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माफ़ी मांग लीजिये प्लीज
By फ़ुरसतिया on December 20, 2013
ये अमेरिका भी न!
आये दिन बवाल खड़ा करता रहते है हमारे लिये।
अच्छे खासे संबंध सरपट सरक रहे थे। इधर एक नया बवाल खड़ा कर दिया। बदसलूकी कर डाली हमारी राजनयिक से। अजीब बात है।
वैसे तो अकड़ और उजड्डता उसके जीन्स में हैं। जब देखो तब हमारे माननीयों की इज्जत और कपड़े उतारता ही रहता है। लेकिन अब बताओ महिला की भी बेइज्जती।
माना कि हम शांति प्रिय देश हैं लेकिन शांति के नाम पर कित्ता बर्दाश्त करेगें यार। अकेले में भले ही कुछ भी करता रहे। सहने में समस्या नहीं लेकिन एक बार मीडिया में मामला उछलने पर प्राब्लम हो जाती है।
भले ही बुरा मान जाये अमेरिका (हम बाद में मना लेंगे उसे) लेकिन इस बार हमें मजबूरन अमेरिका का विरोध करना पड़ रहा है। कित्ता खराब लग रहा है। लेकिन क्या करें राजधर्म भी तो निबाहना है न!
लगता है कि अमेरिका से हमें यह अनुरोध ही पड़ेगा कि –
“प्लीज हमसे माफ़ी मांग लो इस बात पर। माफ़ी मांग लेने से कुछ घट थोड़ी जायेगा आपका। लेकिन अगर न मांगोगे तो हमारे लिये बहुत बड़ी समस्या हो जायेगी। हमको मजबूरन कड़े कदम उठाने पड़ेंगे। कड़ा बयान देना पड़ेगा।
इसके पहले कित्ती बार आपने हमारे लोगों की बेइज्जती खराब की लेकिन हमने कभी कहा आपसे कि आप माफ़ी मांगो? हमें पता है शर्मिन्दा होना, माफ़ी मांगना आपकी उजड्डता और अकड़ की परम्परा के खिलाफ़ पड़ता है। आप हमारी स्थिति समझिये भाईसाहब! इस बार थोड़ा हेल्प कर दीजिये! आप प्लीज माफ़ी मांग लीजिये।
हमारा मीडिया वैसे भी बहुत बिजी है। उसको अगले प्रधानमंत्री के बारे में बहस करनी है, दिल्ली की सरकार पर रिपोर्टिंग करनी है, उधर विराट ने सैकड़ा मार दिया उसको भी हीरो बनाना है इसके बाद ये बेइज्जती वाली खबर। काम बहुत बढ़ जायेगा। दिसम्बर में सब छुट्टी चाहते हैं। आप माफ़ी मांगकर एक मसला कम करिये प्लीज।
माफ़ी नहीं मांगोगे तो हमें आपके दूतावास के सामने की बैरीकेटिंग हटानी पडेगी। क्या पता सड़क भी खोदनी पड़े। पहचान पत्र इधर-उधर करने पड़ेंगे। आपकी बेइज्जती का नाटक करना पड़ेगा। जाड़े के मौसम में और क्रिसमस के मौके पर इत्ती बदसलूकी अच्छी नहीं लगती।
आप माफ़ी नहीं मांगोगे तो हमारे कई माननीयों के अमेरिका दौरे निरस्त करने पड़ेंगे। वे बेचारे जा नहीं पायेंगे अमेरिका। लोग कहेंगे पहले की बेइज्जती सेटल नहीं हुई। फ़िर चले दिये अमेरिका –अपनी इज्जत उतरवाने।
कईयों के वीजा अटके पड़े हैं अमेरिकन दूतावास में। बेइज्जती वाला मसला अगर लटका तो उनके वीजा भी आप लटका ही दोगे। इसलिये अब इस मसले को निपटा ही दीजिये। मांग भी लीजिये न माफ़ी।”
हम अभी यह सब कहने के लिये सोच ही रहे थे कि उधर खबर आ गयी कि अमेरिका ने माफ़ी मांगने से इंकार कर दिया है। बड़ी हड़बड़ी है यार अमेरिका को भी। कम से कम हमें कहने का तो मौका देना चाहिये था। हमें समझ में नहीं आ रहा है कि कैसे पटाया जाये अमेरिका को माफ़ी मांगने के लिये।
अब हम सोच रहे हैं क्या करें? कुछ उपाय ये समझ में आ रहे हैं:
- कह दें सबसे कि हमारी बात हुई है अमेरिका से। वह कह रहा है कि हमारी पक्की दोस्ती है। दोस्तों के बीच सॉरी और थैंक्यू लागू नहीं होता इसलिये हम माफ़ी नहीं मांगेगे।
- महाभारत के ’अश्वत्थामा वाले फ़ार्मूले’ का उपयोग करते हुये अपने यहां से पिछले साल रिटायर हुये कर्मचारी जिसका नाम ’अमेरिका सिंह’ है बुलाकर अनुरोध करें कि देश की इज्जत के नाम पर वह अमेरिका की तरफ़ से माफ़ी मांग ले। हम दुनिया भर को बता देंगे कि ’अमेरिका’ ने माफ़ी मांग ली है। मामला सुलट गया है।
लेकिन हमारे दफ़्तर के बाबू जी का कहना है- अरे साहब, अमेरिका से लिखित में माफ़ी मांगने से इंकार मंगा लिया जाये। “अमेरिका ने माफ़ी नहीं मांगी” में ’नहीं’ पर सफ़ेदा पोत दिया जायेगा और प्रेस विज्ञप्ति जारी कर दी जाये- “अमेरिका ने माफ़ी मांगी”। मामला सुलटाने का यह सबसे मुफ़ीद तरीका है हमारी समझ में। बाकी तो आप लोग अफ़सर हैं आप तय करिये।
आप ही बताइये कौन सा उपाय अमल में लाया जाये?
आये दिन बवाल खड़ा करता रहते है हमारे लिये।
अच्छे खासे संबंध सरपट सरक रहे थे। इधर एक नया बवाल खड़ा कर दिया। बदसलूकी कर डाली हमारी राजनयिक से। अजीब बात है।
वैसे तो अकड़ और उजड्डता उसके जीन्स में हैं। जब देखो तब हमारे माननीयों की इज्जत और कपड़े उतारता ही रहता है। लेकिन अब बताओ महिला की भी बेइज्जती।
माना कि हम शांति प्रिय देश हैं लेकिन शांति के नाम पर कित्ता बर्दाश्त करेगें यार। अकेले में भले ही कुछ भी करता रहे। सहने में समस्या नहीं लेकिन एक बार मीडिया में मामला उछलने पर प्राब्लम हो जाती है।
भले ही बुरा मान जाये अमेरिका (हम बाद में मना लेंगे उसे) लेकिन इस बार हमें मजबूरन अमेरिका का विरोध करना पड़ रहा है। कित्ता खराब लग रहा है। लेकिन क्या करें राजधर्म भी तो निबाहना है न!
लगता है कि अमेरिका से हमें यह अनुरोध ही पड़ेगा कि –
“प्लीज हमसे माफ़ी मांग लो इस बात पर। माफ़ी मांग लेने से कुछ घट थोड़ी जायेगा आपका। लेकिन अगर न मांगोगे तो हमारे लिये बहुत बड़ी समस्या हो जायेगी। हमको मजबूरन कड़े कदम उठाने पड़ेंगे। कड़ा बयान देना पड़ेगा।
इसके पहले कित्ती बार आपने हमारे लोगों की बेइज्जती खराब की लेकिन हमने कभी कहा आपसे कि आप माफ़ी मांगो? हमें पता है शर्मिन्दा होना, माफ़ी मांगना आपकी उजड्डता और अकड़ की परम्परा के खिलाफ़ पड़ता है। आप हमारी स्थिति समझिये भाईसाहब! इस बार थोड़ा हेल्प कर दीजिये! आप प्लीज माफ़ी मांग लीजिये।
हमारा मीडिया वैसे भी बहुत बिजी है। उसको अगले प्रधानमंत्री के बारे में बहस करनी है, दिल्ली की सरकार पर रिपोर्टिंग करनी है, उधर विराट ने सैकड़ा मार दिया उसको भी हीरो बनाना है इसके बाद ये बेइज्जती वाली खबर। काम बहुत बढ़ जायेगा। दिसम्बर में सब छुट्टी चाहते हैं। आप माफ़ी मांगकर एक मसला कम करिये प्लीज।
माफ़ी नहीं मांगोगे तो हमें आपके दूतावास के सामने की बैरीकेटिंग हटानी पडेगी। क्या पता सड़क भी खोदनी पड़े। पहचान पत्र इधर-उधर करने पड़ेंगे। आपकी बेइज्जती का नाटक करना पड़ेगा। जाड़े के मौसम में और क्रिसमस के मौके पर इत्ती बदसलूकी अच्छी नहीं लगती।
आप माफ़ी नहीं मांगोगे तो हमारे कई माननीयों के अमेरिका दौरे निरस्त करने पड़ेंगे। वे बेचारे जा नहीं पायेंगे अमेरिका। लोग कहेंगे पहले की बेइज्जती सेटल नहीं हुई। फ़िर चले दिये अमेरिका –अपनी इज्जत उतरवाने।
कईयों के वीजा अटके पड़े हैं अमेरिकन दूतावास में। बेइज्जती वाला मसला अगर लटका तो उनके वीजा भी आप लटका ही दोगे। इसलिये अब इस मसले को निपटा ही दीजिये। मांग भी लीजिये न माफ़ी।”
हम अभी यह सब कहने के लिये सोच ही रहे थे कि उधर खबर आ गयी कि अमेरिका ने माफ़ी मांगने से इंकार कर दिया है। बड़ी हड़बड़ी है यार अमेरिका को भी। कम से कम हमें कहने का तो मौका देना चाहिये था। हमें समझ में नहीं आ रहा है कि कैसे पटाया जाये अमेरिका को माफ़ी मांगने के लिये।
अब हम सोच रहे हैं क्या करें? कुछ उपाय ये समझ में आ रहे हैं:
- कह दें सबसे कि हमारी बात हुई है अमेरिका से। वह कह रहा है कि हमारी पक्की दोस्ती है। दोस्तों के बीच सॉरी और थैंक्यू लागू नहीं होता इसलिये हम माफ़ी नहीं मांगेगे।
- महाभारत के ’अश्वत्थामा वाले फ़ार्मूले’ का उपयोग करते हुये अपने यहां से पिछले साल रिटायर हुये कर्मचारी जिसका नाम ’अमेरिका सिंह’ है बुलाकर अनुरोध करें कि देश की इज्जत के नाम पर वह अमेरिका की तरफ़ से माफ़ी मांग ले। हम दुनिया भर को बता देंगे कि ’अमेरिका’ ने माफ़ी मांग ली है। मामला सुलट गया है।
लेकिन हमारे दफ़्तर के बाबू जी का कहना है- अरे साहब, अमेरिका से लिखित में माफ़ी मांगने से इंकार मंगा लिया जाये। “अमेरिका ने माफ़ी नहीं मांगी” में ’नहीं’ पर सफ़ेदा पोत दिया जायेगा और प्रेस विज्ञप्ति जारी कर दी जाये- “अमेरिका ने माफ़ी मांगी”। मामला सुलटाने का यह सबसे मुफ़ीद तरीका है हमारी समझ में। बाकी तो आप लोग अफ़सर हैं आप तय करिये।
आप ही बताइये कौन सा उपाय अमल में लाया जाये?
Posted in बस यूं ही | 9 Responses
प्रवीण पाण्डेय की हालिया प्रविष्टी..चलो रूप परिभाषित कर दें
eswami की हालिया प्रविष्टी..कटी-छँटी सी लिखा-ई
arvind mishra की हालिया प्रविष्टी..चोरी और सीनाजोरी एक साथ? सेवा संस्मरण -15
शायद ही किसी की समझ में आया होगा यह आयडिया ! आपको विदेश विभाग में मुख्या प्रवक्ता पद तुरंत दिया जाता है ! वाकई गुरु चीज हो सर !
सतीश सक्सेना की हालिया प्रविष्टी..अब कहाँ दूसरा, खुर्शीद मिलेगा यारो -सतीश सक्सेना
Swapna Manjusha की हालिया प्रविष्टी..बेचारा एक आम आदमी !!!
सलिल वर्मा की हालिया प्रविष्टी..तुम मुझमें ज़िन्दा हो