अल्लेव ई ससुरा सोमवार आ धमका! चल भाग भाग चलें दफ़्तर की ओर! (05-04-10)
इतवार की निश्चिंतता देखकर लगता है कि हर दिन थोड़ा-थोडा इतवार मिला देना चाहिये! (04-04-10)
सुबह-सुबह चाय पीकर बैठ गये लैपटाप लेकर। इधर-उधर न जाने किधर-किधर टहल रहे हैं! (04-04-10)
फ़ेसबुक में भी क्या-क्या बमचक मची रहती है! (03-04-10)
इतवार की निश्चिंतता देखकर लगता है कि हर दिन थोड़ा-थोडा इतवार मिला देना चाहिये! (04-04-10)
सुबह-सुबह चाय पीकर बैठ गये लैपटाप लेकर। इधर-उधर न जाने किधर-किधर टहल रहे हैं! (04-04-10)
फ़ेसबुक में भी क्या-क्या बमचक मची रहती है! (03-04-10)
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