Monday, March 09, 2015

फ़ेंस फ़ांदता सांड

सबेरे उठे तो पता चला कि सांड भाई घर के बाहर पेड़ के नीचे बैठे जुगाली कर रहे हैं।जानवरों को रोकने के लिए घर के चारो तरफ तार की फेंसिंग है लेकिन सांड जी लगता है हाई जम्प के ख़िलाड़ी रहे हैं पिछले जन्म में। तार फांद के आ जाते हैं अंदर। जहां से फांदकर अंदर आते थे वहां तार के ऊपर एस्बेस्टस की चादर के टुकड़े बन्धवाये गए। फेंसिंग के ऊपर एस्बेस्टस की चादर के लम्बे टुकड़े ऐसे लगते हैं जैसे लोग माथे पर फटका बांधकर परिक्रमाएं करते हैं।

लेकिन सांड भी समझदार है। अब वह चादर की बगल से कूदकर अं...दर आ जाता है। कोई देख लेता है तो भगा देता है। भगाये जाने पर सांड़ चुपचाप बाहर चला जाता है। एतराज नहीं करता। इससे लगता है कि सांड़ मूलत: शरीफ जीव है। आता भले फेन्स फलांगकर है लेकिन जाता मेन गेट से है। इससे यह भी पता चलता है कि सांड़ 'फेन्स जम्पिंग' मजबूरी में करता है। अगर गेट खुला थे तो वह सामने से ही आये। लेकिन गेट बन्द होने के कारण उसको फांदकर आना पड़ता है।

सांड अंदर आकर जो सामने दिखता है उसको तसल्ली से चरता है। भगाए जाने पर चुपचाप भाग जाता है। बुरा नहीं मानता। जब भी सांड चारदीवारी में घुसता है, घर से फोन पर मुझे बताया जाता है। देखो -"आज फिर सांड घुस गया।खेत चर गया।" कुछ ऐसे जैसे भारत पर आतंकी हमला होने पर अमेरिका और सुरक्षा एजेंसियों से शिकायत की जाती है।मैं फिर से फेंसिंग ठीक करने के लिए फोन करता हूँ। दो चार दिन में फेन्स ठीक हो जाती है। लेकिन पता लगता है कि सांड फिर किसी दूसरे कोने से घर की चाहरदीवारी के अंदर दाखिल हो जाता है। आराम से हरियाली चरता है। जब घर वाले देखते हैं और भगाते हैं तो चुपचाप चला जाता है।

अब कुत्ते बिल्ली हों तो उसको मारकर भगा दो। दूर फिंकवा दो। लेकिन सांड इतना इज्जतदार जानवर होता है कि उसके साथ कुत्ते बिल्ली सरीखा व्यवहार नहीँ किया जा सकता न। यह कुछ ऐसे जैसे कि चोर उचक्कों की तो पुलिस हड्डी पसली एक कर देती है लेकिन खूंखार आतंकवादियों के साथ तो वैसा ही सुलूक नहीँ किया जा सकता न। उनसे ख़ास तरह से निपटना पड़ता है।

मुझे अपनी घर की फेंसिंग अपने देश की क़ानून व्यवस्था सरीखी लगती है। ढीली ढाली। कई जगह से छेद वाली। अपराधी आतंकवादी इससे ज्यादा डरते नहीँ। कूद फांदकर इसके अंदर बाहर आते जाते हैं। पकड़े जाने पर भी उनको कोई ख़ास डर नहीं लगता। उनको इत्मीनान रहता है कि जब भी किसी की नजर उन पर पड़ेगी तो वह उनको इज्जत से बाहर कर देगा। थोडा हल्ला गुल्ला शोर शराबा होगा। इसके बाद फिर सब जैसे का तैसा हो जाएगा।

हमने अभी सांड अपने घर से बाहर किया है। सांड सर झुकाये चुपचाप बाहर चला गया।हम जगह जगह से ढीली अपनी फेन्स देख रहे हैं।यह तय कर रहे हैं कि कहाँ कहां से कसवानी है। कहाँ- कहाँ एस्बेस्टस की सीट लगवानी है।

लौटते में गेट से अखबार उठाकर लाते हैं।खबर में किसी मसर्रत की रिहाई पर सियासी तूफ़ान मचा है। लगता है उसको भी जेल से ऐसे ही बाहर किया गया होगा जैसे हमने अभी सांड को बाहर निकाला। बाहर सांड के डंकारने की आवाज आ रही है।मसर्रत भी कहीं हल्ला मचा रहा होगा।

हम अपनी फेन्स ऊँची करवाने के लिए फोन करने जा रहे हैं। इस सांड के बच्चे को घुसने नहीं देना है घर में।
हमारे घर में घुसकर हरियाली चरने वाला निठल्ला कभी शरीफ नहीं हो सकता।इसका कुछ इलाज करना ही होगा।   :)

3 comments:

  1. बढ़िया :)
    फ़ेसबुक कमेंट फिर से आ गया. कैसे हुआ?

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    1. चिट्ठाचर्चा का टेम्पलेट कॉपी कर लिया। :)

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  2. आपको बताते हुए हार्दिक प्रसन्नता हो रही है कि हिन्दी चिट्ठाजगत में चिट्ठा फीड्स एग्रीगेटर की शुरुआत आज से हुई है। जिसमें आपके ब्लॉग और चिट्ठे को भी फीड किया गया है। सादर … धन्यवाद।।

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