Monday, December 13, 2010

घपलों/घोटालों के व्यवहारिक उपयोग

http://web.archive.org/web/20140419215748/http://hindini.com/fursatiya/archives/1776

घपलों/घोटालों के व्यवहारिक उपयोग

आजकल देश में घपलों और घोटालों का हल्ला है। बमचक मची है। जिधर देखो उधर घपला दिखता है। घोटाला मिलता है। जुमलेबाज लोग कहने भी लगे हैं -भारत घोटाला प्रधान देश है।
मिशनरी चिंतितों को चिन्ता करने का बहाना मिल गया है। बहुत दिन तक वे आराम से देश की हालत पर चिन्तित हो सकते हैं। देश रसातल में जा रहा है। शायद रसातल कोई मुकाम हो जहां पहुंचकर देश आराम से सुस्तायेगा। चैन की सांस लेगा। कमर सीधी करेगा। फ़िर आगे कहीं के लिये बढ़ेगा।
लेकिन मैं मिशनरी आशावादी हूं। जब भी ऊपरी तौर पर खराब नजर आने वाली चीजें दिखती हैं तो उसका व्यवहारिक उपयोग की बात ध्यान में आती है। मुझे यह श्लोक याद आता है:
अमंत्रं अक्षरं नास्ति , नास्ति मूलं अनौषधं ।
अयोग्यः पुरुषः नास्ति, योजकः तत्र दुर्लभ: ॥

(कोई अक्षर ऐसा नही है जिससे (कोई) मन्त्र न शुरु होता हो , कोई ऐसा मूल (जड़) नही है , जिससे कोई औषधि न बनती हो और कोई भी आदमी अयोग्य नही होता , उसको काम मे लेने वाले (मैनेजर) ही दुर्लभ हैं ।)
इसी तर्ज पर घपलों और घोटालों के कुछ व्यवहारिक उपयोग जो मुझे समझ में आते हैं वे इस तरह हैं:
  1. घपले और घोटाले हमारे देश की आर्थिक स्थिति के परिचायक हैं। बड़ा घपला मतलब मजबूत आर्थिक स्थिति। कभी 100 करोड़ रुपये से भी कम के बाफ़ोर्स घोटाले में सरकार पलट गयी थी। आज लाख करोड़ रुपये का घोटाले में सरकार हिलती नहीं। लाखों करोड़ के घोटाले हम ऐसे पचा जाते हैं जैसे हाजमोला की गोली। इससे साफ़ पता चलता है कि देश आर्थिक रूप से मजबूत हुआ है।
  2. आज बच्चे अक्षरज्ञान से पहले घोटाला ज्ञान पाते हैं। उनको बड़ी गिनती सिखाने के लिये इन घपलों का उपयोग किया जा सकता है। बाफ़ोर्स घोटाला मतलब सौ करोड़। ताबूत घोटाला मतलब हजार करोड़। स्पेक्ट्रम घोटाला मतलब लाख करोड़। स्विस बैंक घोटाला मतलब करोड़ों करोड़। बच्चे गिनतियों को तुलनात्मक रूप से बेहतर समझ सकेंगें इन घोटालों के माध्यम से।
  3. जिस क्षेत्र में कोई घपला होता है लोग उसके बारे में जानने के लिये उत्सुक होते हैं। स्पेक्ट्रम घोटाले के पहले स्पेक्ट्रम कौन चिड़िया का नाम है लोग जानते नहीं थे। इसके होते ही लोग स्पेक्ट्रम ज्ञान के लिये ललक उठे। चारा घोटाले के पहले बहुतों को पता ही नहीं होगा कि कहीं जानवरों को चारा भी दिया जाता है सरकार की तरफ़ से। घपले और घोटाले देश का सामान्य ज्ञान बढ़ाने में सहायक होते हैं। लोगों की उदासीनता तोड़कर चीजों को जानने की इच्छा पैदा करने के लिये घोटालों से बढ़कर कोई और चीज आज के जमाने में नहीं हो सकती।
  4. घपलों और घोटालों के माध्यम से छुट्टियों का जुगाड़ हो सकता है। जहां कहीं घपला हुआ वहां काम ठप्प करके घोटाले की जांच कराने की मांग करके कई दिन काम बंद रखकर धूप सेंकी जा सकती है। अगर कोई जांच बैठ गयी है तो उसको उठाकर दूसरी जांच बैठाने के लिये हल्ला मचाया जा सकता है। जब तक मन माफ़िक जांच बैठ जाये काम रोक कर छुट्टी मनाई जा सकती है।
  5. कौन बनेगा करोड़पति में कम्यूटर जी एक सवाल पूछ सकते हैं इन घोटालों को इनके बढ़ते क्रम में लगाइये। लोगों की सहज रुचि विकसित की जा सकती है अपने आसपास के घपलों के बारे में जानने की।
  6. घटनाओं को याद रखने के लिये घोटालों का उपयोग संदर्भ के रूप में किया जा सकता है। बाफ़ोर्स घोटाले से शुरू हुआ उनका प्रेम प्रसंग ताबूत कांड तक चला। उनकी शादी हवाला कांड के समय हुई थी और स्पेक्ट्रम घोटाला तक चली इसके बाद उन्होंने आपसी सहमति से तलाक ले लिया। उनका एक बच्चा भी है जो अलकतरा घोटाले के समय हुआ था।
  7. कभी-कभी लोग अपने को बहुत नीच और खराब समझने लगते हैं। उनको लगता है कि उनसे बड़ा देश कृतघ्न और कोई नहीं है। ऐसे कमजोर समय में बड़े घपले उनका अपराध बोध दूर करने में रामबाण साबित हो सकते हैं। सौ-पचास रुपये की घूस लेने वाला बाबू लाख करोड़ के घोटाले को याद करते हुये जिन्दगी भर अपने लिये पवित्रात्मा बना रह सकता है। खीरे का चोर अपने को हीरे के चोर से बेहतर समझते हुये ग्लानि मुक्त रह सकता है।
  8. हरामखोर और आलसी लोग आराम से घपलों और घोटालों के बारे में चर्चा-जुगाली करते हुये अपनी अनन्तकाल तक कामचोरी को जारी रख सकते हैं। अपने देश में अभी तक कामचोरी को भ्रष्टाचार का दर्जा नहीं मिला। यह सबसे बड़ा घपला है जो अभी तक आम जनता के संज्ञान में नहीं आया।
  9. लोग अपने बच्चों को सिखाते हुये कह सकते हैं कि जैसे हर पैदा हुआ आदमी मरने के बाद श्मशान जाता है वैसे ही हर घपले का पैसा स्विसबैंक पहुंचता है। घपले का पैसा वहीं जाकर सुकून पाता है।
  10. विज्ञान शिक्षा में ब्लैक होल की जानकारी देते हुये गुरुजी लोग बता सकते हैं जैसे ब्लैक होल दिखता नहीं लेकिन दिखने वाले पदार्थ के मुकाबले में भारी बहुत होता है वैसे ही काला पैसा भी सफ़ेद पैसे के मुकाबले में बहुत वजनी होता है। जैसे ब्लैक होल दिखता नहीं लेकिन अपने अंदर से प्रकाश तक को बाहर नहीं निकलने देता वैसे ही कालापैसा अपने पास से गुजरने वाले ईमान, धर्म, कर्तव्य, नियम,कानून को अपने अंदर ऐसे घसीट लेता है कि लगता ही नहीं कभी ये सब थे भी।
  11. यह हमारे देश में प्रतिस्पर्धा को बढावा देने का एक महत्वपूर्ण औजार है… हर बार एक नया चैलेंज सामने आता है कि पिछला लाख करोड़ का था तो अगला इस का दस गुना-बीस गुना होना चाहिये. यह एक बड़ी श्रेष्ठ तरकीब है देश के महान घोटालेबाजों को बढ़ावा देने के लिये. सौजन्य से एक भारतीय नागरिक
  12. घोटाले भाई-चारा को भी बढ़ावा देते हैं. ताबूत घोटाला वाले बोफोर्स वालों को कुछ नहीं कहेंगे. भाई-चारा बढ़ता जाएगा. सौजन्य से शिवकुमार मिश्र
  13. घोटालों का सबसे बड़ा फायदा राजनीतिक पार्टियों के बीच सद्‍भावपुर्ण माहौल विकसित करने के रूप में भी होता है। चूँकि सभी किसी न किसी घोटाले में फँसी होती हैं इसलिए अंदर से सभी एक दूसरे को नैतिक बल प्रदान करती रहती हैं। सौजन्य से सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी
उपयोग और भी बहुत सारे हैं लेकिन ज्यादा ज्ञान बघारना हमको शोभा नहीं देता। मुझे पता है कि आपको इससे बेहतर उपाय पता होंगे इसलिये यहीं रुकता हूं। आप यह सब पढ़ते हुये थक गये होंगे इसलिये आपके श्रम को भुलाने के लिये आपको यह कथा सुनाता हूं। इसका सार यह है कि भष्टाचार में आकंठ डूबा हुआ प्राणी जब पुलिस को आते देखता है तो भष्टाचार का काम कुछ क्षणों के लिये स्थगित करके भष्टाचार मिटाने के लिये नारे लगाने लगता है। हर जगह आप इसके उदाहरण देख सकते हैं। बहरहाल ज्यादा पचड़े में पढ़े बिना यह सत्यकथा बांचिये। यह सत्यकथा आज से छह साल पहले लिखी गयी थी लेकिन देखिये यह आज भी उतनी ही प्रासंगिक है जितनी छह साल पहले थी।

हम भ्रष्टन के भ्रष्ट हमारे

मेरी पसंद

समझते थे, मगर फिर भी न रखी दूरियां हमने
चिरागों को जलाने में जला ली उंगलियां हमने
कोई तितली हमारे पास आती भी तो क्या आती
सजाये उम्र भर कागज़ के फूल और पत्तियां हमने
यूं ही घुट घुट के मर जाना हमें मंज़ूर था लेकिन
किसी कमज़र्फ पर ज़ाहिर ना की मजबूरियां हमने
हम उस महफिल में बस एक बार सच बोले थे ए वाली
ज़ुबान पर उम्र भर महसूस की चिंगारियां हमने


वाली आसी

25 responses to “घपलों/घोटालों के व्यवहारिक उपयोग”

  1. भारतीय नागरिक
    आपने एक महत्वपूर्ण तथ्य तो छोड़ ही दिया. दर-असल यह हमारे देश में प्रतिस्पर्धा को बढावा देने का एक महत्वपूर्ण औजार है… हर बार एक नया चैलेंज सामने आता है कि पिछला लाख करोड़ का था तो अगला इस का दस गुना-बीस गुना होना चाहिये. यह एक बड़ी श्रेष्ठ तरकीब है देश के महान घोटालेबाजों को बढ़ावा देने के लिये.
  2. rachna
    तस्वीर बिटियाँ की हैं क्या ?? सुंदर लग रही हैं . हंसते हुए विद्रोह कम ही कर सकते . अगर बिटिया की नहीं हैं तो क्षमा
  3. sanjay
    जैसे ब्लैक होल दिखता नहीं लेकिन अपने अंदर से प्रकाश तक को बाहर नहीं निकलने देता वैसे ही कालापैसा अपने पास से गुजरने वाले ईमान, धर्म, कर्तव्य, नियम,कानून को अपने अंदर ऐसे घसीट लेता है कि लगता ही नहीं कभी ये सब थे भी।
    ………………………………………………..
    सब कुछ त आप खुद्दै कह देते हैं ….. कुछो ना बचा कहने को ………..
    प्रणाम.
  4. Suresh Chiplunkar
  5. satish saxena
    आप कहाँ घोटालों की चिंता करने लग जाते हो ब्लॉग जगत में कुछ नया …कुछ सुधार की गुंजाइश हो तो कुछ करें भी ….हम ब्लागर घोटाले कर नहीं सकते…करने वालों को गाली देते देते थक जाते हैं !
    शुभकामनायें आपको
  6. Shiv Kumar Mishra
    सुपर-डुपर पोस्ट!!
    वैसे घोटाले भाई-चारा को भी बढ़ावा देते हैं. ताबूत घोटाला वाले बोफोर्स वालों को कुछ नहीं कहेंगे. भाई-चारा बढ़ता जाएगा.
    Shiv Kumar Mishra की हालिया प्रविष्टी..चंदू-राडिया संवाद
  7. masijeevi
    गजब हमेशा की तरह।
    तस्‍वीर पर कुछ न कहेंगे… रचना ने कह दिया है।
  8. सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी
    घोटालों का सबसे बड़ा फायदा राजनीतिक पार्टियों के बीच सद्‍भावपुर्ण माहौल विकसित करने के रूप में भी होता है। चूँकि सभी किसी न किसी घोटाले में फँसी होती हैं इसलिए अंदर से सभी एक दूसरे को नैतिक बल प्रदान करती रहती हैं।
    न्यूज चैनेलों को जितना फायदा इन घोटालों से हुआ है उतना तो क्रिकेट की खबरें दिखाने से भी नहीं हुआ होगा। अब पत्रकारिता के कोर्स में घोटाला विषय पर स्पेशलिस्ट डिग्रियाँ शुरू की जा सकती हैं। वीर संघवी और प्रभु चावला से ‘अंदर की बात’ निकालने की कला पर स्पेशल लेक्चर कराया जा सकता है। देश की युवा प्रतिभाओं को नीरा राडिया से कोचिंग करायी जा सकती है जो पी.आर. जॉब के नये कीर्तिमान बना सकते हैं।
    सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी की हालिया प्रविष्टी..पढ़ना- पढ़वाना और लिखना साथ-साथ…
  9. देवेन्द्र पाण्डेय
    ..बहुत खूब। लगता है नई पीढ़ी का कष्ट आप ही दूर करेंगे। आपकी लेखनी को प्रणाम।
  10. aradhana
    इति घोटाला कथा. काले धन की ब्लैक होल से तुलना खूब रही… ये लाइनें भी जबरदस्त हैं —
    “जिस क्षेत्र में कोई घपला होता है लोग उसके बारे में जानने के लिये उत्सुक होते हैं। स्पेक्ट्रम घोटाले के पहले स्पेक्ट्रम कौन चिड़िया है लोग जानते नहीं थे।”
    सीरियसली, ये बात तो बिल्कुल सही है कि जिस क्षेत्र में घोटाला होता है, उसकी जानकारी जनता को ऐवें ही हो जाती है. मीडिया रात-दिन उसके बारे में इतना बताता है कि उसका नाम ही सुनकर पूरा घटनाक्रम आँखों के आगे घूम जाता है.
    कुल मिलाकर, पोस्ट कुछ अधूरी सी लगी. नमक कम है या हींग डालना भूल गए हैं या धनिया पत्ती नहीं डाली. कुछ तो कमी है.
    aradhana की हालिया प्रविष्टी..चाकू एक कहानी
  11. Abhishek
    इन फायदों पर आज से पहले किसी ने गौर नहीं किया होगा. बहुत सही.
    बालिका के चित्र पर भी कुछ प्रकाश डालें. ये छायावाद समझ नहीं आया :)
    Abhishek की हालिया प्रविष्टी..फंडा बाबा
  12. प्रवीण पाण्डेय
    अब हँसी बन्द होगी तो टिप्पणी भी दी जायेगी।
  13. वन्दना अवस्थी दुबे
    “घोटाले देश का सामान्य ज्ञान बढ़ाने में सहायक होते हैं।”
    “आज बच्चे अक्षरज्ञान से पहले घोटाला ज्ञान पाते हैं।”
    “जहां कहीं घपला हुआ वहां काम ठप्प करके घोटाले की जांच कराने की मांग करके कई दिन काम बंद रखकर धूप सेंकी जा सकती है”
    “घटनाओं को याद रखने के लिये घोटालों का उपयोग संदर्भ के रूप में किया जा सकता है”
    “खीरे का चोर अपने को हीरे के चोर से बेहतर समझते हुये ग्लानि मुक्त रह सकता है।”
    “अपने देश में अभी तक कामचोरी को भ्रष्टाचार का दर्जा नहीं मिला। ”
    “जैसे ब्लैक होल दिखता नहीं लेकिन अपने अंदर से प्रकाश तक को बाहर नहीं निकलने देता वैसे ही कालापैसा अपने पास से गुजरने वाले ईमान, धर्म, कर्तव्य, नियम,कानून को अपने अंदर ऐसे घसीट लेता है कि लगता ही नहीं कभी ये सब थे भी।”
    ग़ज़ब घपला-ज्ञान.
    इतने दिनों से इन्हीं सबूतों को इकट्ठा कर रहे थे आप? अच्छा है :). अब इन्हें बिन्दुवार समझाने में आसानी होगी. ये व्यावहारिक उपयोग पाठ्यक्रम में शामिल किये जाने की अनुशंसा करते हैं हम :)
    वन्दना अवस्थी दुबे की हालिया प्रविष्टी..नन्हे मेले के मुन्ने दुकानदार
  14. shikha varshney
    बताइए ..कितने तो फायदे हैं घोटालों के और लोग है कि ऐसे ही हलकान हुए जाते हैं :) बहुत दिनों बाद बेहतरीन व्यंग पढ़ा.
    shikha varshney की हालिया प्रविष्टी..इक नज़र जिंदगी
  15. : हम भ्रष्टन के भ्रष्ट हमारे
    [...] कल की पोस्ट पर टिपियाते हुये डा.आराधना ने कहा: कुल मिलाकर, पोस्ट कुछ अधूरी सी लगी. नमक कम है या हींग डालना भूल गए हैं या धनिया पत्ती नहीं डाली. कुछ तो कमी है. [...]
  16. ismat zaidi
    वाह अनूप जी ,
    घपलों घोटालों का इतना ज्ञान ????????
    क्या बात है ! आप ने तो आंखें खोल दीं
    बहुत बढ़िया पोस्ट
  17. रंजना.
    सटीक साधा व्यंग्य…वाह !!!
    सत्य है आज हज़ार और लाख रुपये रिश्वतया घोटाले की खबर “धू छी ” टाईप लगती है..
    रंजना. की हालिया प्रविष्टी..मीठा माने
  18. मनोज कुमार
    महाकाव्‍य‍ लिख डालो इतना पतन दिखाई देता है
    घोर गरीबी में जकड़ा ये वतन दिखाई देता है ।
    जनता की आशाओं पर इक कफन दिखाई देता है।
    उजड़ा उजड़ा सच कहता हूँ चमन दिखाई देता है ।
    मनोज कुमार की हालिया प्रविष्टी..शिवस्वरोदय-22
  19. Anil Attri Delhi
    क्या घोटाला तेरासी ..है .. फिर भी मेरा देश महान …
    अनिल अत्तरी
  20. Anil Attri Delhi
    वाह्ह ….. एंडी सै………………
    Anil Attri Delhi की हालिया प्रविष्टी..ये नहर इंसानों का खून मांगती है
  21. चिरागों को जलाने में जला ली उंगलियां हमने : चिट्ठा चर्चा
    [...] स्व.वाली असी की यह रचना आप जगजीत सिंह की आवाज में यहां सुन सकते हैं। [...]
  22. फ़ुरसतिया-पुराने लेख
    [...] घपलों/घोटालों के व्यवहारिक उपयोग [...]
  23. कोई नया घपला हुआ क्या?
    [...] समर्थकों की सोच जरा अलग टाइप की है। वे घपलों के व्यवहारिक उपयोग के हिमायती हैं। वे मानते है कि घपले [...]
  24. Padm Singh पद्म सिंह
    सौ पचास की घूस लेने वाला निम्न कोटि का(चीप टाइप का) घोतालेबाज़ होता है … या कहें घोटालेबाजों के साथ बैठने लायक भी नहीं होता… एलीट क्लास के घोटालेबाज़ों में नाम शामिल करवाने के लिए उसके पास अवसर भी तो नहीं होता है. इस दृष्टि से सौ पचास वाले घोटालेबाज़ों की दलित श्रेणी में आते हैं… लेकिन संभावनाएं अनंत होती हैं… एलीट क्लास वाले कोई पेट से थोड़े ही सीख कर आते हैं… सरकार अगर दलित घोतालेबाज़ों को भी अवसर प्रदान करे, अनुभवी लोगों से प्रशिक्षण मिले, आरक्षण मिले तो उनके भीतर से भी एक महान घोतालेबाज़ पैदा हो सकता है.
    Padm Singh पद्म सिंह की हालिया प्रविष्टी..मगर यूं नहीं

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