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घपलों/घोटालों के व्यवहारिक उपयोग
By फ़ुरसतिया on December 13, 2010
आजकल देश में घपलों और घोटालों का हल्ला है। बमचक मची है। जिधर देखो उधर
घपला दिखता है। घोटाला मिलता है। जुमलेबाज लोग कहने भी लगे हैं -भारत घोटाला प्रधान देश है।
मिशनरी चिंतितों को चिन्ता करने का बहाना मिल गया है। बहुत दिन तक वे आराम से देश की हालत पर चिन्तित हो सकते हैं। देश रसातल में जा रहा है। शायद रसातल कोई मुकाम हो जहां पहुंचकर देश आराम से सुस्तायेगा। चैन की सांस लेगा। कमर सीधी करेगा। फ़िर आगे कहीं के लिये बढ़ेगा।
लेकिन मैं मिशनरी आशावादी हूं। जब भी ऊपरी तौर पर खराब नजर आने वाली चीजें दिखती हैं तो उसका व्यवहारिक उपयोग की बात ध्यान में आती है। मुझे यह श्लोक याद आता है:
चिरागों को जलाने में जला ली उंगलियां हमने
कोई तितली हमारे पास आती भी तो क्या आती
सजाये उम्र भर कागज़ के फूल और पत्तियां हमने
यूं ही घुट घुट के मर जाना हमें मंज़ूर था लेकिन
किसी कमज़र्फ पर ज़ाहिर ना की मजबूरियां हमने
हम उस महफिल में बस एक बार सच बोले थे ए वाली
ज़ुबान पर उम्र भर महसूस की चिंगारियां हमने
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मिशनरी चिंतितों को चिन्ता करने का बहाना मिल गया है। बहुत दिन तक वे आराम से देश की हालत पर चिन्तित हो सकते हैं। देश रसातल में जा रहा है। शायद रसातल कोई मुकाम हो जहां पहुंचकर देश आराम से सुस्तायेगा। चैन की सांस लेगा। कमर सीधी करेगा। फ़िर आगे कहीं के लिये बढ़ेगा।
लेकिन मैं मिशनरी आशावादी हूं। जब भी ऊपरी तौर पर खराब नजर आने वाली चीजें दिखती हैं तो उसका व्यवहारिक उपयोग की बात ध्यान में आती है। मुझे यह श्लोक याद आता है:
अमंत्रं अक्षरं नास्ति , नास्ति मूलं अनौषधं ।इसी तर्ज पर घपलों और घोटालों के कुछ व्यवहारिक उपयोग जो मुझे समझ में आते हैं वे इस तरह हैं:
अयोग्यः पुरुषः नास्ति, योजकः तत्र दुर्लभ: ॥
(कोई अक्षर ऐसा नही है जिससे (कोई) मन्त्र न शुरु होता हो , कोई ऐसा मूल (जड़) नही है , जिससे कोई औषधि न बनती हो और कोई भी आदमी अयोग्य नही होता , उसको काम मे लेने वाले (मैनेजर) ही दुर्लभ हैं ।)
- घपले और घोटाले हमारे देश की आर्थिक स्थिति के परिचायक हैं। बड़ा घपला मतलब मजबूत आर्थिक स्थिति। कभी 100 करोड़ रुपये से भी कम के बाफ़ोर्स घोटाले में सरकार पलट गयी थी। आज लाख करोड़ रुपये का घोटाले में सरकार हिलती नहीं। लाखों करोड़ के घोटाले हम ऐसे पचा जाते हैं जैसे हाजमोला की गोली। इससे साफ़ पता चलता है कि देश आर्थिक रूप से मजबूत हुआ है।
- आज बच्चे अक्षरज्ञान से पहले घोटाला ज्ञान पाते हैं। उनको बड़ी गिनती सिखाने के लिये इन घपलों का उपयोग किया जा सकता है। बाफ़ोर्स घोटाला मतलब सौ करोड़। ताबूत घोटाला मतलब हजार करोड़। स्पेक्ट्रम घोटाला मतलब लाख करोड़। स्विस बैंक घोटाला मतलब करोड़ों करोड़। बच्चे गिनतियों को तुलनात्मक रूप से बेहतर समझ सकेंगें इन घोटालों के माध्यम से।
- जिस क्षेत्र में कोई घपला होता है लोग उसके बारे में जानने के लिये उत्सुक होते हैं। स्पेक्ट्रम घोटाले के पहले स्पेक्ट्रम कौन चिड़िया का नाम है लोग जानते नहीं थे। इसके होते ही लोग स्पेक्ट्रम ज्ञान के लिये ललक उठे। चारा घोटाले के पहले बहुतों को पता ही नहीं होगा कि कहीं जानवरों को चारा भी दिया जाता है सरकार की तरफ़ से। घपले और घोटाले देश का सामान्य ज्ञान बढ़ाने में सहायक होते हैं। लोगों की उदासीनता तोड़कर चीजों को जानने की इच्छा पैदा करने के लिये घोटालों से बढ़कर कोई और चीज आज के जमाने में नहीं हो सकती।
- घपलों और घोटालों के माध्यम से छुट्टियों का जुगाड़ हो सकता है। जहां कहीं घपला हुआ वहां काम ठप्प करके घोटाले की जांच कराने की मांग करके कई दिन काम बंद रखकर धूप सेंकी जा सकती है। अगर कोई जांच बैठ गयी है तो उसको उठाकर दूसरी जांच बैठाने के लिये हल्ला मचाया जा सकता है। जब तक मन माफ़िक जांच बैठ जाये काम रोक कर छुट्टी मनाई जा सकती है।
- कौन बनेगा करोड़पति में कम्यूटर जी एक सवाल पूछ सकते हैं इन घोटालों को इनके बढ़ते क्रम में लगाइये। लोगों की सहज रुचि विकसित की जा सकती है अपने आसपास के घपलों के बारे में जानने की।
- घटनाओं को याद रखने के लिये घोटालों का उपयोग संदर्भ के रूप में किया जा सकता है। बाफ़ोर्स घोटाले से शुरू हुआ उनका प्रेम प्रसंग ताबूत कांड तक चला। उनकी शादी हवाला कांड के समय हुई थी और स्पेक्ट्रम घोटाला तक चली इसके बाद उन्होंने आपसी सहमति से तलाक ले लिया। उनका एक बच्चा भी है जो अलकतरा घोटाले के समय हुआ था।
- कभी-कभी लोग अपने को बहुत नीच और खराब समझने लगते हैं। उनको लगता है कि उनसे बड़ा देश कृतघ्न और कोई नहीं है। ऐसे कमजोर समय में बड़े घपले उनका अपराध बोध दूर करने में रामबाण साबित हो सकते हैं। सौ-पचास रुपये की घूस लेने वाला बाबू लाख करोड़ के घोटाले को याद करते हुये जिन्दगी भर अपने लिये पवित्रात्मा बना रह सकता है। खीरे का चोर अपने को हीरे के चोर से बेहतर समझते हुये ग्लानि मुक्त रह सकता है।
- हरामखोर और आलसी लोग आराम से घपलों और घोटालों के बारे में चर्चा-जुगाली करते हुये अपनी अनन्तकाल तक कामचोरी को जारी रख सकते हैं। अपने देश में अभी तक कामचोरी को भ्रष्टाचार का दर्जा नहीं मिला। यह सबसे बड़ा घपला है जो अभी तक आम जनता के संज्ञान में नहीं आया।
- लोग अपने बच्चों को सिखाते हुये कह सकते हैं कि जैसे हर पैदा हुआ आदमी मरने के बाद श्मशान जाता है वैसे ही हर घपले का पैसा स्विसबैंक पहुंचता है। घपले का पैसा वहीं जाकर सुकून पाता है।
- विज्ञान शिक्षा में ब्लैक होल की जानकारी देते हुये गुरुजी लोग बता सकते हैं जैसे ब्लैक होल दिखता नहीं लेकिन दिखने वाले पदार्थ के मुकाबले में भारी बहुत होता है वैसे ही काला पैसा भी सफ़ेद पैसे के मुकाबले में बहुत वजनी होता है। जैसे ब्लैक होल दिखता नहीं लेकिन अपने अंदर से प्रकाश तक को बाहर नहीं निकलने देता वैसे ही कालापैसा अपने पास से गुजरने वाले ईमान, धर्म, कर्तव्य, नियम,कानून को अपने अंदर ऐसे घसीट लेता है कि लगता ही नहीं कभी ये सब थे भी।
- यह हमारे देश में प्रतिस्पर्धा को बढावा देने का एक महत्वपूर्ण औजार है… हर बार एक नया चैलेंज सामने आता है कि पिछला लाख करोड़ का था तो अगला इस का दस गुना-बीस गुना होना चाहिये. यह एक बड़ी श्रेष्ठ तरकीब है देश के महान घोटालेबाजों को बढ़ावा देने के लिये. सौजन्य से एक भारतीय नागरिक
- घोटाले भाई-चारा को भी बढ़ावा देते हैं. ताबूत घोटाला वाले बोफोर्स वालों को कुछ नहीं कहेंगे. भाई-चारा बढ़ता जाएगा. सौजन्य से शिवकुमार मिश्र
- घोटालों का सबसे बड़ा फायदा राजनीतिक पार्टियों के बीच सद्भावपुर्ण माहौल विकसित करने के रूप में भी होता है। चूँकि सभी किसी न किसी घोटाले में फँसी होती हैं इसलिए अंदर से सभी एक दूसरे को नैतिक बल प्रदान करती रहती हैं। सौजन्य से सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी
हम भ्रष्टन के भ्रष्ट हमारे
मेरी पसंद
समझते थे, मगर फिर भी न रखी दूरियां हमनेचिरागों को जलाने में जला ली उंगलियां हमने
कोई तितली हमारे पास आती भी तो क्या आती
सजाये उम्र भर कागज़ के फूल और पत्तियां हमने
यूं ही घुट घुट के मर जाना हमें मंज़ूर था लेकिन
किसी कमज़र्फ पर ज़ाहिर ना की मजबूरियां हमने
हम उस महफिल में बस एक बार सच बोले थे ए वाली
ज़ुबान पर उम्र भर महसूस की चिंगारियां हमने
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वाली आसी
Posted in बस यूं ही | 25 Responses
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सब कुछ त आप खुद्दै कह देते हैं ….. कुछो ना बचा कहने को ………..
प्रणाम.
Suresh Chiplunkar की हालिया प्रविष्टी..बौद्धिक खतना करवा चुके लोग चले फ़िलीस्तीन… पाकिस्तान द्वारा वीज़ा देने से इंकार… Caravan to Palestine- Pakistan and Israel- Indian Seculars and Communists
शुभकामनायें आपको
वैसे घोटाले भाई-चारा को भी बढ़ावा देते हैं. ताबूत घोटाला वाले बोफोर्स वालों को कुछ नहीं कहेंगे. भाई-चारा बढ़ता जाएगा.
Shiv Kumar Mishra की हालिया प्रविष्टी..चंदू-राडिया संवाद
तस्वीर पर कुछ न कहेंगे… रचना ने कह दिया है।
न्यूज चैनेलों को जितना फायदा इन घोटालों से हुआ है उतना तो क्रिकेट की खबरें दिखाने से भी नहीं हुआ होगा। अब पत्रकारिता के कोर्स में घोटाला विषय पर स्पेशलिस्ट डिग्रियाँ शुरू की जा सकती हैं। वीर संघवी और प्रभु चावला से ‘अंदर की बात’ निकालने की कला पर स्पेशल लेक्चर कराया जा सकता है। देश की युवा प्रतिभाओं को नीरा राडिया से कोचिंग करायी जा सकती है जो पी.आर. जॉब के नये कीर्तिमान बना सकते हैं।
सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी की हालिया प्रविष्टी..पढ़ना- पढ़वाना और लिखना साथ-साथ…
“जिस क्षेत्र में कोई घपला होता है लोग उसके बारे में जानने के लिये उत्सुक होते हैं। स्पेक्ट्रम घोटाले के पहले स्पेक्ट्रम कौन चिड़िया है लोग जानते नहीं थे।”
सीरियसली, ये बात तो बिल्कुल सही है कि जिस क्षेत्र में घोटाला होता है, उसकी जानकारी जनता को ऐवें ही हो जाती है. मीडिया रात-दिन उसके बारे में इतना बताता है कि उसका नाम ही सुनकर पूरा घटनाक्रम आँखों के आगे घूम जाता है.
कुल मिलाकर, पोस्ट कुछ अधूरी सी लगी. नमक कम है या हींग डालना भूल गए हैं या धनिया पत्ती नहीं डाली. कुछ तो कमी है.
aradhana की हालिया प्रविष्टी..चाकू एक कहानी
बालिका के चित्र पर भी कुछ प्रकाश डालें. ये छायावाद समझ नहीं आया
Abhishek की हालिया प्रविष्टी..फंडा बाबा
“आज बच्चे अक्षरज्ञान से पहले घोटाला ज्ञान पाते हैं।”
“जहां कहीं घपला हुआ वहां काम ठप्प करके घोटाले की जांच कराने की मांग करके कई दिन काम बंद रखकर धूप सेंकी जा सकती है”
“घटनाओं को याद रखने के लिये घोटालों का उपयोग संदर्भ के रूप में किया जा सकता है”
“खीरे का चोर अपने को हीरे के चोर से बेहतर समझते हुये ग्लानि मुक्त रह सकता है।”
“अपने देश में अभी तक कामचोरी को भ्रष्टाचार का दर्जा नहीं मिला। ”
“जैसे ब्लैक होल दिखता नहीं लेकिन अपने अंदर से प्रकाश तक को बाहर नहीं निकलने देता वैसे ही कालापैसा अपने पास से गुजरने वाले ईमान, धर्म, कर्तव्य, नियम,कानून को अपने अंदर ऐसे घसीट लेता है कि लगता ही नहीं कभी ये सब थे भी।”
ग़ज़ब घपला-ज्ञान.
इतने दिनों से इन्हीं सबूतों को इकट्ठा कर रहे थे आप? अच्छा है :). अब इन्हें बिन्दुवार समझाने में आसानी होगी. ये व्यावहारिक उपयोग पाठ्यक्रम में शामिल किये जाने की अनुशंसा करते हैं हम
वन्दना अवस्थी दुबे की हालिया प्रविष्टी..नन्हे मेले के मुन्ने दुकानदार
@ रचनाजी, यह तस्वीर मेरी बिटिया की नहीं फ़्लिकर की है। फ़ोटो के लिये फ़्लिकर में करप्शन से संबंधित फ़ोटो खोजने पर जो तस्वीरें दिखीं उनमें यही मुझे जम गयी तो लगा दी। इसका टाइटिल दिया है एंटी करप्शन गर्ल इसमें यह बच्ची सुन्दर तो है लेकिन वह हंस नहीं रही है बल्कि आंदोलन के लिये नारे जैसा कुछ लगा रही है। क्षमा जैसी बात कहकर आप काहे के लिये हमको शर्मिन्दा करती हैं। ये अच्छी बात नहीं। वैसे इस बात से भी हम सहमत नहीं हो पाते कि हंसते हुये क्रांति नहीं की जा सकती।
@ संजय, शुक्रिया। कोशिश किये बस कुछ कहने की।
@ सुरेश चिपलूनकर, शुक्रिया।
@ सतीशजी, मैं घोटालों की चिंता कहां कर रहा हूं। मैं तो इनके व्यवहारिक उपयोग बता रहा हूं। और आपकी इस बात से असहमत कि ब्लॉगर घपले-घोटाले नहीं कर सकते। मन से चाहा जाये तो क्या नहीं हो सकता। सब कुछ हो सकता है। घोटाला भी। आप बस मन में संकल्प करके जुट जाइये सब हो जायेगा।
shikha varshney की हालिया प्रविष्टी..इक नज़र जिंदगी
घपलों घोटालों का इतना ज्ञान ????????
क्या बात है ! आप ने तो आंखें खोल दीं
बहुत बढ़िया पोस्ट
सत्य है आज हज़ार और लाख रुपये रिश्वतया घोटाले की खबर “धू छी ” टाईप लगती है..
रंजना. की हालिया प्रविष्टी..मीठा माने
घोर गरीबी में जकड़ा ये वतन दिखाई देता है ।
जनता की आशाओं पर इक कफन दिखाई देता है।
उजड़ा उजड़ा सच कहता हूँ चमन दिखाई देता है ।
मनोज कुमार की हालिया प्रविष्टी..शिवस्वरोदय-22
अनिल अत्तरी
Anil Attri Delhi की हालिया प्रविष्टी..ये नहर इंसानों का खून मांगती है
Padm Singh पद्म सिंह की हालिया प्रविष्टी..मगर यूं नहीं