न हो तो परेशानी… हम तो यह सोच कर परेशान हो गये कि आप बिना परेशानी के यह परेशानी का पुराण लिख गये।
  30. K M Mishra
    परेशान kar ke dhar diya apne . bahut परेशान ho liye, hum bhi aur system bhi so jate hein bistar par let kar परेशान hone, Rat kafi padi hai परेशान hone ke liye.
  31. : फ़ुरसतिया-पुराने लेखhttp//hindini.com/fursatiya/archives/176
    [...] परेशान होने का मौसम [...]
  32. बरसात की सुबह और नाके पर बादल
    [...] ली उसकी बात। सोचा कन्हैयालाल बाजपेयी गलत नहीं कहते थे: संबध सभी ने तोड़ लिये, चिंता ने कभी [...]
  33. अनूप शुक्ल
    आजकल परेशान होने का मौसम है। आदमी को और कुछ आये चाहे न आये परेशान होना आना चाहिये। बिना परेशानी के गुजर नहीं। आज के समय में अगर कोई परेशान नहीं है तो समझ लो कछु गड़बड़ है।
    पहले के जमाने में लोग लोग लुगाइयों से और वाइस वर्सा परेशान होकर जिन्दगी निकाल लेते थे। लेकिन आज इत्ते भर से काम नहीं चल सकता। बहुत परेशान होना पड़ता है। लोग अपने आस पास से , दुनिया जहान से परेशान होते हैं तब कहीं काम चल पाता है।
    परेशान होने के लिये बहुत परेशान नहीं होना पड़ता। आपकी इच्छा शक्ति हो घर बैठे परेशान हो सकते हैं। आजकल तो हर चीज की होम डिलीवरी का चलन है तो परेशानी का काहे नहीं होगा। बैठे-बिठाये हो सकते हैं। तरह-तरह के पैकेज हैं परेशानी के।

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